कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली में प्रोफ़ेसरफ़ेसर कपिल कपूर द्वारा लेखक डॉ. मनीष श्रीवास्तव की पुस्तक शृंखला क्रांतिदूत के चौथे और पांचवें भाग का विमोचन किया गया। प्रोफ़ेसर कपूर प्रधानमंत्री के 75वें वर्ष अमृत महोत्‍सव कमेटी के सदस्य होने के साथ-साथ संपादकीय समिति, भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति, राष्ट्रीय अभिलेखागार के अध्यक्ष भी हैं। पूर्व में जेएनयू में अंग्रेजी के प्रोफ़ेसर और वाईस चांसलर प्रोफ़ेसर कपूर ने जेएनयू में संस्कृत अध्ययन केंद्र की भी स्थापना की है। वह हिंदू धर्म के विश्वकोश के अद्वितीय 11 खंडों के मुख्य संपादक हैं।

उत्तर प्रदेश, झाँसी के मूल निवासी डॉ. मनीष श्रीवास्तव पिछले पंद्रह वर्षों से मैं इंडोनेशिया में कार्यरत हैं। कार्यक्रम में लेखक डॉ. मनीष श्रीवास्तव को सर्वभाषा ट्रस्ट की और से सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर देश के अनेक भागों से आये पाठकगण, सुधिजन, उधमी और समाज के कई वर्गों के लोग उपस्थित थे। आज़ादी के अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर इंडिका के सौजन्य से क्रांतिदूत शृंखला के अंतर्गत १० किताबों का संकलन प्रकाशित किया गया है। इस शृंखला में भारत की सशस्त्र क्रांति को एक उपन्यास्मृति या उपन्यास्मरण के रूप में तैयार किया गया है।

भगवती चरण, खुदीराम, कनई लाल, लाला हरदयाल, भाई परमानन्द, गणेश शंकर, आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु, भगवती, माहौर, सदाशिव, विश्वनाथ जैसे सभी साथी क्रांतिदूत होने के साथ एक आम इंसान भी थे। वो हँसते भी थे, मज़ाक भी करते थे, आपस में लड़ते- झगड़ते भी थे। उन्हीं सब भूली-बिसरी यादों को एक क्रम में सजाने की कोशिश मात्र है यह शृंखला।

झाँसी फाइल्स की कहानी शुरू होती है १९२६ के आसपास, जिसमे आज़ाद के अज्ञातवास के झाँसीवास के बारे में बताया गया है जिसमे बारे में आम जन को ज़्यादा खबर नहीं है।  इसी दौरान ज़िक्र आता है आज़ाद साहब के कुछ और साथियों भगवान् दास माहौर, सदाशिव मल्कापुरकर और विश्वनाथ वैशय्म्पायन जी का, जो आज़ाद से अंतिम समय तक जुड़े रहे थे। यह कहानी झाँसी और ओरछा के आसपास घूमती रहती है।

 

काशी में आज़ाद के काशी प्रवास के बारे में वर्णन है। यहीं आपकी मुलाकात सचिन्द्र नाथ सान्याल साहब से होने वाली है जहाँ वो लाहिड़ी, बिस्मिल, प्रणवेश, मन्मथ साहब से आज़ादी के आन्दोलन के लिए चर्चा करते दिखने वाले हैं। शेखर के आज़ाद बनने की कहानी भी आपको इसी अंक में मिलने वाली है। बिस्मिल के पहले गुरु पंडित गेंदा लाल जी के दुखभरे अंत का ज़िक्र यहीं आने वाला है।

मित्रमेला की कहानी शुरू होती है नेशनल कॉलेज लाहौर से जहाँ भगत सिंह, सुखदेव और उनके साथी भाई परमानन्द जी, जयचंद्र जी और जुगलकिशोर जी जैसे नामी अध्यापकों और शिक्षाविदों से शिक्षा ले रहे हैं। सावरकर साहब के जीवन से शुरू हुई कहानी उनके साथियों से मिलाती हुई आप को लंदन ले जायेगी। यह तीनों अंक प्रकशित हो चुके हैं और आने वाले दो अंकों “गदर” तथा “बसंती चोला” का लोकार्पण प्रोफ़ेसर. कपिल कपूर द्वारा किया गया।

 

क्रांतिदूत शृंखला के भाग-४ ग़दर में कहानी है उस काल की जब भारत के अप्रवासी सिखों ने कनाडा और अमरीका में युद्ध घोष किया था। कोमागाटा मारू, बाबा करतार सिंह साराभा, बाबा वतन सिंह, मदनलाल धींगरा आदि क्रांतिकारी इसी भाग में दिखाई देंगे। भाग-५ बसंती चोला में भगत सिंह के साथ अजीत सिंह, रास बिहारी बोस, अवध बिहारी, हनुमंत  सहाय, मास्टर अमीर चंद जैसे नाम भी सामने आएंगे।

पुस्तक के प्रकाशक सर्व भाषा ट्रस्ट हैं और बिक्री के लिए अब सभी पुस्तकें उपलब्ध हैं।

 

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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