पटना, 2 अगस्त: विश्व स्तनपान सप्ताह 2023 के तहत आईसीडीएस बिहार एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में पटना में एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. प्रति वर्ष 1 से 7 अगस्त तक स्तनपान एवं माँ-शिशु के उचित पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है.
इस दौरान “स्तनपान को बढ़ावा देना एवं बोतल के दूध से मुक्ति” अभियान का शुभारम्भ किया गया जो पूरे एक साल तक चलेगा. इसके तहत आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा दो साल तक के सभी बच्चों को चिन्हित किया जाएगा. तत्पश्चात, गृह भ्रमण के ज़रिए बोतल से दूध पिलाए जाने वाले परिवारों की जानकारी जुटाकर, उन्हें इसके नुकसानों के बारे में समझाया जाएगा. साथ ही, उन्हें स्तनपान के विभिन्न लाभों के बारे में शिक्षित किया जाएगा. हर तीन महीने पर इसकी प्रगति का आंकलन किया जाएगा. एक साल पूरा होने पर विधिवत मूल्यांकन के बाद आंगनवाड़ी सेविकाओं एवं आशा कर्मियों को सम्मानित किया जाएगा तथा पंचायत को बोतल के दूध से मुक्त घोषित किया जाएगा.
समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में स्तनपान को लेकर समाज के हर तबके में जागरूकता बढ़ी है. लेकिन इसे व्यवहार में लाना एक चुनौती बनी हुई है. सामान्यतः, हमारे समाज में पढ़े-लिखे लोगों का अनुकरण किया जाता है, इसलिए, शिक्षित लोगों की स्तनपान संबंधी व्यवहार परिवर्तन सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका है. उन्होंने आगे कहा कि बिहार में संस्थागत प्रसव में हुई अभूतपूर्व वृद्धि को देखते हुए डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों को माताओं को शिशु को एक घंटे के भीतर और छह महीने तक केवल स्तनपान के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना चाहिए. उन्होंने हर पंचायत को बोतल दूध मुक्त बनाने के लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं, पंचायत कर्मियों समेत जीविका दीदियों को सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया. इसके अलावा उन्होंने माताओं के पोषण पर ज़ोर देते हुए कहा कि गर्भधारण के समय से लेकर बच्चे के जन्म के दो साल तक माताओं को नियमित रूप से पोषाहार मिलना चाहिए.
समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा ने कहा कि विभिन्न विभागों के आपसी समन्वय से बिहार में स्तनपान सहित मातृत्व पोषण को बढ़ावा देने के लिए कई क़दम उठाए गए हैं. उन्होंने बताया कि कामकाजी महिलाओं हेतु कार्यस्थल पर स्तनपान के अनुकूल माहौल सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 100 पालना घर स्थापित करने की योजना है. उन्होंने पंचायत स्तर पर स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए आरोग्य दिवस (वीएचएसएनडी) आयोजन में पोषण समेत स्तनपान के फ़ायदों पर नियमित रूप से चर्चा करने तथा आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान मॉनिटरिंग में स्तनपान की दर को शामिल करने पर ज़ोर दिया. उन्होंने स्तनपान के विभिन्न पहलुओं से संबंधित शोध एवं सूचनाओं के अलावा इसके आर्थिक लाभ के समुचित प्रचार-प्रसार पर भी बल दिया.
यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफ़ीसा बिन्ते शफ़ीक़ ने कहा कि स्तनपान हर बच्चे का अधिकार है. जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करने तथा 6 महीने तक केवल माँ के दूध का सेवन सुनिश्चित करने से नवजात शिशु मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में काफ़ी सुधार देखने को मिलता है. यह डायरिया और निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारियों से बच्चे की सुरक्षा में भी अत्यंत प्रभावी होता है. स्तनपान के आर्थिक पहलू को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि 1 डॉलर के निवेश से 35 डॉलर का रिटर्न मिलता है. उन्होंने आईएमएस एक्ट, 1992 जिसके अंतर्गत डिब्बाबंद दूध का किसी भी प्रकार से प्रचार-प्रसार करने पर सख्त पाबंदी है, का कड़ाई से अनुपालन करने की वकालत की और कहा कि इससे बोतल से दूध पिलाने और वैकल्पिक शिशु दुग्ध के चलन पर रोक लगने के साथ-साथ राज्य में शत प्रतिशत स्तनपान का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.
आईसीडीएस बिहार के निदेशक कौशल किशोर ने स्तनपान से संबंधित विभिन्न दरों में सुधार के लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं, आशा कार्यकर्ताओं एवं अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स के सक्रिय योगदान की सराहना की और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर पंचायत स्तर पर बोतल के दूध से मुक्ति अभियान को सफल बनाने की अपील की. जन्म से लेकर 2 साल तक स्तनपान से बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ मस्तिष्क का भी विकास होता है. इससे बच्चों का आईक्यू स्तर तीन पॉइंट तक बढ़ सकता है.
यूनिसेफ बिहार के पोषण विशेषज्ञ रबी नारायण पाढ़ी ने कहा कि स्तनपान को लेकर पूरे साल जागरूकता गतिविधियाँ चलनी चाहिए. दूध पिलाने वाली माताओं, विशेषकर पहली बार माँ बनाने वाली महिलाओं को उनके परिवार का पूर्ण सहयोग मिलना चाहिए. एक स्वस्थ बच्चे के लिए माँ का पोषण अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसकी किसी भी हालत में अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.
कार्यक्रम के दौरान बिहार में स्तनपान की वर्तमान स्थिति एवं विचारणीय मुद्दों पर आधारित एक वीडियो फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया. नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के शिशु विभागाध्यक्ष, डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं कार्यशाला की रूपरेखा पर प्रकाश डाला.
तकनीकी सत्र के दौरान यूनिसेफ बिहार की पोषण अधिकारी अधिकारी एवं अन्य विशेषज्ञों द्वारा स्तनपान के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा की गई एवं बहुमूल्य जानकारियाँ दी गईं.
कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर राकेश कुमार सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, यूनिसेफ बिहार की पोषण अधिकारी डॉक्टर शिवानी दर, डॉक्टर संदीप घोष, डॉक्टर भूपेंद्र, विभागाध्यक्ष, पीएमसीएच, डॉक्टर सरिता, स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर, मातृत्व स्वास्थ्य, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार, डॉक्टर वी. पी. राय, स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर, शिशु स्वास्थ्य, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार, डॉक्टर मनोज कुमार, स्वास्थ्य एवं पोषण सलाहकार, आईसीडीएस बिहार समेत यूनिसेफ के अधिकारी, सभी जिलों के आईसीडीएस जिला प्रोग्राम पदाधिकारी एवं विभिन्न सहयोगी संस्थाओं के राज्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे.
आईसीडीएस बिहार की सहायक निदेशक ममता वर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया.