पटना में महिलाओं के लिए उचित स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हमेशा एक चिंता का विषय रहा है. उल्लेखनीय है कि महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है, फिर भी देखभाल की गुणवत्ता, विशेष रूप से गरिमापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के बारे में संवाद का स्तर लगभग शून्य है, अर्थात न के बराबर बात होती है। महिलाओं और युवा लड़कियों के साथ अक्सर असम्मानजनक व्यवहार किया जाता है, उनके बारे में धारणाएँ बनायी जाती हैं और जब वे स्वास्थ्य केंद्रों पर जाती हैं तो उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इन सेवाओं को हासिल करते हुए औरतें और युवा लड़कियों को अक्सर एक पूर्वानुमान या फिर अपमान से गुज़रना पड़ता है, कई बार उन्हें सही सलाह भी नहीं मिलती है। इसकी वजह से न केवल जानकारी की होती है बल्कि एक असुरक्षित माहौल भी तैयार होता है जिसकी वजह से कई स्त्रियॉं को सही इलाज और समुचित देखभाल भी नहीं मिल पाती है।
जैसा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 5 में दर्ज किया गया है, परिवार नियोजन के वर्तमान लाभुकों में 46.5 % को ही परिवार नियोजन के तरीकों से होने वाले किसी भी तरह के दुष्प्रभाव के विषय में जागरूक किया गया था।
क्या है “खुद से पूछें”अभियान
“खुद से पूछें” महिलाओं के नेतृत्व में शुरू किया गया अभियान है जिसका उद्देश्य पटना की महिलाओं को ‘गरिमा के साथ देखभाल’ की असली परिभाषाओं से अवगत करवाना और इसे अपने स्तर पर बेहतर समझना है, साथ ही सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवा के बारे में उनकी कहानियों और अनुभवों को आवाज देना है। । यह एक सहभागी अभियान है, जिसके माध्यम से महिलाएं खुलकर बात करना, मानना और कमी को समझना जान पाएँगी।
ख़ुद से पूछें अभियान पूरे बिहार की 18-30 आयु वर्ग की महिलाओं को ऑनलाइन फॉर्म भर कर या +91 7632897424 पर व्हाट्सएप मैसेज भेजकर कार्यक्रम में आवेदन करने के लिए और एम्बेसडर बनने के लिए आमंत्रित कर रहा है । महिलाओं के एक समूह का चयन किया जा रहा है और उन्हें अपनी नेतृत्व, सह-रचना तथा कहानी कहने के कौशल का निर्माण करने वाली कई कार्यशालाओं में आमंत्रित किया जा रहा है चुनी गयीं ये एम्बेसडर सम्मानजनक ‘स्वास्थ्य देखभाल सेवा’ हासिल करने की दिशा में बातों की शुरुआत करके सकारात्मक बदलाव लाने के लिए शुरू किये गये इस आन्दोलन का नेतृत्व करेंगी।
इस अभियान के अंतर्गत पूरे पटना में रोड शो, संवाद, नुक्कड़ नाटक, वर्कशॉप आदि आयोजित किये जा रहे हैं जिसमें नेशनल स्कूल ड्रामा के कलाकारों की भी भागीदारी है.
10 सितंबर 2021 को पटना वीमेन कॉलेज में पहली वर्कशॉप, 11 सितंबर 2021 को पटना के श्री साईं कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड परमेडिकल में दूसरी और 18 सितंबर 2021 को अरविंद महिला कॉलेज की छात्राओं के साथ तीसरी वर्कशॉप आयोजित की गयी.
पटना कॉलेज की मिताली प्रसाद ने अपने साथ हुई घटना का जिक्र करते हुए, यह सुझाव दिया कि डॉक्टर को मरीज के साथ सही से पेश आना चाहिए, पर साथ ही मरीज को भी डॉक्टर के साथ सही से व्यवहार करना चाहिए। मिताली ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं में लोगों से गलत व्यवहार, गलत इलाज का सुझाव, और अधिक पैसे नहीं वसूलने चाहिए। साथ ही साईं कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड परमेडिकल की मानवी का कहना था कि जो मरीज़ अच्छे कपड़े में आता है, जिसके पास ज्यादा पैसा होता है, डॉक्टर उसे अच्छे से बर्ताव करते हैं। मगर जो गरीब होते हैं, डॉक्टर उनके साथ ना ठीक से पेश आते हैं ना सही से बर्ताव करते हैं।कपड़े और पैसे के अभाव में डॉक्टरों द्वारा किसी के भी स्वास्थ्य देखभाल में कमी नहीं होनी चाहिए।
‘गरिमा एक्सप्रेस’ रोड शो – पांच दिन। 20 जगह। दस हज़ार महिलाऐं
इस अभियान में पाँच दिन के रोडशो का आयोजन भी किया गया जिसमें शामिल ऑडीओ वैन ‘गरिमा एक्सप्रेस’ पटना वीमेन’स कॉलेज, बोरिंग रोड, पटना यूनिवर्सिटी, गांधी मैदान, हथवा मार्केट, पटना मार्केट और फ्रजर रोड समेत बीस अलग-अलग जगहों से गुज़री और दस हज़ार से ज़्यादा महिलाओं से जुड़ीं । रोड शो में कई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किये और हर व्यक्ति को भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे दर्शकों का ध्यान स्वास्थ्य सेवा में सम्मान की आवश्यकता और उपयोगिता की ओर खिंचे।
महिलाओं के नेतृत्व में सामूहिक आंदोलन के रूप में विकसित किए गए, ‘खुद से पूछें’ अभियान की अगुआई सखी, गौरव ग्रामीण महिला विकास मंच और पटना स्थित युवा समूह अशोक यंग चेंज मेकर द्वारा की जा रही है। इस अभियान को अन्य संगठनों जैसे बिहार्ट, सेंटर फॉर कैटलाइसिंग चेंज, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया, कॉलेजों और अन्य समूहों से भी समर्थन मिल रहा है।
प्रिंसेस पी
गुडगाँव की मशहूर विजुअल आर्टिस्ट “प्रिंसेस पी” भी इस अभियान की एम्बेसडर के तौर पर प्रतिनिधित्व कर रही हैं। मटर के रूप रंग वाले वेश-भूषा के लिए नामचीन प्रिंसेस पी बिना अपनी असल पहचान ज़ाहिर किए हुए लगातार औरतों के मुद्दे पर काम करती आ रही हैं। उन्होंने अबतक कई कार्यशालाएँ आयोजित की हैं जिसमें वे भिन्न क्षेत्रों की महिलाओं से संवाद करते हुए देखभाल से जुड़ी हुई राजनीति और स्त्रियों की घर-परिवार-बच्चे से जुड़ी हुई आर्थिक व्यथा-कथा को बेहतर समझने की कोशिश की है
इस अभियान में प्रिंसेस पी महिलाओं के साथ मिलकर, व्यक्तिगत कहानियों और रचनात्मक अभिव्यक्ति द्वारा समर्थित एक प्रतीक को कपड़े कढ़ाई और पैच-वर्क के द्वारा बनाने की अगुवाई कर रही हैं जिसे अक्टूबर में पटना शहर में एक विशेष जगह पर आर्ट-इन्स्टालेशन के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रिंसेस पी कहती हैं, “मैंने अधिकतर घरेलू महिलाओं, लघु व्यवसायियों, विकलांग स्त्रियों, घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं, वे स्त्रियाँ जिन्हें अपने रूप रंग के लिए सताया गया हो, और मानसिक परेशानियों से जूझ रही औरतों साथ नज़र आने और उनके ग़ायब हो जाने के पैटर्न पर काम किया है। यह एक ख़ास मौक़ा है जब आवश्यक दख़ल को मज़बूती और गरिमा का प्रतीक बनाया जा सकता है।
क्या बदलाव लाएगा “खुद से पूछें”
खुद से पूछें अभियान महिलाओं को संवेदनशील स्वास्थ्य सेवा की जरूरतों को समझने और उस ख़ातिर स्पष्ट आवाज़ उठाने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है और इसका मकसद है महिलाओं को बदलाव लाने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझाना , जैसे सबसे पहले मुद्दे को समझना, उसपर चर्चा करना और फिर हर संभव माध्यम से पहल करना.
इस अभियान में महिलाओं को ऐसे विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने का मौका मिल रहा है , जिन मुद्दों का उनके जीवन पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा पटना की महिलाएं डिजिटल क़िस्सागोई के गुर सीख रही हैं ताकि वे स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में अपनी बात कह सकें, साथ ही इसका प्रसार सोशल मीडिया, सार्वजनिक कार्यक्रमों अथवा किसी अन्य स्त्री से बात करते हुए कर सकें।