भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह और म्यूजिक कम्पोजर व प्रोड्यूसर सलीम सुलेमान की जोड़ी ने एक बार फिर से भारतीय संगीत जगत में सुर्खियों में है। वजह है उनका नया गाना ‘याद आती नहीं’, जो आज ही रिलीज हुआ है। यह हिंदी गाना सलीम सुलेमान के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल से रिलीज हुआ और यह टॉप 15 ट्रेंड में ट्रेंड भी करने लगा है। पवन सिंह के लिए यह एक नया रिकॉर्ड है, जिसकी बराबरी भोजपुरी जगत से अभी तक किसी ने नहीं की है।

 

आपको बता दें कि सलीम सुलेमान और पवन सिंह का कोलेब्रेशन इससे पहले गाना ‘बबुनी तेरे रंग’ में देखने को मिला था, जो खूब वायरल हुआ था। उसके बाद अब एक बार फिर से दोनों की दस्तक ने उनके फैंस के बीच जुनून पैदा कर दिया है। तभी गाना ‘याद आती नही’ को वे खूब पसंद कर रहे हैं। दरअसल, यह एक इमोशनल गाना है, जो दिल से कनेक्ट होता है।दोनों पिछले कुछ दिनों से इस हिंदी सॉन्ग ‘याद आती नहीं’ को लेकर  चर्चा में थे, जिसे लेकर फैंस का इंतजार अब खत्म हो चुका है।

इस  इमोशनल म्यूजिक वीडियो  को सलीम सुलेमान ने तैयार किया है। गाने का म्यूजिक कमाल का है, जो कि श्रद्धा पंडित के लिरिक्स के साथ दिल में दस्तक दे रहा है। इनका वीडियो रिलीज होते ही इंटरनेट पर छा गया है और ये लोगों को खूब पसंद आ रहा है। पीआरओ रंजन सिन्हा है।

बात अगर इस गाने की म्यूजिक वीडियो की करें तो पवन, इसमें एक्टर पंजाबी एक्ट्रेस प्रियंका खेरा के प्यार में नजर आ रहे हैं। मगर वो पवन को धोखा देती हैं और किसी और से अफेयर कर बैठती हैं, जिसे एक दिन खुद पवन देख लेते हैं और उनका दिल टूट जाता है। पवन एक दम टूट जाते हैं। अगर आपने भी कभी प्यार किया है और दिल टूटा है तो यकीन मानिए गाने के लिरिक्स इतने प्यारे हैं कि आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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