मेरा अंतर्मन | Poetry By Ankit Paurush | The Ankit Paurush Show
मेरा अंतर्मन हिलहिला रहा था,
प्रशनो का उतर न मिल पा रहा था,
मन की चंचलता को देखकर,
मैंने भगवान को दोषी बना दिया,
मैंने पुछा भगवान से ,
मैंने पुछा भगवान से ,
सुन्दर श्रिस्ति बनाने वाले ,
तूने यह क्या कर डाला ,
२ पैर वाला प्राणी क्यों बना डाला .
मैंने भगवान को दोषी बना दिया,
मैंने पुछा भगवान से ,
मैंने पुछा भगवान से ,
सुन्दर श्रिस्ति बनाने वाले ,
तूने यह क्या कर डाला ,
२ पैर वाला प्राणी क्यों बना डाला
यह दिमाग बहुत चलाता है ,
यह दिमाग बहुत चलाता है,
यहाँ का वहां और वहां का यहाँ कर जाता है ,
ईर्षा से भरा हुआ यह मनुस्य , ko
को देख डर लग जाता है ,
ईर्षा से भरा हुआ यह मनुस्य ,
को देख डर लग जाता है ,
मित्र बनकर आता है ,
और लूट कर चला जाता है .
स्वार्थ , लोभ , कपट उसके गहने लगते हैं ,
स्वार्थ , लोभ , कपट उसके गहने लगते हैं ,
प्रेम , अपनापं , शांति यह सब स्वप्न से लगते हैं ,
प्रेम , अपनापं , शांति यह सब स्वप्न से लगते हैं।
मेरा व्याकुल कोमल हृदय को देख ,
मेरा व्याकुल कोमल हृदय को देख ,
भगवन मुझसे बोले ,
मैंने तुझे भी तो बनाया है ,
अगर मैं ही सब बनाऊंगा ,
तो तू क्या बनाएगा। .
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Sahi kaha…! Yeh kya uparwle ne bana daala…
amazing.. 👏
Very nice 👌
Duniya banane bale kya tere msn mein sayaye tune kahe khe ko duniya banaye 🙏🥰👍
Awesome lines…