विशेष संवाददाता
बंजारी ( रोहतास ) । भारत की प्रमुख सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड (डीसीबीएल) की कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) शाखा, डालमिया भारत फाउंडेशन (डीबीएफ) ने कृषि स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में बिहार में एक महत्वपूर्ण पहल की है। कंपनी ने अपनी ग्राम परिवर्तन योजना के तहत टिकाऊ कृषि पद्धतियों पर एक व्यापक प्रशिक्षण शुरू किया, जिससे समहुता, बकनौरा और बंजारी ग्राम पंचायतों के 920 किसान लाभान्वित हुए हैं। जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने से न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, बल्कि किसानों की उत्पादकता और आय में भी वृद्धि होती है, जो दीर्घावधि तक बरकरार रहती है। इस ग्राम परिवर्तन योजना का उद्देश्य गाँव के परिवारों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और क्षेत्र में लक्षित परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। खंड कृषि अधिकारी श्री राजेश कुमार ने इस प्रशिक्षण का नेतृत्व किया। उन्होंने विभिन्न उन्नत कृषि विधियों पर प्रशिक्षण दिया, जिनमें प्याज की खेती की प्रथाओं का पैकेज, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन विधियाँ, अजोला खेती तकनीक और जीवा अमृत की तैयारी शामिल थी। इस अवसर पर श्री बबलू कुमार, खंड विकास अधिकारी; श्री संदीप कुमार, आवास अधिकारी; श्री संजय झा, प्लांट एचआर हेड- रोहतास सीमेंट वर्क्स, डीसीबीएल और अन्य प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति दर्ज की गई।
उक्त पहल पर टिप्पणी करते हुए आशुतोष कुमार तिवारी, यूनिट प्रमुख- रोहतास सीमेंट वर्क्स, डीसीबीएल, ने कहा, “डालमिया सीमेंट में, हम जमीनी स्तर पर सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और स्थायी भविष्य हेतु नए अवसरों का सृजन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रशिक्षण को इस दृष्टिकोण से तैयार किया गया है कि यह किसानों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दे और उनकी आजीविका बढ़ाने के लिए उन्हें क्षमता निर्माण और कृषि इनपुट प्रदान करे। हम जलवायु परिवर्तन शमन और समुदायों की समग्र भलाई को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम, सभी के लिए क्षेत्रों से परे एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की खेती के मार्ग प्रशस्त करने के लिए निरंतर रूप से प्रयासरत हैं। इस प्रशिक्षण सत्र को सफल बनाने में हमारे सहयोगियों का महत्वपूर्ण योगदान है, अतएव हम उन सभी के आभारी हैं।”
डालमिया भारत फाउंडेशन द्वारा एएलआर किस्म के कुल 214.17 किलोग्राम (प्रत्येक किसान को 330 ग्राम) बीज वितरित किए गए, जो कि उसे राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास फाउंडेशन से प्राप्त हुए थे। उक्त आवंटन से प्रत्येक किसान अपनी 2 कट्ठे भूमि पर इन बीजों को उगा सकता है। बीज के साथ ही साथ वर्मी बैग्स, एजोला बैग्स और जीवा अमृत ड्रम्स का वितरण भी किया गया। इसके अतिरिक्त, किसानों को कृषि विभाग द्वारा दी जाने वाली कृषि योजनाओं पर छूट से भी अवगत कराया गया, जिसमें गेंहू, चना, बीज, कुदाल, दरांती, स्प्रेयर्स, क्रू पिट्स और कृषि उपकरण जैसे विभिन्न इनपुट्स शामिल हैं।
डालमिया भारत फाउंडेशन ग्रामीण उत्थान पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही सामुदायिक विकास का नेतृत्व करता है। डीबीएफ कृषि, बागवानी और विविध आजीविका के क्षेत्रों में लक्षित प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं, किसानों और युवाओं को सशक्त बनाता है, और साथ ही उनकी आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव डालने के उद्देश्य से उनके कौशल और क्षमताओं को भी बढ़ाता है

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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