पटना, 18 जनवरी: बिहार के लिए कुछ करने का जज्बा मन में लिए एक युवा ने जब शुरुआत की तब सबने उन्हें हाथों- हाथ लिया और उनके सपनो को रंग भरने में सब लग गए. यह कहानी है मोतिहारी के हिमांशु कुमार पाण्डेय की जिन्होंने एक फूड प्रोसेसिंग प्लांट के रूप में बिहार के युवाओ को नया मुकाम देने की पहल की है. हिमांशु कहते हैं कि कोरोनावायरस महामारी के बाद इस शुरुआत से बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा. आई.आई.एम. इंदौर के पूर्व छात्र हिमांशु कुमार पाण्डेय ने इस जूस प्लांट की स्थापना मोतिहारी के अरेराज में की है. सोमवार को पटना के मौर्या होटल में लौन्चिंग सह प्रेस मीट में हिमांशु ने अपनी यात्रा और सपनों को साझा किया. हिमांशु ने अपने प्रोडक्ट यास जूस के बारे में बताया कि अभी यह 5 तरह के फ्लेवर में होगा जिसमें आम, लीची, शिकंजी, आमपना और पंचरत्न शामिल है.

मुंबई में वर्षों तक निजी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों जैसे टाटा स्काई, एयरटेल, नोकिया में कम करने के बाद अब अरेराज में सुरु फूड्स एंड बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाकर नयी शुरुआत करने वाले हिमांशु बताते हैं कि उन्होंने अरेराज में अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की. उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने राजधानी दिल्ली का रूख किया और दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक करने के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान से विज्ञापन एवं जनसंपर्क में पीजी डिप्लोमा किया. इसके बाद उन्होंने देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर से सीनियर एग्जीक्यूटिव एमबीए पूरा किया.

कुछ करने के सपने ने आगे बढ़ाया

हिमांशु पाण्डेय ने मोतिहारी के अरेराज में फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के पीछे के कारणों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि मुंबई में निजी क्षेत्र में काम करते हुए मैंने पैसे तो बहुत कमाए लेकिन मन में हमेशा अपनी मातृभूमि और अपने लोगों के लिए कुछ न कर पाने की कसक रही. आज से कुछ समय पहले मुझे यह महसूस हुआ कि अब घर वापसी का समय है और इसलिए मैंने अरेराज में एक जूस संयंत्र लगाने का फैसला किया.

1000 से अधिक रोजगार होंगे सृजित

स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन के बारे में बताते में 39 वर्षीय पाण्डेय ने कहा कि इस जूस संयंत्र से 1000 से अधिक रोजगार होंगे सृजित होंगे. इससे न सिर्फ जिला बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा. इसका सबसे अधिक फायदा स्थानीय युवाओं को होगा. काम के साथ-साथ वे जूस बनाने वाली आधुनिक तकनीकों से भी रूबरू हो पाएंगे. इस शुरुआत से बिहार के अन्य युवा उद्यमियों को भी प्रेरणा मिलेगी. हिमांशु ने बताया कि इस फूड प्रोसेसिंग प्लांट में स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट मशीनरी स्थापित किए गए हैं. जूस बनने से लेकर पैकेजिंग तक सभी कार्य स्वचालित मशीनों द्वारा किये जाते हैं. ये स्वचालित मशीनें एक दिन में 18 हजार लीटर तक जूस का उत्पादन कर सकती हैं. तो वहीं प्रति मिनट 120 जूस की बोतलें भरी और पैक की जा सकती है.

मिलेंगे गुणवत्तापूर्ण जूस

हिमांशु पाण्डेय कहते हैं कि हम उच्च गुणवत्ता वाले जूस बनाते हैं. आम जूस बनाने के लिए अलफोंसो आम और लीची जूस के लिए शाही लीची के पल्प का उपयोग किया जाता है. कच्चे माल विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं से खरीदे जाते हैं और मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में भेजने से पहले इसकी अच्छी तरह से जांच कंपनी के लैब में विशेषज्ञों द्वारा की जाती है. इन सभी प्रक्रियाओं के दौरान स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है. हमारे जूस की गुणवत्ता ऐसी है कि इसे विदेशों में निर्यात के लिए आसानी से अनुमति मिल जाएगी.

[padding right=”10%” left=”10%”]विजन और मिशन
अपने विजन और मिशन के बारे में बात करते हुए हिमांशु पाण्डेय ने कहा कि हमारा विजन आने वाले दो वर्षों जूस के बाज़ार में एक विश्वसनीय नाम बनना हैं. और हमारा मिशन है कि हम कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जूस लोगों को मुहैया कराएं.[/padding]

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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