पटना, 19 नवंबर: हर लड़की और लड़के को विश्व बाल दिवस की शुभकामनाएं देते हुए यूनिसेफ बिहार राज्य प्रमुख, नफ़ीसा बिन्ते शफ़ीक़ ने कहा कि 20 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते (UNCRC) को अपनाने के उपलक्ष्य में इस तिथि को दुनिया भर में विश्व बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। चूँकि बच्चे और किशोर-किशोरियां बिहार की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं, इसलिए उनके अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना अति आवश्यक है। इस वर्ष के विश्व बाल दिवस का थीम – “समावेशन का अधिकार, हर बच्चे के लिए” है। इसका तात्पर्य है कि लिंग, जाति, धर्म, विकलांगता, यौन रुझान या अन्य सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना, प्रत्येक बच्चा समान अधिकारों का हकदार है और उसे सभी प्रकार के भेदभावों के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार है।
राज्य सरकार ने बच्चों की चिंताओं को दूर करने के लिए कई पहल की हैं। विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले बच्चों, लड़कियों, दिव्यांग और अल्पसंख्यक समाज के बच्चों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। यूनिसेफ सरकार के इन प्रयासों को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। मैं परिवार और समाज सहित सभी हितधारकों से अपील करती हूं कि वे हर बच्चे के लिए बिना भेदभाव समानता एवं समावेशन सुनिश्चित करने की दिशा में काम करें।”
इस विश्व बाल दिवस के मौक़े पर यूनिसेफ द्वारा बच्चों के मुद्दों और चिंताओं को उजागर करने के लिए 14 नवंबर से 20 नवंबर तक बाल अधिकार सप्ताह के दौरान कई गतिविधियां चलाई जा रही हैं।
यूएनसीआरसी के तहत अधिकारों की प्रमुख चार श्रेणियों- उत्तरजीविता, संरक्षण, विकास और भागीदारी के साथ-साथ ‘हर बच्चे के लिए समावेशन’ थीम को पेंटिंग, रंगोली निर्माण, कविता पाठ, गायन, नाटक, क्विज़, स्लोगन राइटिंग जैसी गतिविधियों के माध्यम से प्रमुखता से उजागर किया जा रहा है।
यूनिसेफ और अन्य भागीदार एजेंसियों के सहयोग से महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा कार्यान्वित उड़ान परियोजना के तहत 22 जिलों की 394 पंचायतों में इस बार बाल दरबार (बच्चों और किशोरों के द्वारा बच्चों के मुद्दे पर मंथन) समेत अन्य गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। अन्य पंचायतों में विकास मित्रों और स्वयंसेवकों के माध्यम से इन गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। यूनिसेफ बिहार की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने बताया कि बच्चे मुखिया व अन्य पंचायत सदस्यों से मिलकर बाल दरबार में हुए व्यापक विचार-विमर्श के आधार पर तैयार अपनी मांगों व सुझावों को मांग पत्र के रूप में सौंप रहे हैं और इन्हें जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम) में शामिल करने की अपील कर रहे हैं। इस संदर्भ में बाल सभा एवं बाल पंचायत की भूमिका अहम है।
यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख ने कहा कि हम मुख्य सचिव अमीर सुबहानी के आभारी हैं कि उन्होंने छह प्रमुख विभागों – शिक्षा, समाज कल्याण, श्रम संसाधन, पंचायती राज, स्वास्थ्य एवं कला, संस्कृति और युवा विभाग को सक्रिय रूप से अपने नेतृत्व में राज्य भर के बच्चों और किशोर-किशोरियों के लिए सभी संस्थानों और प्लेटफार्मों जैसे स्कूल, आंगनवाड़ी, बाल देखभाल संस्थान, किशोर समूह, बाल सभा और बाल पंचायत आदि में बाल अधिकार सप्ताह समारोह आयोजित करने के लिए एक पत्र जारी किया।
इसके परिणामस्वरूप, हर ज़िले में बहुत सारी गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं जिनसे निश्चित रूप से बाल अधिकारों को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने और प्रत्येक बच्चे के लिए समावेशन को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
नीला रंग बाल अधिकारों का प्रतीक है। इस संदर्भ में, यूनिसेफ नागरिकों, स्कूलों और सरकारी संस्थानों से 20 नवंबर को गो ब्लू की अपील करता है। यह घरों और इमारतों को नीली रोशनी में रोशन करके या उन्हें नीले गुब्बारों से सजाकर किया जा सकता है ताकि बाल अधिकारों के राष्ट्रव्यापी उत्सव को दर्शाया जा सके और सीखने की बहाली पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
यूनिसेफ स्कूलों, सरकारी संस्थानों से भी आह्वान करता है कि वे बच्चों को विश्व बाल दिवस पर अपनी बात रखने और सुझाव देने के लिए हेडमास्टर, सरकारी विभागों के प्रमुख, पुलिस स्टेशनों में एसएचओ आदि की भूमिका निभाने की अनुमति दें। यह अभ्यास अधिकारियों और नीति निर्माताओं के बीच उनके मुद्दों और चिंताओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए जागरूकता पैदा करने के अलावा बच्चों में आत्मविश्वास जगाने में मदद करेगा।