UP Nikay Chunav 2023 Varanasi Political parties triangular fight and somewhere rebels



वाराणसी में मेयर पद के प्रत्याशी सुभाष चंद्र मांझी, डॉ. ओपी सिंह, अशोक तिवारी और अनिल श्रीवास्तव (बा
– फोटो : अमर उजाला

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यूपी निकाय चुनाव की बिछी बिसात में देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी सियासी चक्रव्यूह में फंसी है। मतदाताओं की खामोशी ने प्रत्याशियों के दिल की धड़कन बढ़ा दी है। निकाय चुनाव की इस अग्निपरीक्षा से सियासी दल आगामी लोकसभा चुनाव की भी ताप मापना चाहते हैं। निकाय चुनाव में मतदान के एक दिन पूर्व प्रत्याशियों और पार्टियों ने ताकत झोंक दी है। वार्डों में कहीं त्रिकोणीय लड़ाई है तो कहीं बागी खेल बिगाड़ सकते हैं।

इसे देखते हुए भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा के बड़े नेताओं को लगाया है। जिन वार्डों में बागियों को टिकट नहीं मिला है वे निर्दलीय चुनाव लड़कर समीकरण बिगाड़ रहे हैं। जिसे संभालने के लिए पार्टी के बड़े नेताओं की मदद ली जा रही है। दरअसल अटकलें लगाई जा रही थी कि पर्चा वापसी के दिन पर्चा वापस ले लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

पार्टियों के भीतर अंदरूनी कलह भी

चूंकि पहली बार 100 वार्डों पर चुनाव हो रहा है। पिछली बार 90 वार्डों पर चुनाव हुआ था। नए परिसीमन के चलते कई पार्षदों के समीकरण बदल गए। जिसके चलते टिकट भी समीकरण को ध्यान में रखकर दिया गया। इसके चलते पार्टियों के भीतर अंदरूनी कलह है। इस कलह का लाभ दूसरे लोग उठा सकते हैं। यही कारण है कि समझाने बुझाने में नेताओं को लगाया गया है। वार्डों को ध्यान में रखकर नेताओं को लगाया गया है ताकि सदन में पार्टी बहुमत में रहे।

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