फीजियोथेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी- हड्डी एवं नस संबंधी विकृतियों के समाधान के लिए वरदान हैफीजियोथेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी- हड्डी एवं नस संबंधी विकृतियों के समाधान के लिए वरदान है

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना , 10 जून ::

चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे पहले मेडिसीन से इलाज शुरू हुआ। इसके बाद दवा से ठीक नहीं होने वाली बीमारियों के लिए सर्जरी (शल्य चिकित्सा) का पदार्पण हुआ। इन दोनों के बाद चिकित्सा के क्षेत्र में तीसरी शाखा का आगमन हुआ जिसे फीजियोथेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी कहा गया। यह मेडिसीन एवं सर्जरी से बिल्कुल अलग है। इस चिकित्सा में बिना दवा एवं सर्जरी के ही दिव्यांगता, आर्थराइटिस नसों का ब्लाकेज, ब्लड का ब्लाकेज, लकवा, हड्डी एवं जोड़ों सेरीब्रल पल्सी (मस्तिष्क का लकवा) आदि से जुड़ी समस्याओं का इलाज शारीरिक व्यायाम (एक्सरसाइज) एवं विभिन्न थेरापी के द्वारा किया जाता है।

आम लोगों की यह धारणा है कि विकलांग अस्पताल में सिर्फ दिव्यांग रोगियों का उपचार होता है, लेकिन ऐसी बात बिल्कुल नहीं है। यहां ऐसे सभी लोगों का इलाज होता है जो हड्डी एवं नस संबंधी रोगों से पीड़ित हैं। इस संबंध में विकलांग, अस्पताल पटना के विभागाध्यक्ष, कंट्रोलिंग ऑफिसर एवं डीडीओ के पद पर कार्यरत डॉ० किशोर कुमार से मुलाकात कर कुछ जानकारियां वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र कुमार रंजन ने प्राप्त की, जिसके कुछ प्रमुख अंश निम्नप्रकार है:

सुरेन्द्र कुमार रंजन : फीजियो थेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी क्या है? यह किस पद्धति पर काम करती है?

डॉ० किशोर कुमार : यह मेडिकल की तीसरी शाखा है, जिसमें बिना दवा एवं चीरफाड़ (सर्जरी) के हड्डी एवं नस संबंधी बीमारियों को विभिन्न थेरापी एवं शारीरिक व्यायाम द्वारा उपचार किया जाता है।

आक्यूपेशनल थेरापी (व्यावसायिक चिकित्सा) द्वारा दिव्यांगों, नस संबंधी रोग, आत्मकेन्द्रित (आउटिज्म) अस्थिरोग सहित अन्य बीमारियों की चिकित्सा एडीएल (Activies of Daily Leaving) activities, Diversional therapy, Craft activities. Psycho Therapy सहित अन्य विधियों द्वारा बेहतर जीवन शैली जीने की कला और जीविकोपार्जन हेतु प्रशिक्षित किया जाता है। यह मेडिकल पद्धति पर ही काम करती है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : यह अन्य पैथी जैसे एलोपैथी, होमियोपैथी एवं आयुर्वेदिक से किस प्रकार भिन्न है?

डॉ० किशोर कुमार : इस पद्धति में शारीरिक व्यायाम इलेक्ट्रोथेरापी साइको थेरापी, डायवर्सनल थेरापी, क्राफ्ट एक्टिविटी सहित अन्य विधियों द्वारा रोगियों का इलाज किया जाता है। इसमें दवा या सर्जरी की कोई भूमिका नहीं होती है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : क्या यहां सिर्फ दिव्यांग (विकलांग) रोगियों का इलाज होता है या अन्य रोग के रोगियों का भी इलाज होता है?

डॉ० किशोर कुमार : यहां दिव्यांग रोगियों के साथ-साथ हड्डी जोड़ एवं नस संबंधी रोगों जैसे लकवा, आर्थराइ‌टिस, नसों का ब्लाकेज, सेरीब्रल पल्सी (मस्तिष्क का लकवा) आदि का भी उपचार किया जाता है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : फोजियोथेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी द्वारा किन-किन रोगों का उपचार किया जाता है?

डॉ० किशोर कुमार : इस पद्धति से दिव्यांग, लकवाग्रस्त, सेरीब्रल पल्सी (मस्तिष्क का लकवा), नस संबंधी ब्लाकेज, आर्थराइ‌टिस, हड्डी एवं जोड़ संबंधी रोगों से ग्रसित रोगियों का उपचार किया जाता है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : रोगियों को यहां कौन कौन सी थेरापी दी जाती है?

डॉ० किशोर कुमार : रोगियों को यहां फीजिकलथेरापी, आक्यूपेशनल थेरापी, इलेक्ट्रो थेरापी सहित अन्य थेरापी दी जाती है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : यहां इलाज कराने की प्रक्रिया क्या है? क्या यहां बिल्कुल मुफ्त इलाज किया जाता है?

डॉ० किशोर कुमार : यहां इलाज कराने के लिए सर्वप्रथम 5 रूपये देकर रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) कराना पड़ता है। इसके बाद आउटडोर में चिकित्सक देखते हैं और बीमारी के अनुसार विभिन्न कमरों में इलाज के लिए भेजते हैं। । यहां आउटडोर एवं इनडोर दोनों तरह की व्यवस्था है। यहां 35 बेड (शैय्या) का एक इनडोर वार्ड भी है जहाँ दूर-दराज से आए लाचार रोगियों को भर्ती किया जाता है। बिहार सरकार की ओर से इन्हें मुफ्त रहने, मुफ्त खाने एवं मुफ्त इलाज कराने की सुविधा दी जाती है। यहां इलाज बिल्कुल मुफ्त होता है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : यहा मुख्य रूप से कौन -कौन सा उपकरण उपलब्ध हैं?

डॉ० किशोर कुमार : यहां आक्यूपेशनल थेरापी एवं फीजियोथेरापी कराने के लिए लगभग सारे उपकरण उपलब्ध हैं।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : फीजियोथेरापी में अल्ट्रासोनिक थेरापी, इलेक्ट्रो थेरापी, आई एफ टी एवं टेन्स की क्या भूमिका है?

डॉ० किशोर कुमार : इन सभी की अलग-अलग भूमिका है। अल्ट्रासोनिक थेरापी के माध्यम से ब्लड क्लौटिंग, नसों के ब्लाकेज, जोड़ों के दर्द एवं आर्थराइटिस का इलाज किया जाता है। इलेक्ट्रो थेरापी टेन्स एवं आई एफ टी के माध्यम से हड्डी के जोड़ों का दर्द, आर्थराइ‌टिस के दर्द, नसों के ब्लॉकेज के कारण होने वाले दर्द में राहत दिलाई जाती है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन : फीजियोथेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी की डिग्री कैसे और कहां से मिलती है?

डॉ० किशोर कुमार : फीजियोथेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी की डिग्री प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम बीसीईसीई द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल होना पड़‌ता है। इसमें उत्तीर्ण अभ्यार्थियों का नामांकन बिहार कॉलेज ऑफ फीजियोथेरापी एवं आक्यूपेशनल थेरापी में किया जाता है। यह कोर्स साढ़े चार वर्षों का होता है। इसकी वार्षिक परीक्षाएँ बिहार मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित की जाती है। 2023 से पहले वार्षिक परीक्षाएं आर्यभट्ट विश्वविद्यालय द्वारा ली जाती थी। बिहार कॉलेज ऑफ फीजियोथेरापी एंड आक्यूपेशनल थेरापी पूरे बिहार का इकलौता स्वतंत्र कॉलेज है । यह पटना मेडिकल कॉलेज के परिसर में अवस्थित है। यहाँ पर Anatomy, Phycology, Pathology, Biochemistry, Pharmachology, Surgery, Psychiatri सभी की कक्षाएं चलती है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन ने बताया कि डॉ० किशोर कुमार को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त करके इन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में बिहार का नाम गौरवान्वित किया है। उन्हें 11 सितम्बर 2016 को बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा “सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेन्सी”, 17 फरवरी 2017 को ऑल इंडिया आक्यूपेशनल थेरापिस्टस एसोसिएशन द्वारा “प्रोफेशनल एक्सीलेन्स अवार्ड”, नवम्बर 2023 में एम्स नई दिल्ली के द्वारा “लाइफ टाइम एक्चीवमेंट अवार्ड”, 29 मई 2024 को “नेशनल कमीशन फॉर एलाइड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स ,नई दिल्ली द्वारा सदस्य मनोनीत किया गया।

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