लेखक की विशेष टिप्पणी
दो तीन दिन से ठीक से नींद नही आई है जब से ये sdm वाली खबर मीडिया में आई मन विचलित था लेख लिखने के बाद भी मन से पीड़ा जा नही रही क्योंकि कौन सा पाप किया है उस sdm ने और कॉल रिकॉर्डिंग में उसका पति फुहर और रोड छाप की तरह बात कर रहा है. अपनी स्त्री से कोई ऐसे बात करता है और महिला तो कह ही रही है मुझे तलाक चाहिए मगर उस लड़के को व्यह विचार से समस्या है ही नही समस्या है एक मोटी आसामी हाँथ से न निकल कैसे जाए ? आखिर खिला पिला कर बड़ा किया बकड़े को हलाल तो कसाई ही करेगा ना ! कोई और कैसे खा जाएगा ? और खाने दे ? हम समाज के सारे कसाइयो को इकठा करके तुम्हे बदनाम करेंगे. तुम्हारी इज्जत को सरे बाजार नीलाम भी करेंगे. ! क्या इश्क शादी मोह्बत ऐसा होता है ?अगर ऐसा होता है फिर मैंने ऐसा न तो इश्क किया न शादी की . जहां अधिकार मोल भाव नफ़ा नुक्सान है वहां पर प्रेम का कोई काम ही नही है राधे राधेन है वहां पर प्रेम का कोई काम ही नही है राधे राधे
एक उत्तर प्रदेश की sdm साहिबा का मामला प्रकाश में आया है उसपर लोग उन्हें खूब भला बुरा कह और लिख कर reel बना रहे हैं अब क्या सही क्या गलत आज अपने साले साहेब Shashi Kant Mishra जी की story देखि तुरंत जबाब लिख भेजा उसी जबाब की एक कॉपी आपसे साझा कर रहा हु उम्मीद है कुछ लोग कुंठित होंगे और कुछ लोगो को ज्ञान मिलेगा और इगनोर तो समाज ने कर ही दिया है फिर भी ये लेख आपके लिए
बबुनी के शहर के हावा नइखे लागल बा बबुनी कर्म में प्रेम खोज ले ले बा , विवाह जब हम करते हैं तब शादी के वचनों के वक्त एक साथ रहने की कसमे भी खाते हैं.
मगर जैसे ही हम इस वचन को तोड़ेंगे पत्नी या पति की से दुरी या विरक्ति मतलब हमने वचन को तोड़ दिया.
फिर यही होगा, इसमें कोई आश्चर्य नही और ना ही इसमें लड़की (SDM साहिबा) की गलती है.
कर्म प्रेम को ढूंढता है और प्रेम होता कैसे है ? तो जो गुण आपमें नही अगर वो आपके साथी या सहकर्मी में है फिर प्रेम उत्त्पन होगा बहुत सारे बचपन के दोस्त दोस्त ही रह जाते है क्योंकि उन दोनों ने एक दुसरे में कोई ऐसा लक्ष्ण या गुण देखा ही नही जिसकी दुसरे को जरूरत है या एक ने देखा दुसरे ने नही फिर भी प्रेम अधूरा रह जाएगा या मुक्कमल नही होगा.
यहाँ पर अगर पति पत्नी साथ में है तब आपकी शारीरिक इछाओ की पूर्ति हो रही है इसलिए सिर्फ प्रेम रहेगा और स्मभोग संभव नही क्योंकि शारीर को उसकी जरूरत नही.
मगर जैसे ही दोनों दूर है, वैसे ही ये होगा और सम्भोग भी होगा क्योंकि शरीर की मांग और प्रेम मर्यादा और समाज को ताख पर देती है.
यहाँ पर इस दृष्टिकोण में सबसे जरुरी बात की ये हुआ क्यों ?
- तो इसका सीधा उत्तर है सामाजिक व्यवस्था में जो वचन लिए गये उनको भूल जाना.
- पति पत्नी का दूरस्थ सम्बन्ध
- शारीरिक इच्छा/जरूरत
पहले नियम को पालन करने से बाद बांकी सभी चीजे खत्म हो जायेगी प्रेम और सम्भोग दोनों ही अलग थलग है अब इसमें sdm साहिबा का कोई दोष नही.
और जो लड़का यह कह रहा है की मैंने उसको पढाया यहाँ पर अधिकार का बोध से गर्षित है मतलब की उसने कभी उस लड़की से प्रेम किया ही नही बस दिखावे में ओत प्रोत था प्रेम में लेने देने का हिसाब नही होता. और जब करेंगे फिर नफे और नुक्सान के लिए भी तैयार रहिये आज ये सब होने के बाद वो समाज को ये बता रहा है. फिर इससे पहले वो उस महिला को भी कहता होगा की मैंने तुम्हारे लिए ये किया वो किया जिससे की विरक्ति उत्प्प्न होना स्वाभाविक है. फिर भी इसको रोका जा सकता था साथ रहकर लेकिन पैसो की भूख और पुरुष का अहंकार की अब मै उसके पैसो पर कैसे प्लु sdm की सैलरी में घर चलाया जा सकता था मगर हुआ क्या ? पुरुष का अहंकार की हम एक महिला के टुकडो पर कैसे पले ? अब बेटा लुट गया घर बार अब करो कोर्ट कचहरी जिंदगी बर्बाद उस लड़के की हुई क्योंकि वो अहंकार में जी रहा है. लड़की तो खुस है ही और उसको होना भी चाहिए क्योंकि एक अहंकारी पुरुष से पीछा जो छुटा.
जो लोग भी विवाह जैसे पवित्र बंधन में बंधे वो सबसे पहले सातो वचनों का ख्याल रक्खे तभी दाम्पत्य चल पाएंगा नही तो इसी तरह की विसंगतिया देखने को मिलेगी
आइये इसको एक कहानी से समझते हैं
मामला क्या था
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