पटना, 07 जनवरी : वैश्विक महामारी कोविड 19 के मानसिक रोग से परेशान लोगों की संख्या 20% तक पहुँच गयी है, जो चिंताजनक है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के लिए समाज को जागरूक होना बेहद जरूरी है। उक्त बातें आज राजधानी पटना  के होटल मौर्य में आयोजित इंडियन सायकिएट्रिक सोसायटी के स्थापना दिवस पर सोसायटी के संयोजक डॉ विनय कुमार ने कही। उन्होंने बताया कि आज पहली बार इंडियन सायकिएट्रिक सोसायटी अपना स्थापना दिवस पटना में मना रहा है।
उन्होंने कहा कि इंडियन सायकिएट्रिक सोसायटी की स्थापना 7 जनवरी 1947 को दिल्ली में इंडियन साइंस कांग्रेस के दौरान  हुई थी। एक साल बाद 2 जनवरी 1947 को सोसायटी का पहला कॉन्फ़्रेन्स पटना में हुआ और पटना में ही 30 दिसम्बर 1948 को सोसायटी का निबंधन हुआ। वहीं, स्थापना दिवस समारोह में डॉ पी के सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पटना विवि से डॉक्टर एल॰ पी वर्मा ने 1941 में एम डी सायक़िएट्री किया। वे देश के पहले एम डी सायक़िएट्री थे।
उद्घाटन सत्र में बोलते हुए IGIMS के निदेशक डॉक्टर एन आर विश्वास ने सोसायटी को बधाई देते हुए समाज को जागरुक और शिक्षित करने का आग्रह किया। इंडियन सायकिएट्रिक सोसायटी के प्रेसिडेंट डॉक्टर पी के दलाल ने सरकार से अपील की कि MBBS के कोर्स में सायक़िएट्री को महत्त्व देकर पढ़ाए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने हर मेडिकल कॉलेज में एम डी सायक़िएट्री की पढ़ाई शुरू करने का भी आग्रह किया। उनका कहना था कि कॉमन मानसिक रोगों का इलाज सर्दी खाँसी के इलाज की  तरह हर जगह उपलब्ध हो, यह ज़रूरी है।
वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर गौतम साहा ने कहा कि हम पूरे सप्ताह मानसिक स्वास्थ्य के लिए समाज को जागरुक करने जा रहे हैं।
वैज्ञानिक सत्र में इंडियन सायकिएट्रिक सोसायटी के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक योगदान को याद किया गया औ देश में मनोचिकित्सा के क्षेत्र में विकास को रेखांकित किया गया।  इस सत्र में चण्डीगढ़ से प्रो सविता मल्होत्रा, एम्स दिल्ली के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश चड्ढा, हैदराबाद से डॉक्टर प्रसाद राव, और मुम्बई से डॉक्टर अलका ने अपने विचार रखे। ब्रिग एम एस वी के राजू, डॉक्टर पी के दलाल, डॉक्टर ओम् प्रकाश सिंह, और डॉक्टर टीएसएस राव ने पटना में मंच से अपना व्याख्यान दिया।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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