राजधानी पटना का राजकीय संस्कृत महाविद्यालय देवभाषा संस्कृति के पठन-पाठन के लिए राज्य भर में जाना जाता है। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले इस महाविद्यालय में संस्कृत पढ़ने की परम्परा आज भी बहुत हद तक उसी रूप में विद्यमान दिखती है, जैसी की कभी भारत में गुरु-शिष्य परंपरा रही होगी। जहाँ एक ओर शिक्षकों और छात्रों के बीच समन्वय बनाने के लिए कई कॉलेज अलग से प्रयास करते दिखते हैं, वहीँ यहाँ प्राध्यापक न केवल छात्र-छात्राओं को सीधा उनके नाम से बुला सकते हैं बल्कि आधिकांश के परिवार-ग्राम इत्यादि से भी परिचित होते हैं।
जाहिर है ऐसे में जब “संस्कृत दिवस” निकट आता है तो यहाँ तैयारियां बहुत पहले ही आरम्भ हो जाती हैं। प्राध्यापिका ज्योत्सना मिश्र बताती हैं कि इस वर्ष भी “संस्कृत दिवस” के पूर्व सप्ताह में कई कार्यक्रम आयोजित होने हैं। इनमें सबसे पहले 25 अगस्त को एक छोटे से उद्घाटन सत्र हुआ और उस दिन “संस्कृत दिवस” के उपलक्ष्य में भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई। संस्कृत में दिए जाने वाले इन भाषणों में छात्र-छात्राएं “”विद्यार्थीजीवने समयस्य महत्त्वम” यानि विद्यार्थी जीवन में समय के महत्व पर बोले। दूसरे दिन 26 अगस्त तो श्लोक एवं सूत्र पाठ की प्रतियोगिता आयोजित हुई जिसमें समय की प्रतिबद्धता तो ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को तीन से चार श्लोक सुनाने थे। साहित्य के साथ-साथ संस्कृत में व्याकरण विषय भी होता है, अतः पाणिनि के सूत्रों के पाठ की प्रतियोगिता भी थी।
इस क्रम में तीसरे दिन (27 अगस्त) को संस्कृत गीत गायन प्रतियोगिता का आयोजन होना है। इन कार्यक्रमों के पुरस्कारों का वितरण 29 अगस्त को किया जाएगा। कार्यक्रमों का समापन संस्कृत दिवस के आयोजन के साथ 30 अगस्त को होगा। इस अवसर पर बोलते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य ने कहा की ऐसे कार्यक्रमों में पुरस्कार मिलने या न मिलने जैसी बातों का ध्यान कभी नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर छात्र-छात्राओं को एक मंच प्रदान करते हैं। इससे वे न केवल अपने सहपाठियों को बोलते हुए सुनकर सीखते हैं बल्कि प्रतियोगिता में भाग लेने से उन्हें मंच पर आकर कई लोगों को संबोधित करने का अवसर भी मिलता है। सहभागिता से जो अभ्यास बढ़ेगा, वो अमूल्य है और विद्यार्थियों को ऐसे सभी अवसरों पर अधिक से अधिक प्रतिभागिता के माध्यम से अपना अभ्यास बढ़ाने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
कार्यक्रमों में महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं प्राचार्य के साथ पचास से अधिक छात्रों ने प्रतिस्पर्धियों के रूप प्रतिभागिता की। कार्यक्रमों को देखने के लिए महाविद्यालय के छात्र उपस्थित रहे जिन्होंने पूरे उत्साह के साथ अपने सहपाठी प्रतियोगियों का मनोबल बढ़ाया।