पेरिस पेरा ओलम्पिक के समापन समारोह के साथ ही सभी खिलाडी और दलों के लिए यह आत्म निरीक्षण का सबसे उचित समय है। भारत का पेरिस ओलम्पिक में प्रदर्शन साधारण स्तर का ही रहा है वहीं पेरा खिलाड़ी देश की उम्मीदों पर खरा उतरे। भारत के ओलंपिक इतिहास और  वर्तमान के सबसे  बड़े  खेल सितारे की बात की जाए तो देश के खेल प्रेमियों की बहस सिर्फ कुछ चुनिंदा नामों तक ही सिमट जाएगी। आजादी के बाद भारत के प्रदर्शन को अगर पदक पैमाने पर आंका जाए तो हमें आज तक सिर्फ सात स्वर्ण पदक मिले हैं। इनमें से पांच स्वर्ण पदक हॉकी टीम से और दो स्वर्ण पदक व्यक्तिगत स्पर्धा में अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा ने दिलाये हैं।

भारत का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2020 टोक्यो ओलंपिक में रहा जहां एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक के साथ भारतीय दल ने अपना ओलम्पिक अभियान 48 वें स्थान पर समाप्त किया। पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल टोक्यो की सफलता को दोहरा नही पाया और देश एक स्वर्ण पदक के लिए तरस गया वहीं खेल महाशक्ति अमेरिका और चीन ने 40 – 40  स्वर्ण पदक जीतकर पदक तालिका में पहला और दूसरा स्थान हासिल किया।

इस ओलंपिक में पदक और विश्व रिकॉर्ड के आधार पर सर्वश्रेष्ठ महिला और पुरुष एथलीट का चयन किया जाए तो तैराक टोरी हस्की और लियोन मर्चेन्ड ने सबको पीछे छोड़ दिया लेकिन इससे अन्य पदक विजेताओं की सफलता गौण नही हो जाती। तैराकों के पास हमेशा अतिरिक्त लाभ यह रहता है की वो कई इवेंट्स में भाग ले पाते हैं इसलिए एक ही खिलाड़ी के पदक जीतने की सम्भावना अधिक रहती है। पिछले दो दशक में यह कारनामा माइकल फेलेप्स 23 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर कर चुके हैं। तैराकी के अतिरिक्त अन्य खेलों में भी उसैन बोल्ट, सिमोन बाइलस, मोहम्मद फराह, किम वू जिन, लिन डैन जैसे अन्य बहुत सारे खिलाड़ी नए कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं।

आत्म चिंतन का सही समय

भारत भी वैश्विक स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए 2036 ओलंपिक की मेजबानी हासिल करने के लिए जुटा हुआ है लेकिन खेल शक्ति के रूप में अपने आपको साबित करने के लिए हमें पदक श्रेणी में भी टॉप 10 में खड़ा होना पड़ेगा। इसके लिए सभी खेल एसोसिएशन, खेल प्राधिकरण, राज्य और केंद्र सरकार को दूरदृष्टि के साथ समग्र रूप से प्रयास करने पड़ेंगे। एक इकाई के तौर पर काम करके ‘खेल प्रतिभा खोज’ जैसे कार्यक्रम चलाने पड़ेंगे।  शूटिंग, बैडमिंटन और कुश्ती जैसे खेलों में भारत भविष्य में सफलता की नई कहानी लिख सकता है।  अन्य खेल संघों को भी कॉर्पोरेट सेक्टर के साथ मिल कर जमीनी स्तर पर उतरना पड़ेगा। नीरज चोपड़ा की तरह कोहिनूर हीरा किस खदान से निकलेगा कोई नही बता सकता बस प्रयास निरंतर जारी रखने होंगे।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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