पटना, 9 फरवरी:”बिहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की उद्गम स्थली है। हालांकि, हम अपनी सभ्यतागत परंपराओं से कुछ हद तक कट गए हैं। वास्तव में, सदियों के विदेशी शासन के कारण हमारे अंदर हीन भावना विकसित हो गई है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी सभ्यता 5,000 साल पुरानी है। इसलिए, हमें समाधान के लिए बाहर नहीं, बल्कि अपने भीतर देखना चाहिए। हमें अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं से फिर से जुड़ने और सभी चुनौतियों पर विजय पाने के लिए उन्हें अपनाने की जरूरत है,” उक्त बातें महामहिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जीटीआरआई 5.0 संवाद के समापन सत्र में कहीं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वेद, भगवद गीता और उपनिषदों के रूप में हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा हमें रंग, भाषा या पंथ जैसे विभेदकारी तत्वों की बजाए आत्मा केंद्रित एकता की सीख देती है। हमारी सभ्यता विविधता में एकता में विश्वास करती है।

जी.टी.आर.आई. क्यूरेटर अदिति नंदन के साथ एक सारगर्भित बातचीत में महामहिम राज्यपाल ने बिहार के अपने शुरुआती अनुभव को याद किया। उन्होंने जेपी आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी की यादें भी साझा कीं जिसके कारण उनका अक्सर पटना आनाजाना होता था। माननीय राज्यपाल द्वारा जी.टी.आर.आई. द्वारा प्रकाशित बिहार जर्नल के दूसरे संस्करण का भी अनावरण किया गया।

दूसरे दिन की पहली पैनल चर्चा में द इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली के उप संपादक अमिताभ सिन्हा ने कहा कि आज मीडिया का परिदृश्य अधिक लोकतांत्रिक हो गया है। मीडिया प्लेटफॉर्म के विस्तार के वजह से अब एक विषय पर विविध दृष्टिकोण सहज सुलभ हैं। उन्होंने आगे बताया कि मीडिया के प्रति विश्वास में कमी एक वैश्विक मुद्दा है। राजगीर में बुनियादी ढांचे के विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने अधिक से अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आवश्यकता पर बल देने के अलावा राज्य में हो रहे बदलाव को देश-विदेश में प्रभावी ढंग से प्रचारित-प्रसारित करने का सुझाव दिया।

वरिष्ठ पत्रकार ब्रजमोहन सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि जहाँ 1990 और 2000 के शुरूआती दशक में राष्ट्रीय मीडिया अपहरण और जातीय हिंसा जैसी नकारात्मक कहानियों पर केंद्रित था, अब स्थितियाँ बदल गई है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि बदलाव की कहानियों को अभी भी राजनीतिक समाचारों जितना कवरेज नहीं मिल रहा है। सोशल मीडिया के प्रभाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसने पारंपरिक मीडिया पर अपने मानकों को उन्नत करने का दबाव डाला है। साथ ही, दोनों पैनलिस्ट इस बात पर सहमत हुए कि पारंपरिक मीडिया अभी भी सोशल मीडिया के विपरीत एक विनियमित प्रक्रिया का पालन करता है। फर्स्टपोस्ट (ओपिनियन) के संपादक उत्पल कुमार ने सत्र का संचालन किया।

“पर्यटन: विकास का वाहक” पर केंद्रित एक अन्य परिचर्चा में ट्रिप टू टेम्पल्स के संस्थापक और सीईओ विकास कुमार ने बौद्ध, रामायण, जैन और सूफी सर्किट जैसे समृद्ध सांस्कृतिक सर्किटों का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। विशेषकर, धार्मिक पर्यटन को बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा सकता है।

मटरगश्ती ट्रैवल व्लॉग के संस्थापक मोहम्मद सैयद ने राज्य में 200 से अधिक जलप्रपातों का हवाला देते हुए बिहार की अप्रयुक्त एडवेंचर टूरिज्म क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने बिहार की समृद्ध विरासत से लोगों को जोड़ने के लिए सूचना और मनोरंजन के मिश्रण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अनदेखे स्थानों पर उनके वीडियो ने जागरूकता बढ़ाने के अलावा आजीविका के नए अवसर पैदा करने का काम किया है। उन्होंने ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने और उन्हें अधिक पर्यटक-अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय समुदायों और सरकार के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया, जिससे राज्य की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान मिलेगा।

अगले सत्र में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के उप महानिदेशक, आईएफएस अभय के. की पुस्तक पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि उनकी पुस्तक, ‘नालंदा: हाऊ इट चेंज्ड द वर्ल्ड’ में नालंदा के इतिहास के कम ज्ञात पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है तथा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त शिक्षा केंद्र के रूप में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। साथ ही, उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की।

एक अन्य पैनल चर्चा में इन्वेस्ट इंडिया में पूर्वी राज्यों के क्षेत्रीय प्रमुख अपूर्व कुमार ने बताया कि बुनियादी ढांचे की कमी के कारण बिहार अभी भी बड़े निवेश को आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने बेहतर सड़क मार्ग, बिजली और कुशल कार्यबल सहित बेहतर ढांचागत सुविधाओं की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, हालिया समय में आशाजनक निवेश हुआ है, बिहार अभी भी सीखने के चरण में है, जिसमें अधिकारी और निवेशक दोनों इस नए परिदृश्य को अपना रहे हैं। उन्होंने निवेश आकर्षित करने हेतु बिहारी प्रवासियों से संवाद स्थापित करने का सुझाव दिया और राज्य के ब्रांड को सफलतापूर्वक बढ़ावा देने के महत्व पर भी बल दिया।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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