पटना, 16 जून मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बकस्वाहा में प्रस्तावित बंदर डायमंड माइनिंग प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। इस प्रोजेक्ट के लिए मप्र शासन के 382.131 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्शन प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने खारिज दिया है, जिससे पर्यावरण प्रेमियों में खुशी की लहर है। मध्यप्रदेश वन विभाग ने एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज के हीरा प्रोजेक्ट के लिए वनभूमि में परिवर्तन का प्रस्ताव भेजा था, इस पर केन्द्रीय वन सलाहकार समिति ने निर्णय लिया कि प्रोजेक्ट से इस भू-क्षेत्र की प्रकृति तथा पन्ना क्षेत्र की टाइगर हलचल प्रभावित हो सकती है। इसलिए डायमंड प्रोजेक्ट के वर्तमान स्थान तथा राष्ट्रीय टाइगर संरक्षण की अनुशंसा को मद्देनजर यह प्रोजेक्ट स्वीकार्य नहीं है।
बक्सवाहा में 4 लाख पेड़ काटकर हीरा खदान का विरोध डॉ. पीजी नाजपांडे तथा रजत भार्गव ने एनजीटी में याचिका दायर कर किया था, उसे एनजीटी ने खारिज किया, उसके बाद पुनर्विचार याचिका भी खारिज की गई. बक्सवाहा जंगल में पाए गए 25 हजार वर्ष पुराने रॉक पेंटिंग को बचाने भी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर हाईकोर्ट ने खनन पर स्टे आदेश जारी किया है।हाईकोर्ट और एनजीटी में भी इस प्रोजेक्ट के विरुद्ध याचिकाएं लंबित हैं, इसलिए मौजूदा परिस्थितियों में हीरा खनन के लिए वन भूमि के डायवर्जन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
बक्सवाहा के जंगल को बचाने के अभियान में बिहार की राजधानी पटना से पर्यावरण लेडी आफ बिहार के रूप में चर्चित पर्यावरण लेडी डॉक्टर नम्रता आनंद छतरपुर,बक्सवाहा वर्ष 2021 में पहुंची थी। बक्सवाहा पहुंच कर डॉक्टर नम्रता ने देश भर से आए पर्यावरण प्रेमियों से मुलाक़ात कर और बक्सवाहा अभियान और इसके लिए चल रहे आंदोलन की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की थी।
डा. नम्रता आनंद ने बताया,बक्सवाहा जंगल में वनभूमि को हीरा खनन में परिवर्तित करने का प्रस्ताव खारिज होने की सूचना मिली है, जो हम सभी पर्यावरण प्रेमियों के लिये खुशी का पल है। यह देश भर में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों की जीत है। बक्सवाहा जंगल बचाओ मुहिम में शामिल सभी पर्यावरण प्रेमियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामना उन्होंने कहा, इतने बड़े जंगल को काटना पर्यावरण के हित में नहीं है । इससे जैव विविधता नष्ट होगी और मध्य प्रदेश सहित पूरे देश का पर्यावरण प्रभावित होगा।हमें हीरे नहीं हरियाली चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर में सबने ये महसूस किया है कि हीरे से ज़्यादा क़ीमती हम सबके लिए हरियाली है । इसलिए हमें हर हाल में जंगल को काटे जाने से रोकना ही होगा ।
डा. नम्रता आनंद ने बताया, पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का ध्यान रखना हमारा परम दायित्व बनता है। सभी को अपने स्तर पर पर्यावरण बचाने पर योगदान देना चाहिए। जहां जरूरी हो वहां पौधे लगाएं। आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं है। पेड़ पौधे जीवन के आधार हैं। हर व्यक्ति को पौधारोपण करना चाहिए। आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण देने के लिए पौधारोपण हर हाल में करना होगा।आधुनिक जीवन शैली में परिवर्तन कर पर्यावरण के प्रति सजग एवं जागरूक समाज के निर्माण की आवश्यकता है। आज हमारे जीवन मे पेड़ों का बहुत महत्व है। पूरा विश्व प्रदूषण की चपेट में आ रहा है। ऐसे में हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ जरूर लगाने चाहिए। आज हम पेड़ो को कटता हुआ देख रहे हैं। जो पूरे विश्व मानव के लिए खतरे की बात है। पर्यावरण संरक्षण बहुत जरुरी है।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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