मेरे अंदर का एक इंसान खराब भी है | Poetry By Ankit Paurush | The Ankit Paurush Show
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मेरे अंदर का एक इंसान खराब भी है,
स्वार्थ, अहंकार, मतलब, चालाकी, लोभ, लालच वासनाओं से भरा भी है,
मेरे अंदर का एक इंसान खराब भी है ।
आखिर यह इंसान खराब बना क्यू,
स्वार्थ, अहंकार, मतलब से भरा क्यू,
यह इंसान खराब बना क्यू,
क्या यह बचपन से ही ऐसा आया था?
या फिर समाज ने इसका ऐसा बनाया था,
क्या यह सोचने का विशेय नहीं,?
यह जीवन का सत्य है कोई अभिनय नहीं।
सबसे छोटा समाज घर होता है,
यहीं से जीवन का अर्थ होता है,
क्या इस समाज में क्रोध, मतलब, अहंकार नहीं?
ऊंच नीच, छोटा बड़ा, तेरा मेरा, अपना पराया,
जैसा भेद भाव नहीं?
क्या इस समाज में क्रोध, मतलब, अहंकार नहीं?
मेरी राह सीधी थी,
उस पर कुछ मिला नहीं,
स्पष्ट था, निष्पक्ष था सुभाव मेरा,
फिर समझ में आया जिंदगी नापतोल है,
तू भी मेरा, मैं भी तेरा,
न तू मेरा, न मैं तेरा।
आखिर इंसान हूं,
मैं भी जीना चाहता हूं,
निराशाओं का जहर छोड़कर,
आशाओं के अमृत पीना चाहता हूं।
जो राह दुनिया ने दिखाई,
उसी रास्ते पर चलता गया,
कहां अकेला खड़ा था मैं,
लोगों से भरता गया,
ऐसा लगा, मैं ही सिकंदर हूं,
कुटनीतियों का समुंदर हूं।
चलते चलते इतने लंबे रास्ते पर निकल गया,
कपट, अहंकार, वासनाओं से भर गया,
हृदय में प्रेम था, वो प्रेम किधर गया,
पहले प्रेम से मिलता था, अब स्वार्थ से मिल गया।
जब ईमान से चला था, तब भी अकेला था,
अब लोगों से भरा हूं, अब भी अकेला हूं,
पहले भाव कहने के लिया कोई न बचा था,
अब लोग हैं पर भाव बेजुबान हो गया है।
ये केवल मेरी कहानी नहीं,
ये आप सब की कहानी है,
बस मेरी जुबानी है,
जिस समाज में मैं हूं,
उस समाज में आप भी हो,
जो सीधे रास्ते पर चल रहा है, उसको न तिरस्कार करो,
अच्छा समाज बनाने के लिया, पहले अपने अंदर सुधार करो।
अंकित पौरुष
Jbrdst bhai..Very Well said
Very deep meaning. ❤❤❤❤❤
Are wah par har insan bya n kar sakta very very beautiful words deep line👍💯
Ankitji🙏🥰🌺
Ankit ji well said…
Waah waah. ❤❤