जब आप अपने लक्ष्य से ध्यान हटाते हैं तो जो चीजें दिखाई देती हैं वो बाधाएं हैं। यानि शुरुआती कठिनाइयों को अगर पार कर जाएँ, पूरी किताब लिखने निकले हैं तो पहला शब्द, फिर पहला वाक्य, ऐसे ही पहला पैराग्राफ, फिर पहला पन्ना और पहला चैप्टर लिख डालिए। ओब्स्टेकल्स का शुरुआती हिस्सा पार करते ही आप देखेंगे कि लक्ष्य तो नजर आने लगा! ये उतना मुश्किल नहीं था, जितना आप सोच रहे थे। ऐसा नहीं है कि पहली बाधा पार करते ही सभी कठिनाइयां दूर हो जायेंगी, लेकिन आप पाएंगे कि अधिकांश आने वाली मुश्किलें पहले चरण की तुलना में कहीं आसान होती जा रही हैं। जैसा ये जीवन के दूसरे क्षेत्रों में होता है, बिलकुल वैसा ही लेखन में भी है। इसलिए कलम उठाइये और अपनी पुस्तक लिखना आरंभ कीजिये।

जो विषय आपने चुना है, वो आपके लिए सही था या नहीं, ये मुश्किल से एक सप्ताह में पता चल जाता है। ये भी आपको किसी और से पूछने की जरूरत भी नहीं है। जैसा काम में होता है, बिलकुल वैसा ही है। अगर दिन बोझ जैसा कट रहा है, छुट्टियों का इंतजार कर रहे होते हैं तो आपने गलत काम चुन लिया है। ऐसा ही किताब के साथ भी होगा। अगर आपने कोई ऐसा विषय चुन लिया है जिसके प्रति कोई उत्साह मन में नहीं है, तो उसपर लिखने में, शोध करने के लिए उस विषय की पुस्तकें पढ़ने में आपका मन नहीं लगेगा। इससे आपको स्वयं बिना किसी मदद के अपनी किताब के लिए विषय चुनने में मदद मिल जाएगी।

जब एक बार आप काम शुरू कर देते हैं तब आपको अपनी क्षमता और अपनी कमजोरियों का स्पष्ट पता चलता है। शुरू शुरू में आपको लगेगा कि आप इस विषय के विशेषज्ञ तो नहीं। हो सकता है ये लगे कि आप रोचक ढंग से नहीं लिख पाएंगे। आपको लगेगा कि शब्दों के मामले में आप शशि थरूर जैसे नहीं। या भाषा, व्याकरण की जानकारी कम होगी, ऐसा भी महसूस हो सकता है। सच्चाई ये है कि मनुष्य अक्सर अपनी कमजोरियों को स्वयं बड़ा करके और क्षमता को स्वयं कम करके आंकता है। किताबें लिखना हो या जीवन का कोई और क्षेत्र काम शुरू करने से पहले तक खुद की कमी या क्षमता का अनुमान मत लगाइए।

सीखने की प्रक्रिया बिलकुल सरल है। कुछ चीजें आप अध्ययन से, पढ़कर जान जाते हैं। ये जानना करके देखने पर सीखना हो जाता है। इन दोनों तरीकों से बेहतर है गलतियां करना। जब आप थ्योरी से कोई चीज जान भी लेते हैं तो भी उसे करके देखने में गलतियां होती हैं। ऐसी गलतियाँ करने पर जब आप उन्हें सुधारने में सीखते हैं, तब आप असल में सीख रहे होते हैं। इसलिए गलतियां कीजिये, उन्हें सुधारते जाइए और सीखते जाइए। हां, एक ही गलती दोहराते रहने के बदले नयी गलतियां करना है, ये याद रखियेगा। किताब लिखने में गलती करने का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि कोई और आपकी गलतियाँ देखकर आपपर हंस भी नहीं रहा होगा।

गलतियों से सीखने की जहाँ तक बात है, ये याद रखिये कि गलतियाँ करना और उनसे सीखना एक प्रक्रिया है। आम तौर पर गलती ये होती है कि हम लोग मान लेते हैं कि बातें हमें याद रह जाएँगी। इससे नुकसान ये होगा कि एक दो दिन में ही नयी बातें हमें याद रहती हैं, और पुरानी बातें हम लोग भूल जाते हैं। आम लोगों की ही तरह लेखक के लिए ये जरूरी होता है कि वो अपने जर्नल में ऐसी बातें लिखे। बाद में रिव्यु करते समय ये जांचे कि क्या वो गलतियाँ हुई हैं। अपनी गलतियों में सुधार लाये, जो सीखा था, उसका प्रयोग करे और फिर जांचे कि सुधार करने पर बदलाव क्या हुए? व्याकरण में भाषा-शैली में सुधार से वाक्य अच्छे हो रहे हैं क्या? नए शब्दों से वाक्य को समझने में सुविधा होती है, वाक्य छोटे और सुगढ़ होते हैं? सोशल मीडिया के जरिये कई बार इसपर पाठकों की प्रतिक्रिया भी मिल जाती है। अगले चरण के सुधार में आप इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस तरीके से सुधार करते रहने पर कभी कभार ऐसा लग सकता है कि कहीं आप तरक्की करने के बदले, आगे बढ़ने के बदले, एक ही जगह गोल-गोल चक्कर तो नहीं काट रहे? असल में ये नजरिये का फर्क है। जो आपको देखने में गोल लग रहा है, वो असल में सीढ़ी की तरह आपको ऊपर की तरफ ले जा रहा है। अकेले काम करने की वजह से लेखकों को कभी-कभी ऐसी ग़लतफ़हमी होती है, लेकिन अगर कोई तीन किताबें लिख चुका हो, तो वो आसानी से अपनी खुद की तीसरी किताब और पहली किताब में अंतर कर देगा।

लेखक के तौर पर आपको ये भी याद रखना होगा कि सारे जहाँ का बोझ आप अपने सर नहीं ले सकते। ऐसे कई विषय होते हैं जो आपको उद्वेलित करेंगे, लेकिन आप हरेक पर तो लिख नहीं सकते हैं। अपनी किताब के लिए तय करते समय भी आपको पांच-छह विषय मिलेंगे। कुछ विषयों को छोड़कर ही आप एक विषय पर अपनी किताब लिख पाएंगे।

प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा प्रयास अंत में जैसे परिणाम देगा, वो एक ही बार के बहुत जोर के प्रयास से नहीं किया जा सकता। जैसा कि एटॉमिक हैबिट्स नाम की अपनी किताब में जेम्स क्लियर भी बताते हैं, आप हर दिन अगर एक प्रतिशत बेहतर होते जायेंगे तो अंततः साल भर में आप कुल 37 प्रतिशत बेहतर होंगे और उस दिन आप ओवरनाईट सक्सेस या रातों-रात सफलता के शिखर पर दिखेंगे। इसके अलावा हर दिन थोड़े से प्रयास में मेहनत भी कम लगेगी और आपपर बोझ नहीं पड़ेगा। इसलिए प्रतिदिन थोड़ा थोड़ा लिखिए।

थोड़ी देर पहले जो कहा था, उसी बात को दोहरा कर एक बार फिर से समझ लीजिये। किसी एक विषय पर आप विशेषज्ञ बन सकते हैं। कई विषय चुनेंगे तो जैक ऑफ आल, मास्टर ऑफ नन बनकर रह जायेंगे। अगर आपको अपनी एक पुस्तक के लिए याद किया जाना है, तो वो तो एक ही विषय पर होगी न? सोशल मीडिया पर जैसे मुद्दे हर दिन बदलते रहते हैं, वैसे किसी दिन कृषि, कभी शिक्षा, कभी किसी रेल दुर्घटना, कभी खाने-पीने या किसी त्यौहार पर लिखे लेखों को इकठ्ठा कर भी लें तो उससे एक पुस्तक तो बनेगी नहीं। आपको अपने चुने एक ही विषय पर टिके रहना है, उसे समय देना है, तभी आप लेखक बन सकते हैं। अनडिवाइडेड अटेंशन की जरूरत जैसे जीवन के दूसरे क्षेत्रों में सफल होने के लिए चाहिए, वही एकाग्रता आपको सफल लेखक बनने के लिए भी चाहिए।

इतने के बाद ये भी याद रखिये कि हर दिन लेखक को भी अलग अलग स्थितियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर किसी दिन आपपर काम का बोझ हो, फिर सोशल मीडिया पर हुई कोई बहस आपका मूड बिगाड़ दे! ऐसे में थोड़ी देर के लिए उस माहौल से निकलिए, कहीं से टहल आइये। आपकी मानसिक स्थिति स्वस्थ होगी, तभी आपकी उर्जा सृजनात्मक काम में लगेगी। क्रिएटिव राइटिंग जहाँ एक स्किल है, वहीँ मन की स्थिति की बात भी है। थोड़े व्यायाम-एक्सरसाइज, कुछ घूमना फिरना, थोड़ा दोस्तों से मिल आना, आपका मूड अच्छा कर देगा। थोड़ा मानसिक आराम भी मिलेगा तो आप बेहतर काम कर पाएंगे।

संभव है कि अब भी आप सोच रहे हों कि आपसे ये हो पायेगा या नहीं? ऐसी स्थित में आप स्वयं से जो प्रश्न पूछ रहे हैं, उन्हें थोड़ा सा बदल लीजिये। सबसे पहले ये लिखने की कोशिश कीजिये की आप ये क्यों नहीं कर सकते? जब आप इस सवाल का जवाब लिखेंगे तो आप पायेंगे कि जो मुश्किलें आ रही हैं, उन्हें सुलझाने का तरीका आपको स्वयं पता है! अब आप ये लिखिए कि ये काम कैसे किया जा सकता है? इन दो सवालों के जवाब लिखते ही आपको अपनेआप छोटी-मोटी अड़चनों, अपनी दुविधाओं से मुक्ति मिल जाएगी।

ये प्रक्रिया जीवन में एक बार होने वाली नहीं है, बिलकुल वैसे ही जैसे कोई लेखक केवल एक ही किताब लिखे, ऐसा शायद ही होता है। यानी कि ये जो पूरी प्रक्रिया थी, किसी ऐसे काम को ढूंढना जिसमें आपको मजा आता हो, और फिर ऐसी चीजें ढूंढना जिनमें आप अच्छे हों, फिर दोनों के बीच सामंजस्य बिठाना, वो बार बार दोहराया जायेगा। जैसे ही आपको ऐसी बातें मिलने लगेंगी जो आपको पसंद भी हैं, और उन्हें करने में आपकी कुशलता भी अच्छी खासी है, आप पायेंगे कि सीढ़ी दर सीढ़ी आप आगे बढ़ने लगे हैं

फिलहाल के लिए इतना ही, आगे लेखन और जीवन पर चर्चा के साथ फिर मिलते हैं!

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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