भारत के लिए एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली मनु भाकर पहली खिलाडी बनी हैं । टोक्यो ओलंपिक का
अनुभव लिए मनु जब पेरिस पहुंची तब देश के लिए पदक का खाता खोलने की जिम्मेदारी मनु की “पिस्टल” पर ही थी
क्योंकि शूटिंग इवेंट्स ओलंपिक के शुरूआती चरण में थी। मनु ने आशा के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए अपनी पिस्टल से दो बार
कांस्य पदक पर निशाना साधा।
गले में मैडल के साथ मुस्कराती हुई मनु के चेहरे के पीछे टोक्यो ओलंपिक के प्रदर्शन का दर्द छिपा था। उस समय खेल
प्रेमियों से ले कर मीडिया तक ने भारतीय शूटर्स को “चोकर्स” तक का टैग दे दिया था। मनु पर अति महत्वाकांक्षी होने तक के
आरोप लगे थे। उस समय मनु के पर्सनल कोच रहे जसपाल राणा चाहते थे कि मनु सिर्फ दस मीटर एयर पिस्टल
प्रतियोगिता पर ही अपना ध्यान केंद्रित करे और पच्चीस मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल इवेंट से अपना नाम वापिस ले ले। जसपाल
राणा से अलग रास्ता अपना कर मनु टीम कोच के साथ ही टोक्यो पहुंची।
विवादों के साये ने मनु के आत्म विश्वास को हिला दिया, मैच के बीच में खराब हुई पिस्टल से मनु फाइनल के लिए
क्वालीफाई नहीं कर पायी। अन्य दो इवेंट्स में भी खराब फॉर्म के कारण मनु को टोक्यो ओलंपिक से खाली हाथ लौटना पड़ा।
मनु की मां सुमेधा भाकर बताती हैं कि उस समय मनु ने शूटिंग से सन्यास लेने का निर्णय ले लिया था। माता -पिता के
समझाने के बाद मनु ने खेल में वापसी का निर्णय लिया।
इस बार मनु ने अपने खेल के साथ योग और अध्यात्म को भी जोड़ा। रोजाना गीता का अध्ययन करने वाली मनु ने
गीता के उपदेश को आत्मसात किया। पेरिस ओलंपिक से करीब पंद्रह महीने पहले मनु ने जसपाल राणा को फिर से पर्सनल
ट्रेनिंग के लिए मना लिया। मनु के खेल की बारीकी से समझ रखने वाले जसपाल राणा ने मनु को चैंपियन बनाने के लिए
सारा अनुभव झोंक दिया। मनु ने भी अपने कोच, प्रशंसकों और समस्त भारतीयों को निराश न करते हुए इस बार दो कांस्य
पदक पर निशाना साधा। पेरिस ओलंपिक के समापन समारोह में हॉकी लेजेंड पी.आर.श्रीजेश के साथ भारत के
ध्वजवाहक बनने का गौरव हासिल करने वाली मनु देश में खेलों की नई आइकॉन बनी हैं। सभी भारतीयों को यह उम्मीद
है कि मनु भाकर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आना अभी बाकी है।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *