मैं रुकूंगा नहीं,
चाहे तू साथ दे, या न दे, ओ किस्मत,
जब तक सांस हे,
मैं झुकूंगा नहीं,
थक गया तो क्या,
हारूंगा नहीं,
मैं रुकूंगा नहीं।

तेरे सहारे बैठूंगा नहीं,
जा तुझे आजाद किया ,
तुझे कोसुंगा नहीं,
चाहे तू साथ दे, या न दे,
मैं रुकूंगा नहीं।

यूं तो शिकायतें हैं, तुझसे बहुत,
पर जा तुझको माफ किया,
तुझ पर ये उपकार किया,
जा तुझे माफ किया,
घी बनने के लिए दूध को तपना पड़ता है,
करूंगा तप,
चाहे तू साथ दे, या न दे, ओ किस्मत,
तेरे सहारे बैठूंगा नहीं,
पर रुकूंगा नहीं।

काबलियत का खजाना हूं मैं,
पर तुने न साथ दिया,
गुनाह मैंने किया नहीं,
इसलिए बिलकुल झुकूंगा नहीं,
रुकूंगा नहीं,
चाहे तू साथ दे, या न दे, ओ किस्मत,
जब तक सांस हे झुकूंगा नहीं,
थक गया तो क्या, हारूंगा नहीं,
मैं रुकूंगा नहीं।

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By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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