पटना, 4 जून: बिहार सरकार के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी), आपदा प्रबंधन विभाग एवं जीविका के वरिष्ठ अधिकारियों और यूनिसेफ बिहार के अधिकारियों ने विभिन्न जल शोधन इकाइयों के प्रदर्शन का अवलोकन किया और उनके कामकाज को समझा। अत्यधिक दूषित बाढ़ के पानी को तुरंत शुद्ध करने की तकनीक और इन इकाइयों की उच्च क्षमता से प्रभावित होकर उन्होंने आशा जतायी कि उनकी तैनाती से बाढ़ के दौरान पीने योग्य पानी की समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान होगा।
पीएचईडी और जीविका के सहयोग से यूनिसेफ द्वारा एक दिवसीय “फ्लड रिस्पांस सपोर्ट किट” (एफआरएसके) का प्रदर्शन सह प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन ज्ञान भवन, पटना में किया गया। इस कार्यशाला में पीएचईडी के अभियंता, जीविका के सीएलएफ अध्यक्ष व जिला कार्यक्रम प्रबंधकों के साथ साथ यूनिसेफ की आपदा न्यूनीकरण एवं WASH टीम के अधिकारियों समेत लगभग 125 लोग शामिल हुए। राम चंद्रुडू, विशेष सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, डीएस मिश्रा, अभियंता प्रमुख, पीएचईडी, शिवेंद्र पांड्या, कार्यक्रम प्रबंधक, निपुण गुप्ता, संचार विशेषज्ञ, सुधाकर रेड्डी एवं राजीव कुमार, वाॅश अधिकारी, यूनिसेफ बिहार, प्रो.बिहारी सिंह, सीएफआर (फ्लोराइड अनुसंधान केंद्र), ए एन कॉलेज, पटना और यूनिसेफ के अधिकारी भी कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे।
आपदा प्रबंधन और जल संसाधन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि बिहार में बाढ़ से सालाना एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं। बाढ़ प्रभावित आबादी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है और इन उपकरणों से बाढ़ जैसी आपात स्थिति के दौरान तुरंत सुरक्षित पेयजल प्राप्त करने में मदद मिलेगी। जीविका दीदी इन जल शोधक इकाइयों के बेहतर संचालन के अलावा सुरक्षित पेयजल के बारे में सामुदायिक जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
यूनिसेफ द्वारा खरीदे गए 61 फ्लड रिस्पांस सपोर्ट किट को यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफीसा बिंते शफीक द्वारा पीएचईडी (40 यूनिट), जीविका (15 यूनिट) और सहयोगी सामाजिक संगठनों (6 यूनिट) अधिकारियों को सौंपा गया। प्रभावित लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए इन इकाइयों को बाढ़ प्रभावित जिलों में स्थापित किया जाएगा। एक एफआरएसके इकाई के तहत मोटराइज्ड मोबाइल वाटर ट्रीटमेंट यूनिट, इन्फ्लेटेबल वॉटर स्टोरेज टैंक (5000 लीटर),टैप स्टैंड सेट (4-6 नल कनेक्शन के साथ), जल परीक्षण किट और रेन वाटर कलेक्टर शामिल हैं।
अभिसरण और तैयारियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, जितेंद्र श्रीवास्तव, सचिव, पीएचईडी ने कहा कि बाढ़ और अन्य मानवीय संकटों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए सामुदायिक स्तर पर कार्य करने वाले लोगों सहित सभी हितधारकों का बाढ़ पूर्व प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त जानकारी के साथ-साथ उपकरणों के कामकाज का प्रदर्शन बाढ़ के दौरान लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें जीविका दीदियों द्वारा जल शोधन के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराने में कारगर होगा।
यूनिसेफ के सहयोग से बिहार इंटर एजेंसी ग्रुप द्वारा किए गए ज्वाइंट रैपिड नीड असेसमेंट की सिफारिशों का उल्लेख करते हुए नफीसा बिंते शफीक, राज्य प्रमुख, यूनिसेफ बिहार ने बाढ़ के दौरान लोगों की जरूरतों को लेकर बेहतर ढंग से तैयारी और उनका समाधान करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा दीर्घकालिक, मध्यम अवधि और अल्पकालिक कार्यों की आवश्यकता को रेखांकित किया।उन्होंने आगे कहा कि यूनिसेफ सरकार और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि बाढ़ के समय में बाल अधिकारों की रक्षा और समुदाय की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सके। ये जल शोधन इकाइयाँ बाढ़ के गंदे से गंदे पानी को तुरंत शुद्ध कर पीने योग्य बना देंगी जिससे पीने के पानी की समस्या को बेहतर ढंग से हल करने में मदद मिलेगीऔर कई जानलेवा बीमारियों के खतरे को भी कम किया जा सकेगा।
मोटराइज्ड मोबाइल वाटर ट्रीटमेंट यूनिट द्वारा पानी को तुरंत शुद्ध करने की विशिष्टता और 5000 लीटर भंडारण क्षमता वाले पानी के टंकियों की सराहना करते हुए जीविका के सीईओ राहुल कुमार ने सभी बाढ़ प्रभावितों क्षेत्रों में इन जल शोधक इकाइयों की तैनाती को बढ़ाए जाने की वकालत की। हालांकि, सामुदायिक रसोई के माध्यम से हम बाढ़ के दौरान लोगों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हुए हैं लेकिन पर्याप्त पानी की आपूर्ति अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। यह जानना सुखद है कि एक हस्त संचालित जलशोधन यूनिट से प्रति घंटे 700 लीटर पानी को साफ़ किया जा सकता है। बाढ़ और अन्य आपदाओंके दौरान पीने के पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।
प्रभाकर सिन्हा, वाश विशेषज्ञ और बंकु बिहारी सरकार, डीआरआर अधिकारी, यूनिसेफ बिहार ने संयुक्त रूप से एक सत्र लिया जहां उन्होंने उपयुक्त उदाहरणों के साथ बिहार में आपदा की समस्या और आपात स्थिति के दौरान जल, साफ़-सफाई एवं स्वच्छता संबंधी तैयारियों के बारे में विस्तार से बताया। 2020 की बाढ़ के प्रभाव पर भी चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि यूनिसेफ द्वारा 7 जिलों में किए गए एक अध्ययन में सभी सात जिलों में 37 फीसदी शौचालय क्षतिग्रस्त पाए गए। अधिकांश शौचालयों का डिज़ाइन बाढ़ की विभीषिका को सहने के लिए अनुपयुक्त पाया गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 77 फीसदी हैंडपंप बुरी तरह प्रभावित हुए और पानी पीने योग्य न रहा।
यूनिसेफ और पुणे स्थित एजेंसी एक्वाप्लस के विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चार तकनीकी सत्रों में प्रतिभागियों को आपात स्थिति में जल संदूषण और विभिन्न प्रकार के जल उपचार के बारे में समझाया गया। फ्लड रिस्पांस सपोर्ट किट के विधिवत परिचय के अलावा, उन्हें इसकी असेंबली, संचालन, रखरखाव और मरमत के बारे में बताया गया। उन्हें पानी की गुणवत्ता का परीक्षण कैसे करना है, यह भी बताया गया।
जीविका से सीएलएफ अध्यक्षों के प्रशिक्षित कैडर द्वारा जीविका दीदियों को उनके संबंधित समूहों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसी प्रकार, पीएचईडी के कार्यपालक/सहायक अभियंता जिला स्तर पर अपने विभागीय पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देंगे। बाढ़ के दौरान, इस जल शोधन किट का संचालन और रखरखाव उनके द्वारा किया जाएगा।