कड़ी मेहनत और समर्पण किसी भी मंच (Facebook , YouTube , Instagram , Twitter या अन्प) पर अधिक दर्शकों ( Audieance ) और अनुयायियों (Followers/subscribers) को हासिल करने की कुंजी है।
Ethical Values and Principles for News Organizations : यह कठोर सच्चाई है कि हमने कभी भी सामग्री (लिखित/विडियो) के लिए भुगतान नहीं किया। क्योंकि यह एक जानकारी है न कि कोई कला या संगीत या शायरी युगल संगीत या किसी भी प्रकार की कला।
खबरों को छोड़कर हर चीज का प्रचार नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों पर ठीक उतरता है। क्योंकि हर कोई नाम और सोहरत किसी भी कीमत पर चाहता है। पैसा देकर समाचार प्रसारित करना एक प्रकार का प्रोपेगेंडा चलाना भी है।
अब मान लो की केबल वाला या कोई news channel वाला आपको channel देखने के पैसे दे, ले नही, फिर क्या वो दिखाएगा ? सिर्फ प्रचार न की खबर क्योंकि उसको भी इसके लिए पैसे मिले है। इसे सभ्य समाज ने PR का नाम दिया । किसी भी प्लेटफॉर्म को इसे समझना होगा की न्यूज़ और सुचनाओ को जब भी कोई संसथान प्रचारित करे इसका मतलब है वो खबर नही है एक प्रकार का प्रोपगेंडा है।
कुछ बड़े संगठन जैसे हम नाम ले लेंगे क्योंकि हम पापी नही इसलिए सुनिए जैसे LiveCities BIHAR , Janta Junction और कई अन्य बड़े नाम हैं जिनकी खबरें हमने प्रायोजक (sponsored) अनुभाग में देखी हैं।
कुछ चीजें जैसे किसी के इंटरव्यू को प्रमोट करना इस मामले में मैंने The Lallantop को देखा है अगर जिसका इंटरव्यू हमने लिया वह चाहता है की, यह अधिक से अधिक लोगो तक इसकी पहुच हो तो इसमें कोई बुराई मुझे नजर नही आती।
क्योंकि हर व्यक्ति को अपनी आवाज दूर तक पहुचाने का हक़ है इनमे आप Pushpam Priya Choudhary को देख सकते हैं। पहले अखबारों में लंबा चौरा विज्ञापन फिर Saurabh Dwivedi जी का उसके इंटरव्यू के लिए वहाँ पर अवतरित होना किस और इशारा करता है ? इसमें कोई बुराई नही की उन्होंने या उनके संसथान ने पैसा लेकर किसी को प्रचारित किया।
भैया यहाँ पर टीवी के पैनेल में बैठे पैन्लिस्ट तक पैसा देकर अपना नाम और सोहरत करवाते हैं फिर अपने प्रोफाइल में टीवी पैनालिस्ट लिखते हैं और यहीं उनकी मुर्खता भी है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद को पैनालिस्ट बताये इससे ज्यादा हाश्यस्पद क्या हो सकता है ? you know its a joke.
लेकिन साधारण सी खबर भी जब कोई समाचार संस्था जबरदस्ती पैसे देकर लोगों को दिखाती है जैसे मान लो The Lallantop show को sponsored section में जाना परे मतलब की एक news बुलेटिन के शो को जिसके लिए देखने वाले को पैसा देना चाहिए मगर दिखानेवाला पैसा दे रहा। तो वही प्रोपगेंडा है ।
क्लियर कर दू की lalantop ऐसा कभी नही करता वो सिर्फ इंटरव्यू आदि को अनुरोध पर उसके ही पैसे लेकर sponsored section में दिखाता है मतलब की उसके रीच के लिए उसने फेसबुक, google या फिर अन्य को पैसा दिया हो। और इसमें मेरे ख्याल से कोई बुराई भी नही।
लेकिन जब खबर या news बुलेटिन के show या फिर सूचनाओं को पहुचाने के लिए कोई News संसथान प्लेटफार्म को पैसा देता है तो इसका व्यापक असर इन (facebook , ट्वीटर और अन्य ) प्लेटफॉर्म्स की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर पड़ता है।
उस खबर / सूचना को समझ ही नही पाती की यह News है या फिर या फिर कोई ऐसी संसथान है जिससे हम पैसा लेकर इसे बढ़ावा देना है या नहीं !
इसके दुष्परिणाम
हम लोगों की तरह जो इन मंचों पर नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों की स्थापना करना चाहते हैं, उनकी आवाज को भी दबा दिया जाता है। कारण जिन्होंने पैसा देकर प्रोपगेंडा फैलाया अब उन प्लेटफॉर्म्स का AI सबको ऐसे ही ट्रीट करता है भाई साहेब मशीन है एक बार जो फीड हुआ सो हुआ इसका दुष्परिणाम यह होता है की सही खबर भी सही समय में लोगो तक कोई नया संसथान पंहुचा ही नही सकता मतलब एक सम्भावना का पतन लेकिन निरंतर प्रयास से और ढीठ बन जाने से एक दिन किसी व्यक्ति की आप पर नजर पड़ती है फिर AI को आपके लिए सही से कॉन्फ़िगर किया जाता है तब आपकी रीच अपने आप बढ़ जाती यह एक लम्बी परक्रिया है जिसको निरंतर काम करने से ही हांसिल किया जा सकता है और ये मुश्किल किसने खड़ा किया यही चाटुकार पत्रकार जो वास्तव में पक्षकार है । वास्तव में एडवरटाइजर कौन हो सकता है तो बड़ा ही सरल उत्तर है जो व्यक्ति कोई वस्तु या सेवा बेच रहा हो जैसे कोई कंप्यूटर बेचता है या फिर कोई सर्विस देता है। जिसमे उसे लोगो से मिलना परे डिटर्जेंट पाउडर वाला आदि मगर जब कोई न्यूज़ संसथान जब सर्फ़ बेचने वाले की तरह ही बर्ताव इन प्लेटफार्म से करता है तब इन प्लेटफॉर्म्स के मसीन के दिमाग में दिक्कत आ जाती है वो सूचनाओं/खबर और डिटर्जेंट पाउडर वाले में फर्क भूलकर सबको एक ही डंडे से हाकने लगता है ।
खबर और प्रोपेगेंडा या फिर advertisement में आपको अंतर करना सीखना पड़ेगा।
कुछ डिटर्जेंट छाप संसथान के उदाहरण
जैसे पिछले दिनों LiveCities BIHAR ने यामहा की एक खबर चलाई उसमे उसने उस प्रोडक्ट की सिर्फ खूबी का बखान ही किया मगर उसकी खामिया गिनवाना भूल गये , कभी किसी राजनेता का इतिहास ही बताया लेकिन उसमे भी वो उसकी सिर्फ खूबी गिनवाते रहे फिर वो प्रोपगेंडा है, पिछले दिनों आप ऐसा करते Janta Junction को भी देख सकते हैं बिजली के दाम घट गये बिहार सरकार ये करेगी वो करेगी ये फायदा होगा मगर जमीनी हक्कित क्या है ? और भी है जैसे न्यूज़ हाट वही भेलारी बाबा का जो आनंद मोहन जैसे बाहुबली के फैन हैं ।
तो इन संस्थानों ने अपने नैतिक मूल्य और सिद्धांत बेच दिए हैं। कारण ? क्योंकि आज के समय में पैसा नैतिक मूल्य और सिधांत से ऊपर निकल गया है। फिर भी कुछ लोग है
अच्छा न्यूज़ वाला कौन है
जैसे आप The Lallantop देख लीजिये।
हम लोगो का भी प्लेटफार्म (AWARE NEWS 24 ) आप देख सकते हैं।
व्यक्ति बुडा या अच्छा नही होता उसके विचार अच्छे और बुडे होते हैं। जिस दिन आप देखे की हमलोगों ने पैसे देकर अपने संसथान के किसी भी कार्यकर्म को (इनमे इंटरव्यू सामिल नही है ) आगे बढाने की कोसिस की आप हमें भी देखना और पढना छोड़ सकते है। क्योंकि जो व्यक्ति दुसरो पर कीचड़ उछाल रहा है क्या वो दूध का धुला है ? तो भैया हम सीसे में अपनी नजर से नजर मिलाकर बात करते है। बाद बांकी कृष्ण मेरी दिशा और दशा तय करते हैं और कोई नही क्योंकि ।।कृष्ण है तो कर्म है।। और ।।कर्म है तो कृष्ण है।।
।।राधे राधे।।
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