पटना 08 अगस्त 2024
आज बिहार ललित कला अकादमी में पुरातत्व निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा “पुरातात्विक स्मारकों एवं स्थलों के संरक्षण” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की विशेष सचिव श्रीमती सीमा त्रिपाठी द्वारा निदेशक, संग्रहालय एवं पुरातत्व निदेशालय, श्री राहुल कुमार, डॉ सुजीत नयन, कार्यपालक निदेशक, बिहार विरासत विकास समिति, डॉ सुरजीत मैती, पूर्व निदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, विज्ञान शाखा, डॉ डी एन सिन्हा, श्री तपन भट्टाचार्या, पुरातात्विक संरक्षण, कला संस्कृति एवं युवा विभाग विशेषज्ञ एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की विशेष सचिव श्रीमती सीमा त्रिपाठी ने कहा कि संग्रहालय, पुरातात्विक स्मारक और स्थल हमारी धरोहर हैं । यह हमारे इतिहास को जानने का सबसे बेहतर माध्यम है। यह हमारी जिम्मेवारी है कि जो स्मारक एवं धरोहर हमारे पास हैं वो उसी प्रकार से आने वाली पीढ़ी के लिए हम उसे सुरक्षित और संरक्षित रखें।
पुरातात्विक स्मारकों एवं स्थलों का संरक्षण काफी महत्वपूर्ण विषय है यह पहली बार है जब विभाग के द्वारा अन्य विभागों के अभियंताओं को इसके बारे मे प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के पुरातात्विक स्मारकों एवं स्थलों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित करने के बारे में इसके हितधारकों को जागरूक करना है।
कार्यक्रम के बारे में बताते हुए निदेशक, संग्रहालय एवं पुरातत्व निदेशालय, श्री राहुल कुमार ने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम में पुरातात्विक इमारतों एवं स्थलों के संरक्षण, कलाकृतियों का वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण के बारे मे बताया जाएगा। इस दौरान उनके रखरखाव के बारे में विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञों के द्वारा विस्तृत जानकारी दी जाएगी। कार्यशाला के पहले दिन प्रतिभागियों को वैशाली के सुरक्षित स्मारक नेपाली मंदिर ले जाकर उन्हें व्वयहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यशाला के दूसरे दिन सभी विशेषज्ञों के द्वारा पटना के गोलघर में प्रतिभागियों को लाइम स्टोन के माध्यम से संरक्षण के बारे में बताया जाएगा।
तकनीकी सत्र के दौरान पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ डी एन सिन्हा ने कहा कि यह सबसे महत्वपूर्ण है कि जो भी सुरक्षित स्मारक एवं स्थल है, उसकी घेराबंदी हो । इसके साथ इसके साथ ही वहाँ पौधरोपण किया जाए एवं साथ ही वहाँ ड्रैनेज सिस्टम की व्यवस्था होनी चाहिए।
कला संस्कृति एवं युवा विभाग के पुरातात्विक संरक्षण विशेषज्ञ श्री तपन भट्टाचार्या ने अपने प्रस्तुतीकरण में कुछ स्मारकों के चित्रों को दिखा कर बताया कि किसी भी स्मारक के रिपेयर के लिए उसमें प्रयुक्त मूल सामग्री का प्रयोग किया जाना चाहिए । कौन सी सामग्री किस इमारत के लिए उपयुक्त होगी इसके बारे में हमें उस इमारत से ही जानकारी मिलेगी। आज जो भी भवन निर्माण की सामग्रियों का प्रयोग कर इमारतों का निर्माण किया जा रहा है उनकी उम्र 60 या 70 साल है लेकिन हमारे जो पुराने स्मारक और इमारत हैं वो सैकड़ों सालों से सुरक्षित हैं । पुराने स्मारकों के संरक्षण के लिए सीमेंट का प्रयोग करना सही नहीं है।
तकनीकी सत्र के अंत मे बिहार विरासत विकास समिति के कार्यपालक निदेशक डॉ सुजीत नयन ने पुरातात्विक उत्खनन एवं उससे प्राप्त भग्नावशेषों के प्राथमिक संरक्षण कार्य के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया।
तकनीकी सत्र के बाद सभी प्रतिभागियों को व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए वैसाली के नेपाली मंदिर ले जय गया जहां उन्होंने लकड़ियों से बने भवन के संरक्षण की विधा सीखी। इस कार्यक्रम के पुरातत्व निदेशालय के पदाधिकारियों के साथ ही भवन निर्माण निगम के अभियंताओं ने भाग लिया।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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