इन ऐप्स के खिलाफ अवैध वसूली और लोगों के उत्पीड़न की कई शिकायतें मिली थी। ये ऐप्स लोगों को कम रकम के लोन देकर उस पर भारी ब्याज वसूलते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ऐप्स के पीछे चीन के नागरिक हैं जो भारत के लोगों को इसमें डायरेक्टर बनाकर अपना ये अवैध कारोबार चलाते हैं। इन ऐप्स से लोन लेने के बाद जब लोगों को उस पर ब्याज चुकाने में परेशानी होती है तो लोगों का उनकी व्यक्तिगत जानकारी को लीक करने जैसी धमकियों से उत्पीड़न किया जाता है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुछ लोगों के इन ऐप्स से लोन लेने या बेटिंग ऐप्स पर रकम हारने के बाद आत्महत्या करने के मामले सामने आने के बाद यह मामला सुर्खियों में आया था। उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों ने होम मिनिस्ट्री से इन ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई करने का निवेदन किया था। पिछले वर्ष सरकार ने इंटरनेट सर्च इंजन Google को गैर कानूनी लेंडिंग ऐप्स का इस्तेमाल रोकने के लिए कड़े नियम लागू करने के लिए कहा है। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ((MeitY) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( RBI) ने गूगल को इन ऐप्स पर लगाम लगाने का निर्देश दिया था। डिजिटल लेंडिंग सेगमेंट में धोखाधड़ी के मामले बढ़ने के बाद RBI ने लेंडर्स से डिजिटल लेंडिंग सर्विसेज के लिए कड़े नियम बनाने को कहा था।
इसका उद्देश्य बॉरोअर्स को जालसाजी से सुरक्षित करना था। गूगल ने फाइनेंशियल सर्विसेज ऐप्स के लिए अपनी स्टोर डिवेलपर प्रोग्राम पॉलिसी में बदलाव किया है। इसमें पर्सनल लोन ऐप्स के लिए अतिरिक्त शर्तें शामिल हैं। गैर कानूनी डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स पर लगाम लगाने के लिए सरकार और RBI ने गूगल से स्क्रूटनी बढ़ाने और यह पक्का करने के लिए कहा है कि केवल रेगुलेटर से स्वीकृति वाले लोन ऐप्स ही गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध हों।
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