बोलो जुबा केशरी
सरकार बेचवा रही है और टैक्स भी ले रही है पद्म श्री देनेवाले लोग भी तो इसी का हिस्सा है ? फिर shame काहे का ? धंधा वही गलत जिसकी इजाजत सरकार नही देती , सरकार पर कटाक्ष कोई नही करता, एक्टर है मतलब नचनिया बजनिया को आप खुदा बना लिए है ! हम नही! और जब वो गुटखा का विज्ञापन देता है फिर आपके पेट मे दर्द हो जाता है। आज सोशल मीडया पर एक पोस्ट देखा की ये लोग गुटखा का प्रचार कर रहें हैं !
मुझे कोई आश्चर्य नही इसमें पैसा देंगे तो इ आपके बियाह या शादी समारोह में नाचेंगे भी, यही उनका धंधा है , पद्मश्री भी उनको एक्टिंग के लिए ही मिला है न की समाजसेवा के लिए, मुझे कोई आश्चर्य नही
गुटखा इतना ही खराब है तो सरकार बेचने पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ? जिसकी भी इजाजत सरकार देती है मतलब वो चीज लीगल है फिर इसपर इतना बबाल क्यों ?
आप क्या चाहते अभिनेता बॉर्डर पर जाकर युद्ध करे , अरे बाबू इ फिल्मची नायक है रियल लाइफ मे इ लोग भी हम और आप जैसा ही है फिर इससे ये अपेक्षा लगाना की ये वो ना करे , ये ना करे फिर ये लोग क्या करें ? बाजार है और धंधा मे सिर्फ प्रॉफिट और सरकार के नियमो का पालन होना चाहिए । बाद बांकी सबकुछ आते जाते रहते हैं, अच्छे अभिनय को देखिये उसको व्यक्तिगत तौर पर जानने की जरूरत ही क्या है ?
हमारी समस्या यही है की हम जजमेंटल हो जाते हैं वो जज साहेब का काम है उन्ही को करने दीजिये , देश को नियम और कानून से चलने दीजिये मोरल पुलिसिंग बंद कीजिये ।
बोलो जुबा केशरी
नोट :- नचनिया बजनिया शब्द हो सकता है आपको चुभे लेकिन dancer को हम नचनिया कहते हैं और संगीत बजाने वाले को बजनिया
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