दरभंगा, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान डॉ० देवनारायण झा ने कहा है कि राजनीति के लिए धर्म जरूरी है। अगर धर्म का अंकुश राजनीति पर से समाप्त हो जाएगा तो राजा और राज्य दोनों नष्ट हो जाएगा। शुक्रवार को ख्यातिलब्ध पत्रकार एवं समाजसेवी स्व.रामगोविंद प्रसाद गुप्ता की 28वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ‘धर्म की राजनीति और पत्रकारिता का धर्म’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रोफेसर झा ने कहा कि धर्म प्राचीन काल से ही राजनीति का हिस्सा रहा है इसके बल पर ही राजा शासन करता था। राम राज्य भी धर्म के बल पर ही स्थापित हुआ। उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में भी सत्ता धर्म के अनुकूल ही संचालित हो रही हैं और इसका शाश्वत स्वरूप बना रहे हैं और इसकी जिम्मेदारी पत्रकारिता के कंधों पर है। डॉ० झा ने धर्म ग्रंथो की चर्चा एवम धर्म की गहन व्याख्या कर बताया कि जिससे अभ्युदय और नि:श्रेयस की प्राप्ति होती है उसे धर्म कहते हैं। धर्म मनुष्य का हित सुनिश्चित करता है। देखा जाए तो धर्म, राजनीति और पत्रकारिता का मूल उद्देश्य मानव हित की सुरक्षा है।
विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार ईश्वर करुण ने कहा कि आज आयातित शब्दों से भारत की संस्कृति को परखने का दौर चल रहा है। जिसके कारण राम जैसे सर्वव्यापी शब्द से भी लोग परहेज करने लगे है। धर्म का राजनीति से गहरा संबंध रहा है। पहले धर्म सिद्धि के लिए राजनीति होती थी पर आज राजनीतिक उद्देश्य पूर्ति के लिए धर्म का इस्तेमाल हो रहा है। इस परिस्थिति में पत्रकारिता की जबाबदेही बढ़ गई। श्री करुण ने कहा कि महाभारत युद्ध के दौरान जिस सत्यनिष्ठा से संजय ने आंखों देखा हाल धृतराष्ट्र को सुनाया था। वैसी ही निष्ठा वर्तमान समय में भी पत्रकारों को दिखाना होगा। उन्होंने बताया कि आधुनिक भारत में धर्म की राजनीति का उदय तमिलनाडु से हुआ और आज यह सर्वव्यापी हो चुका है। चौथे स्तंभ के तौर पर जो भूमिका पत्रकारिता को दी गई है उसका सार्थक प्रयोग ही धर्म की इस राजनीति पर विराम लगा सकता है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ० ओमप्रकाश ने कहा कि धर्म जीवन जीने की कला है और इससे प्रत्येक मनुष्य का सीधा जुड़ाव होता है। इसलिए राजनीति धर्म से अलग नहीं हो सकती है। पत्रकारिता का दायित्व बनता है कि इस सत्य से जनता को अवगत करावे।
जाने-माने चिकित्सक डॉ० अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि धर्म के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है। राजा के तौर पर राम ने मर्यादा से जीवन जीने की जो राह दिखाई है वहीं राज्य धर्म है। अगर सत्ता इस धर्म से विमुख होती है तो पत्रकारिता का धर्म है कि वो उसे सचेत करें।
संदीप विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० समीर कुमार वर्मा ने कहा कि राजनीति के कारण धर्म दिखावटी वस्तु में तब्दील हो रहा है। इससे बचाने की जबाबदेही पत्रकारिता पर है। जबकि अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार प्रो० कृष्ण कुमार ने कहा कि निष्ठा से किया गया हर कार्य धर्म है और पत्रकारिता इसकी रक्षार्थ पहरेदार की भूमिका में खड़ी है। इससे पूर्व संगोष्ठी का आरंभ अतिथियों ने स्व.रामगोविंद प्रसाद गुप्ता की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया। संगोष्ठी को राजेश कुमार बोहरा, वंसत कुमार बैरोलिया, डॉ० विष्णु भगत आदि ने भी संबोधित किया।
मंच का संचालन सधे हुए शब्दों में डॉ अनंत देव नारायण ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रमोद कुमार गुप्ता ने किया।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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