लोगों को पर्यावरण शिक्षा दिये जाने की जरूरत : रागिनी रंजन
पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रत्येक व्यक्ति को हर संभव प्रयास करने चाहिए : राजीव रंजन प्रसाद

पटना, 29 मई | ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के सौजन्य से गो ग्रीन अभियान के तहत पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी संतुलन के लिए पेटिंग कंपटीशन का आयोजन किया जा रहा है।
जीकेसी का गो ग्रीन अभियान की शुरूआत जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन के मार्गदर्शन में समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। रागिनी रंजन ने बताया कि “धरा नहीं, तो सब धरा रह जायेगा”इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए हमलोग एक पेटिंग कंपटीशन का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें सभी बच्चे भाग ले सकते हैं। आयु वर्ग:1. 4 से 8 साल 2. 8 से 15 साल और 15 साल से उपर रखी गयी है।

रागिनी रंजन ने बताया कि प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 31 मई निर्धारित की गयी है। एक बच्चे के द्वारा एक ही प्रविष्टि मान्य होगी। हर वर्ग में तीन प्रविष्ठियों को पुरुस्कार मिलेगा। चयनित और पुरुष्कृत प्रविष्ठियों को ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस अपने गो ग्रीन मुहिम में प्रयोग करेगा। सभी बच्चों को प्रतियोगिता में भागीदारी का प्रमाण पत्र दिया जाएगा।ज्यूरी मेंबर फेसबुक लाइव पर परिणाम की घोषणा 05 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर करेंगे।

श्रीमती रागिनी रंजन ने बताया कि पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है। “परि” जो हमारे चारों ओर है”आवरण” जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए।पर्यावरण में वायु जल भूमि पर पौधे जीव जंतु मानव और इनकी गतिविधियों का समावेश होता है। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का ध्यान रखना हमारा परम दायित्व बनता है। सभी को अपने स्तर पर पर्यावरण बचाने पर योगदान देना चाहिए। आसपास लगे पेड़ों को जीवित रखें। उनकी देखभाल करें। जहां जरूरी हो वहां पौधे लगाएं। आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं है। लोगों को पर्यावरण शिक्षा दिये जाने की जरूरत है, जिसमें बताया जायेगा कि प्राकृतिक पर्यावरण के तरीके और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण को बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे व्यवस्थित रखना चाहिए।

जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। अपने परिवेश में हम तरह-तरह के जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तथा अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं। ये सब मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं। पर्यावरण ने मानव को बहुत कुछ दिया है जिससे एक उत्कृष्ट मानव-संस्कृति उद्भत हुई है लेकिन मानव स्वार्थ से अन्धा होकर पर्यावरण के विनाश में संलग्न है।इस कारण पर्यावरण पर दो दबाव उत्पन्न हुआ है उससे पर्यावरण का संतुलन डगमगा गया है। पर्यावरण संबंधी अनेक विसंगतियाँ उत्पन्न हो गई है, जिनसे न केवल कई मानवेत्तर प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही है बल्कि मानव के अस्तित्व पर भी भविष्य में प्रश्नचिन्ह लगने जैसी स्थिति उत्पन्न होने की सम्भावनाएँ प्रबल हो गई है।पर्यावरण संरक्षण एक ज्वलंत समस्या है। इसके निराकरण के लिये विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को हर संभव प्रयास करने चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा हर किसी की जिम्मेदारी है।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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