पटना। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 2-3 अप्रैल को होनेवाले 41वें महाधिवेशन में हरियाणा के राज्यपाल डा बंगारू दत्तात्रेय समेत दक्षिण और उत्तर पूर्व के अनेक विद्वान भाग लेंगे। दोनों दिन देश भर के विद्वानों का महाकुंभ लगेगा। महाधिवेशन के स्वागताध्यक्ष और पूर्व सांसद डा रवींद्र किशोर सिन्हा ने मंगलवार को सम्मेलन सभागार में हुई तैयारी समिति की बैठक के बाद यह जानकारी में देते हुए कहा कि हमारी मंशा है कि इस माहाधिवेशन में उन प्रांतों के विद्वानों को आमंत्रित किया जाए, जहां की मातृ-भाषा हिन्दी नही है। क्योंकि हिन्दी के बारे में उनके विचारों से देश को अवगत होना चाहिए।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि यह महाधिवेशन भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष और महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु को समर्पित है। उद्घाटन और समापन समारोहों को ऐतिहासिक रूप से भव्य और गौरवशाली बनाया जाएगा, जिसमें प्रत्येक ज़िला से अधिकतम 10 प्रतिनिधि भाग लेंगे। हिन्दी के प्रचार और उन्नयन में मूल्यवान योगदान के लिए विदुषियों और विद्वानों को नामित सम्मानों से अलंकृत किया जाएगा और सम्मेलन की पत्रिका का महाधिवेशन विशेषांक तथा एक हज़ार पृष्ठों का ग्रंथ बिहार की साहित्यिक प्रगति का प्रकाशन भी किया जाएगा।
बैठक में सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, डा शंकर प्रसाद, डा कल्याणी कुसुम सिंह, डा मधु वर्मा, डा पुष्पा जमुआर, डा मेहता नगेंद्र सिंह, जय प्रकाश पुजारी, कुमार अनुपम, आराधना प्रसाद, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, कृष्णरंजन सिंह, पूनम आनंद, अम्बरीष कांत, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, श्रीकांत व्यास, ज्ञानेश्वर शर्मा, बाँके बिहारी साव, प्रवीर पंकज, चितरंजन भारती, डा दिनेश दिवाकर, डा सुलक्ष्मी कुमारी, माधुरी भट्ट, लता प्रासर, श्वेता मिनी, इन्दु उपाध्याय, डा रेखा भारती, पूजा ऋतुराज, सुजाता मिश्रा आदि उपस्थित थे।