पटना, 11 जुलाई: विश्व जनसंख्या दिवस पर यूनिसेफ बिहार के सहयोग से सीआईएमपी के सेंटर फॉर क्लाइमेट रेजिलिएंस, डिजास्टर रिस्क रिडक्शन और वॉटर सेनिटेशन एंड हाइजीन (डब्ल्यूएएसएच) रिसर्च एंड एजुकेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित युवा समागम ‘फ्यूचर गार्डियंस ऑफ बिहार: यूथ क्लाइमेट कॉन्क्लेव’ में जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु युवा, सरकारी अधिकारी, विकास भागीदार और नागरिक समाज संगठन के प्रतिनिधि एकजुट हुए। इस सम्मेलन जिसका उद्देश्य राज्य में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता की गंभीर चुनौतियों का समाधान करने के लिए युवाओं को सशक्त बनाना था में विभिन्न स्कूल और कॉलेजों के 500 से अधिक युवाओं और किशोर-किशोरियों सहित सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने शिरकत की।

बिहार ग्रीन बजट लागू करने वाला देश का पहला राज्य: बंदना प्रेयसी
अपने मुख्य भाषण में, बिहार सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग की सचिव, बंदना प्रेयसी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मौसम और पानी से परे स्वास्थ्य संकट, जैव विविधता हानि और आर्थिक व्यवधानों तक फैला हुआ है। जलवायु कार्रवाई सिर्फ एक नीति नहीं है; यह एक ऐसा आंदोलन है जिसमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऊर्जा संरक्षण से लेकर प्लास्टिक के उपयोग को कम करने तक शमन प्रयासों में व्यक्तिगत व्यवहार परिवर्तन मुख्य योगदान देगा। उन्होंने कहा कि बिहार ग्रीन बजट लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष में 4 करोड़ पौधे लगाए थे और इस वर्ष 4.5 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है।
शहरी हरियाली को ‘नगर वन’ पार्क या हरे पार्क के माध्यम से बढ़ाया जा रहा है, जो शहरी फेफड़ों के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग दक्षिण एशियाई देशों के लिए यूनिसेफ के सहयोग से एक अंतरराष्ट्रीय युवा सम्मेलन की मेजबानी करना चाहता है। उन्होंने सभी से ऐसे भविष्य की दिशा में काम करने का आह्वान किया जहां अर्थव्यवस्था में प्रगति से जलवायु को हानि न पहुंचे और बिहार समेत समूचे विश्व के लिए एक टिकाऊ कल को आकार मिल सके।

सीआईएमपी और यूनिसेफ ने युवाओं से जलवायु कार्रवाई के लिए आह्वान किया
कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख मार्ग्रेट ग्वाडा ने कहा कि इस वर्ष यूनिसेफ भारत में अपना 75वां वर्ष मना रहा है। यूनिसेफ चिल्ड्रन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (सीसीआरआई) जो गंभीर जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों में बच्चों के गंभीर जोखिम को रेखांकित करता है के अनुसार 163 देशों में भारत का 26वां स्थान है। इसका तात्पर्य यह है कि बिहार सहित भारत में बच्चे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की वजह से सबसे अधिक ‘जोखिम में’ हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा को खतरा है और उनकी भेद्यता बढ़ रही है। इसलिए, यूनिसेफ बच्चों और युवाओं को चेंज एजेंट के रूप में सशक्त बनाने, पर्यावरण नीति निर्णय लेने में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने आगे कहा कि युवा सम्मेलन का आयोजन युवा रचनात्मकता को अनुकूलित करने और उसका लाभ उठाने, उनमें स्वामित्व और जवाबदेही की भावना को बढ़ावा देने, जलवायु परिवर्तन पर उनकी राय को समझने और उनकी जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर हमारी रणनीतियों को अपनाने के लिए किया गया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, सीआईएमपी के निदेशक प्रोफेसर राणा सिंह ने कहा कि विचारों की विविधता से लेकर ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने वाली मानव निर्मित और प्राकृतिक आपदाओं की कठोर वास्तविकताओं तक, हम प्रतिदिन जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों का सामना करते हैं। पानी की कमी और रासायनिक संदूषण जैसे मुद्दे आगे के खतरनाक रास्ते को रेखांकित करते हैं और हमें एहसास दिलाते हैं कि एक विकासशील देश को एक विकसित देश में बदलने का निर्णय युवाओं के कंधों पर है। कल का भविष्य, ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को रोकने के लिए, हम आज जो कदम उठाते हैं उस पर निर्भर करता है।
यूनिसेफ में सीसीईएस सलाहकार निरमा बोरा ने अपनी तकनीकी प्रस्तुति में जलवायु कार्रवाई में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। इसके बाद जमीनी स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन किया गया, जिसमें ओडिशा, महाराष्ट्र और कर्नाटक के युवाओं के नेतृत्व वाली पहल जैसे जल संरक्षण और हरित कौशल विकास के लिए प्रभावी रणनीतियों का प्रदर्शन किया। जलवायु परिवर्तन पर सोशल मीडिया अभियान पर एक सत्र में, प्रतिभागियों को डिजिटल एडवोकेसी के उपकरणों और तकनीकों के अलावा जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी गई।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर यूनिसेफ के यूथ एडवोकेट कार्तिक वर्मा ने जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए युवाओं की भागीदारी पर प्रकाश डालते हुए अपनी क्लाइमेट एडवोकेसी गतिविधियों की अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभाव को कम करने के लिए केवल शब्द पर्याप्त नहीं हैं। युवाओं को अब कार्य करना चाहिए। यह युवाओं पर निर्भर है कि वे इस क्षण का लाभ उठाएं, बदलाव लाएं और एक स्थायी भविष्य बनाएं।
इस कार्यक्रम ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से पहल की एक श्रृंखला की सफलतापूर्वक शुरुआत की। युवा समागम ने युवाओं के नेतृत्व वाली जलवायु कार्रवाई के लिए एक शक्तिशाली मिसाल भी कायम की।
कार्यक्रम का समापन एक आह्वान के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता के सक्रिय एजेंट बनने का आग्रह किया गया। सीआईएमपी के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कुमोद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम के दौरान यूनिसेफ, पीएचईडी और जल-जीवन-हरियाली मिशन के अधिकारियों के अलावा एनएसएस स्वयंसेवक, एनवाईकेएस और सीएसओ प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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