पहले की सोच
पहले सोचते थे जो लोग मेरी बात नही सुन्ना चाहते उनको क्यों सुनाया जाया (मसलन व्हात्सप्प पर जबरदस्ती का न्यूज़ कंटेंट भेजना या उससे सम्बन्धित अन्य सामग्री) और हर व्यक्ति की पसंद अलग अलग होती है ऐसा हम पहले सोचते थे और उसी हिसाब से लोगो को अपने वेबसाइट या YouTube या फिर अन्य किसी भी प्रकार की सामग्री उनके सीधे व्हासप्प या नम्बर या फेसबुक या टेलीग्राम ग्रुप पर भेजते थे और जो लोग मना करते थे की मुझे मत भेजिए उनको हम अलग छांट देते थे ,
लेकिन अब मेरी सोच बदली
अब जिनको भी पसंद नही वो लोग मुझे ब्लाक कर दे हम तो अपना काम जारी रखेंगे क्योंकि भाई साहेब मेरा यही काम है लोगो के घरो में जबरदस्ती खबर पहुचाना अरे भाई हम काहे ब्लाक करें आप को ! भले ही हम पसंद नही आपको ! लेकिन हम बहुत पसंद करते हैं आपको, मारिएगा पिटिएगा फिर भी हम नही मानेगे क्योंकि यही मेरा काम है ,
महरूम सायर राहत इन्दोरी का एक शेर है गौर फरमाइयेगा
सच से झूठ से जिससे भी आप यारी रक्खे ,
आप तो बस अपनी तकरीर जारी रक्खे