Gizmochina के अनुसार, No. 25 ने जानकारी दी है कि उनकी टीम ने टेराहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी लेवल पर डेटा का अब तक का पहला रीयल-टाइम वायरलेस ट्रांसमिशन पूरा किया है। यह 6G को लेकर अभी तक का पहला सफल ट्रांसमिशन टेस्ट बताया जा रहा है। इससे यह साबित हो जाता है कि भले ही भारत सहित दुनिया के कई देश फिलहाल 5G टेक्नोलॉजी पर पहुंचे हैं, लेकिन हम जल्द 6G टेक्नोलॉजी पर पहुंचने वाले हैं।
टेराहर्ट्ज कम्युनिकेशन हाई स्पीड ट्रांसमिशन के लिए आवश्यक बैंडविड्थ प्रदान कर सकती है, जिससे यह 6G नेटवर्क का एक अनिवार्य कंपोनेंट बन जाता है। रिपोर्ट कहती है कि पारंपरिक फाइबर-आधारित नेटवर्क उच्छ लागत, तैनाती के लिए लगने वाले लंबे समय जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। वहीं, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी इन सब अड़चनों का हल हो सकती है।
रिपोर्ट आगे बताती है कि टेराहर्ट्ज कम्युनिकेशन में नंबर 25 की उपलब्धि में बैंडविड्थ उपयोग को अधिकतम करने के लिए एडवांस एंटेना और कई बीम मोड का उपयोग शामिल है। इसके कारण 2021 से स्पेक्ट्रम उपयोग दोगुना हो गया है। इस सफलता में विभिन्न एप्लिकेशन हो सकते हैं, जिसमें कम दूरी के ब्रॉडबैंड प्रसारण और अंतरिक्ष अन्वेषण वाहनों के बीच हाई स्पीड डेटा ट्रांसफर शामिल हैं।
एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन के तीसरे सबसे बड़े वायरलैस नेटवर्क ऑपरेटर ‘चाइना यूनिकॉम’ (China Unicom) ने उम्मीद जताई है कि 6G टेक्नॉलजी से जुड़ी टेक्निकल रिसर्च और शुरुआती ऐप्लिकेशंस साल 2025 तक लॉन्च हो सकती हैं। इसके अलावा, कहा गया है कि चीन में अगले दशक की शुरुआत तक 6G मोबाइल नेटवर्क का रोलआउट शुरू हो सकता है।