भारत का प्राचीन इतिहास गौरवशाली रहा है। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि उस खंडकाल में भारत के ग्रामीण इलाकों में नागरिक सम्पन्न थे एवं हंसी खुशी अपना जीवन यापन कर रहे थे। एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री एवं इतिहासकार श्री एंगस मेडिसन ने अपने शोधग्रंथ में बताया है कि एक ईसवी से लेकर 1750 ईसवी तक के खंडकाल में विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी 32 से 46 प्रतिशत के बीच तक रही है। भारत से हो रहे विभिन्न कृषि एवं औद्योगिक उत्पादों के निर्यात का भुगतान सोने में किया जाता था अतः भारत में स्वर्ण का अपार भंडार निर्मित हो गया था। इसलिए, भारत को सोने की चिड़िया कहा जाने लगा था। परंतु, अरब आक्रांताओं एवं ब्रिटिश शासकों ने भारत को जमकर लूटा था और भारत को अति पिछड़ा एवं अति गरीब देश बनाकर छोड़ा। आज इतिहास ने पुनः एक नई करवट ली है और भारत अपने पुराने वैभव को प्राप्त करने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
किसी भी देश की आर्थिक प्रगति में शासन द्वारा बनाई गई नीतियों का विशेष प्रभाव रहता है। पिछले 10 वर्षों के खंडकाल में भारत न केवल आर्थिक क्षेत्र बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में भी मजबूत हुआ है और भारत ने पूरे विश्व में अपनी धाक जमाई है। आज भारतीय मूल के लगभग 3.20 करोड़ लोग विश्व के अन्य देशों में निवास कर रहे हैं। भारतीय मूल के इन नागरिकों ने भारतीय सनातन संस्कृति का पालन करते हुए इन देशों के स्थानीय नागरिकों को भी प्रभावित किया है जिससे विदेशी नागरिक भी अब सनातन संस्कृति की ओर आकर्षित होने लगे हैं। विशेष रूप से विकसित देशों में तो सामाजिक तानाबाना इतना अधिक छिन्न भिन्न हो चुका है कि अब ये देश आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं के हल हेतु भारत की ओर आशाभारी नजरों से देख रहे हैं।
भारत ने वर्ष 1947 में राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त की थी और आज यदि पिछले 77 वर्षों के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में भारत के विकास की बात करें तो ध्यान में आता है कि भारत ने पूरे विश्व में अपने लिए विशेष रूप से आर्थिक, अंतरिक्ष, विज्ञान, रक्षा-सुरक्षा, डिजिटल, योग एवं आध्यात्म जैसे क्षेत्रों में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज भारत एक वैश्विक ताकत बनाकर उभरा है। भारत आज न केवल अपने लिए सेटेलाईट अंतरिक्ष में भेज रहा है बल्कि विश्व के कई अन्य देशों के लिए भी सेटेलाईट अंतरिक्ष में स्थापित करने में सक्षम हो गया है। योग एवं आध्यात्म के क्षेत्र में तो भारत अनादि काल से विश्व गुरु रहा ही है, परंतु हाल ही के समय में भारत एक बार पुनः योग एवं आध्यात्म के क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन करने की ओर अग्रसर है। योग को सिखाने के लिए तो यूनाइटेड नेशन्स ने प्रति वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने का निर्णय लिया है और इसे पूरे विश्व में लगभग सभी देशों द्वारा बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। इसी प्रकार विज्ञान के क्षेत्र में भी भारत ने पूरे विश्व में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी, तकनीकी, डिजिटल एवं ड्रोन तकनीकी में तो भारत ने अपना लोहा पूरे विश्व में ही मनवा लिया है।
किसी भी देश के लिए आर्थिक प्रगति तभी सफल मानी जानी चाहिए जब उस देश के अंतिम पंक्ति में खड़े नागरिक को भी उस देश की आर्थिक प्रगति का लाभ मिलता दिखाई दे। इस दृष्टि से विशेष रूप से गरीबी एवं आय की असमानता को कम करने में भारत ने विशेष सफलता पाई है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रकोष एवं विश्व बैंक ने भी जमकर सराहना की है। भारत में वर्ष 1947 में 70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे, और अब वर्ष 2020 में देश की कुल आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है। जबकि 1947 में देश की आबादी 35 करोड़ थी जो आज बढ़कर लगभग 140 करोड़ हो गई है। वर्ष 2011 में भारत में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे व्यक्तियों की संख्या 22.5 प्रतिशत थी जो वर्ष 2019 में घटकर 10.2 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। भारत के शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की संख्या बहुत तेज गति से कम हुई है। जहां ग्रामीण इलाकों में गरीबों की संख्या वर्ष 2011 के 26.3 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019 में 11.6 प्रतिशत पर आ गई है तो शहरी क्षेत्रों में यह संख्या 7.9 प्रतिशत से कम हुई है। बहुत छोटी जोत वाले किसानों की वास्तविक आय में 2013 और 2019 के बीच वार्षिक 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है वहीं अधिक बड़ी जोत वाले किसानों की वास्तविक आय में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि प्रतिवर्ष दर्ज हुई है। भारत में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या में आ रही भारी कमी दरअसल केंद्र सरकार द्वारा समय समय उठाए जा रहे कई उपायों के चलते सम्भव हो पाई है।
आज भारत डिजिटल इंडिया के माध्यम से क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत ने डिजिटलीकरण के क्षेत्र में अतुलनीय प्रगति की है एवं आज भारत में 120 करोड़ से अधिक इंटरनेट, 114 करोड़ से अधिक मोबाइल एवं 65 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं। इस प्रकार भारत ने एक नए डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है। भारत में सार्वजनिक अधोसंरचना विकसित कर ली गई है ताकि देश के सभी नागरिक इन सुविधाओं का लाभ ले सकें। यूनीफाईड पेमेंट इंटरफेस (UPI) इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जिसके माध्यम से आज प्रतिदिन 100 करोड़ से अधिक बैंकिंग व्यवहार हो रहे हैं। आधार कार्यक्रम की सफलता के बाद तो डिजिटल इंडिया एक नए दौर में चला गया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी डिजिटल इंडिया ने कमाल ही कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाई गई है। अब तो ड्रोन के लिए भी नए डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग हो रहा है एवं ड्रोन के माध्यम से कृषि को किस प्रकार सहयोग किया जा सकता है इस पर भी कार्य हो रहा है। ड्रोन के माध्यम से बीजों का छिड़काव आदि जैसे कार्य किए जाने लगे हैं।
भारत ने पिछले 10 वर्षों के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भी सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है। वर्ष 2014 से भारत ने सौर ऊर्जा में 18 गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा में 1.97 गुना वृद्धि दर्ज की है। भारत ने अपने लिए वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी प्रकार भारत ने आगामी 8 वर्षों में अपनी स्थापित बिजली का 40 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, आगामी 8 वर्षों में भारत में सौर और पावन ऊर्जा की संयुक्त स्थापित क्षमता 51 प्रतिशत हो जाएगी, जो अभी 23 प्रतिशत है।
भारत ने रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता हासिल करने की ओर अपने कदम बढ़ा लिए हैं एवं कई रक्षा उत्पादों का तो निर्यात भी किया जा रहा है। अभी हाल ही में भारत का स्वदेशी निर्मित तेजस हल्का लड़ाकू विमान मलेशिया की पहली पसंद बनाकर उभरा है। मलेशिया ने अपने पुराने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बदलने के लिए प्रतिस्पर्धा की थी। जिसमें चीन के जेएफ-17, दक्षिण कोरिया के एफए-50 और रूस के मिग-35 के साथ साथ याक-130 से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद मलेशिया ने भारतीय विमान तेजस को पसंद किया है। आकाश मिसाइल भी भारत की पहचान है एवं यह एक स्वदेशी (96 प्रतिशत) मिसाइल है। दक्षिणपूर्व एशियाई देश वियतनाम, इंडोनेशिया, और फिलिपींस के अलावा बहरीन, केन्या, सउदी अरब, मिस्र, अल्जीरिया और संयुक्त अरब अमीरात ने आकाश मिसाइल को खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। आकाश मिसाइल के साथ ही कई अन्य देशों ने तटीय निगरानी प्रणाली, राडार और एयर प्लेटफार्मों को खरीदने में भी अपनी रुचि दिखाई है। भारत जल्द ही दुनिया के कई देशों यथा फिलीपींस, वियतनाम एवं इंडोनेशिया आदि को ब्रह्मोस मिसाइल भी निर्यात करने की तैयारी कर रहा है। कुछ अन्य देशों जैसे सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात एवं दक्षिण अफ्रीका आदि ने भी भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। आज भारत से 84 से अधिक देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात किया जा रहा है। इस सूची में कतर, लेबनान, इराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देश भी शामिल हैं जिन्हें भारत द्वारा बॉडी प्रोटेक्टिंग उपकरण, आदि निर्यात किए जा रहे हैं।
कृषि क्षेत्र, रक्षा उत्पादों, फार्मा, नवीकरण ऊर्जा, डिजिटल व्यवस्था के साथ ही प्रौद्योगिकी, सूचना तकनीकी, आटोमोबाईल, मोबाइल उत्पादन, बुनियादी क्षेत्रों का विकास, स्टार्ट अप्स, ड्रोन, हरित ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी भारत अपने आप को तेजी से वैश्विक स्तर पर एक लीडर के रूप में स्थापित करने की ओर अग्रसर हो गया है। इस प्रकार आर्थिक प्रगति के बल पर भारत एक बार पुनः अपने आप को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने जा रहा है।