पटना, 20 नवंबर: “मैं हर बच्चे-बच्ची को विश्व बाल दिवस की बधाई देता हूँ। मेरे बचपन के दौरान, गरीब और वंचित वर्गों के माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा और अन्य अधिकारों के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं थे। अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। सरकारी योजनाओं की मदद से बच्चे स्कूल जा रहे हैं और उन्हें कई सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। आज बच्चे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और मुखर हैं। हमें गरीब व वंचित परिवार से आने वाले बच्चों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने की जरूरत है। हम सभी को बिना किसी भेदभाव के हर बच्चे के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में समर्पित रूप से काम करने का संकल्प लेना होगा। उक्त बातें मदन सहनी, समाज कल्याण मंत्री, बिहार सरकार ने यूनिसेफ द्वारा विश्व बाल दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही।
यूनिसेफ द्वारा बच्चों के लिए तैयार की गई कॉमिक बुक का विमोचन समाज कल्याण मंत्री, आमिर सुबहानी, मुख्य सचिव, बिहार सरकार, नफीसा बिंते शफीक, राज्य प्रमुख, यूनिसेफ बिहार, प्रेम सिंह मीणा, सचिव, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार तथा आर.के. महाजन, वरिष्ठ सलाहकार, यूनिसेफ बिहार द्वारा किया गया। साथ ही, मौके पर उपस्थित बच्चों के बीच इनका वितरण भी किया गया। इस बाल सुलभ काॅमिक पुस्तक के ज़रिए बच्चों अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक होंगे किड्सटेकओवर के तहत कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन से लेकर रचनात्मक प्रदर्शन तक सब कुछ बच्चों ने स्वयं संभाला। बच्चों ने अपने प्रदर्शन के माध्यम से अपने साथ होने वाले विभिन्न प्रकार के भेदभावों को दर्शाया और उनके रोकथाम संबंधी सुझाव भी दिए। नंदिनी, सम्राट, भव्या और निकू, इन चार किशोर-किशोरियों ने पूरे कार्यक्रम को संचालित किया।
मुख्य सचिव ने बच्चों के सांस्कृतिक प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि “लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी…” ने मुझे अपने स्कूल के दिनों की याद दिला दी क्योंकि हम हर सुबह इस गीत को गाया करते थे। माननीय मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में ‘बैगलेस शानिवार’ की घोषणा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य भर के बच्चे इस पहल से बहुत खुश और उत्साहित हैं। आगे उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत प्रत्येक लड़की को जन्म से लेकर स्नातक तक सरकार द्वारा 94,100 रुपये की सहायता मिल रही है।
बच्चों के अनुरोध पर यूनिसेफ बिहार राज्य प्रमुख ने अपने मूल देश बांग्लादेश में अपने स्कूली जीवन के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता आर्मी में डॉक्टर थे और उनका बार-बार ट्रान्सफर होता रहता है। इस कारणवश मैंने 15 अलग-अलग स्कूलों में पढ़ाई की और मेरी कई बच्चों से दोस्ती हुई। हालाँकि, मैं एक डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन विभिन्न वर्गों के बच्चों के संपर्क में आने से मेरा मन बदल गया और मैंने सामाजिक क्षेत्र में काम करने का फैसला किया। यूनिसेफ में शामिल होने के बाद मुझे एहसास हुआ कि इसने मुझे बाल अधिकारों के लिए अधिक योगदान देने में सक्षम बनाया है। वंचित समुदायों के बच्चों को ऐसे गणमान्य लोगों के सामने पहली बार आत्मविश्वास से प्रदर्शन करते देखना वास्तव में दिल को छू लेने वाला पल है। यदि सभी हितधारक परस्पर सहयोग कर काम करें, तो हर बच्चे का समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।
निपुण गुप्ता, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ बिहार ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और विश्व बाल दिवस के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि विश्व बाल दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीआरसी) को अपनाने के उपलक्ष्य में 20 नवंबर को मनाया जाता है। भारत ने 1992 में यूएनसीआरसी को अंगीकार किया था। आगे उन्होंने इस वर्ष के विषय – “समावेश का अधिकार, हर बच्चे के लिए” के बारे में भी बात की।
कार्यक्रम के दौरान बच्चों द्वारा अधिकारों और समावेशन पर केंद्रित कई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। नारी गुंजन की बच्चियों ने ‘विंग्स ऑफ चेंज’ नामक समूह नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चों द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम का’ नामक स्किट की प्रस्तुति दी गई। बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स (बीवाईसीआर) टीम द्वारा ‘कौन बनेगा चाइल्ड राइट्स चैंप’ नामक एक प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया जिसमें सभी प्रतिभागियों ने भाग लिया। बाल विवाह पर जागरूकता पैदा करने के लिए सेव द चिल्ड्रेन के सहयोग से उड़ान किशोर अधिकारिता पहल के बच्चों द्वारा एक स्किट ‘अंजलि का सपना’ का प्रदर्शन किया गया। अपने अनुभव को साझा करते हुए किलकारी बिहार बाल भवन के युवा वैज्ञानिक अभिजीत जिनके नाम पर आर्सेनिक मुक्त पानी फिल्टर पर पेटेंट है, ने सरकार से स्कूल स्तर पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की अपील की।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन बिहार बाल भवन, किलकारी के बच्चों द्वारा एक सुंदर गीत ‘खुशियों के रचनाकार’ के साथ किया गया। समाज कल्याण मंत्री के साथ मुख्य सचिव, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, यूनिसेफ के अधिकारी, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधिगण, धर्मगुरुओं और अन्य प्रतिभागियों ने बाल अधिकारों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। सभी बाल कलाकारों को गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान यूनिसेफ बिहार के अधिकारी, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, लगभग 350 बच्चे और मीडियाकर्मियों सहित कुल 400 लोग उपस्थित थे। यूनिसेफ बिहार के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।