विकास प्रबंधन संस्थान, पटना (डीएमआई) 23-24 अक्टूबर 2021 को अपने ट्रांजिट परिसर उद्योग भवन, दूसरी मंजिल, गांधी मैदान के पूर्व, पटना में श्वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीज कुरियन की जन्म शताब्दी समारोह को मना रहा है।
डॉ. डी कुंडू, एसोसिएट प्रोफेसर, DMI ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा की डॉ. कुरियन, भारत की श्वेत क्रांति के सूत्रधार थे, जिन्होंने भारत को दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में उभरने में मदद की। वह 1965 से 1998 तक राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और 1973 से 2006 तक गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के संस्थापक अध्यक्ष थे। उनका जीवन किसानों को सशक्त बनाने और सदस्य संचालित, लोकतांत्रिक रूप से शासित, जमीनी स्तर पर कार्यरत संस्थाओ को बनाने के लिए समर्पित था। । उनका मानना था कि किसान के हाथों में तकनीकी और पेशेवर प्रबंधन के गुण और अधिकार दिए जाने से लाखों लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया जा सकता है। जमीनी स्तर के संगठनो के सुचारु प्रबंधन के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए उन्होंने 1979 में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आनंद की स्थापना की, जिसने पटना में विकास प्रबंधन संस्थान की उत्पत्ति का मार्ग भी प्रशस्त किया।
उन्होंने पटना डेयरी परियोजना को भी एक प्रगतिशील दिशा प्रदान की और इसके विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। वे पटना डेयरी परियोजना के अध्यक्ष भी रहे और उनका योगदान बिहार में दुग्ध क्रांति और किसानो के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण हैं । पुरे भारत के दुग्ध उत्पादन के विकास दर की बात की जाये तो बिहार के दुग्ध उत्पादन का विकास दर पुरे भारत में पिछले 10 सालो में प्रथम स्थान पर रहा हैं। उनके जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर, सहकारी संस्थाओं के महत्व और विशेष रूप से पूर्वी भारत के संदर्भ में उनके सामने आने वाले अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करना बहुत प्रासंगिक है। इस अवसर पर प्रख्यात वक्ताओं द्वारा “पूर्वी भारत में सहकारी संस्थाएँ : अवसर और चुनौतियाँ” विषय पर सम्बोधन किया गया ।
श्री जे एस पुंजरथ,प्रबंध निदेशक (सेवानिवृत्त), पटना डेयरी परियोजना और कार्यकारी निदेशक (सेवानिवृत्त), एनडीडीबी जिन्होंने भारत में और विशेष रूप से बिहार में सहकारिता के क्षेत्रों में एक प्रेरक भूमिका निभाई, उन्होंने सहकारिता के कामकाज, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहकारी समितियों की सफलता के मूल सिद्धांतों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के सदस्यों द्वारा नैतिक मूल्यों का सम्मान करते हुए स्वयं सहायता, स्वयं की जिम्मेदारी, लोकतंत्र, समानता और एकजुटता ही सहकारी समितियों की सफलता तय करती है। उन्होंने सहकारी समितियों को लोगों पर केंद्रित उद्यम के रूप में परिभाषित किया, जिसका स्वामित्व, नियंत्रण, सदस्यों द्वारा और सदस्यों के लिए उनकी सामान्य आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को महसूस करने के लिए चलाया जाता है।
पूर्वी भारत तथा विशेष रूप से बिहार के परिपेक्ष में उन्होंने कहा की जहां सहकारिता संस्थाए अस्तित्व में है और बिहार में पटना डेयरी परियोजना बहुत अच्छा कर रही हैं। लेकिन, संख्याओं के माध्यम से, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला है कि किसानो के द्वारा उत्पादित दुग्ध का और ज्यादा प्रतिशत सहकारी समितियों द्वारा प्राप्त किये जाने की आवश्यकता हैं।
उन्होंने बताया की बिहार में डेयरी के विकास के लिए जरुरी सभी साधन और संसाधन मौजूद हैं, तथा डेयरी का विकास होना यहाँ स्वाभाविक हैं, जरुरत इस बात की हैं की सहकारी सस्थाएं सहकारिता की भावना को किसानो तक पहुंचाए और गांव-गांव किसानो के लिए शैक्षणिक शिविरों का आयोजन किया जाये और सहकारिता की मूल भावनाओ से किसानो को अवगत कराया जाये ।
उन्होंने न्यूजीलैंड, पोलैंड, इटली आदि देशों के उदाहरण देते हुए बताया की वहाँ सहकारी समितियों का दूध के बाजार में बड़ा हिस्सा है और इससे उनके देशों के आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान रहा है। हमारे देश में भी सहकारी समितियों के ऐसे ही योगदान को देखा जा सकता हैं, जहाँ सहकारी समितियों ने स्थानीय समुदायों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर किया है।
प्रो. प्रबल के सेन, (सेवानिवृत्त), अर्थशास्त्र क्षेत्र और संस्थापक अध्यक्ष, ईडीसी, एक्सएलआरआई, जमशेदपुर ने अपने अभिभाषण में उद्यमिता के महत्व के बारे में चर्चा की।
इस अवसर पर पटना डेयरी प्रोजेक्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री श्रीनारायण ठाकुर और मिथिला डेरी के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री धर्मेंद्र कुमार श्रीवास्तव तथा बापूधाम मिल प्रोडूसर्स कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री संदीप अंतिल भी उपस्थिक थे।