भारत में डिजिटल क्रांति ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में बहुत प्रभावी भूमिका निभाई है। भारतीय अर्थव्यवस्था, आज डिजिटल क्रांति के बलबूते ही, विश्व में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है। डिजिटल क्रांति ने भारत में वित्तीय समावेशन को बहुत आसान बना दिया है एवं आज भारत वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में पूरे विश्व को राह दिखा रहा है। विकासशील देश तो आज वित्तीय समावेशन की सफलता के क्षेत्र में भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं कि वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में भारत किस प्रकार उनकी मदद कर सकता है।

डिजिटल क्रांति से ही भारतीय अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण भी सम्भव हो सका है। जिसके चलते, वस्तु एवं सेवा कर का संग्रहण प्रति माह औसतन 1.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है तथा प्रत्यक्ष करों के संग्रहण में भी अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। इससे केंद्र सरकार को भारत में मजबूत आधारभूत संरचना विकसित करने में आसानी हो रही है एवं केंद्र सरकार देश में पूंजीगत निवेश को लगातार बढ़ाने में भी सफल हो रही है। साथ ही, गरीब वर्ग के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं को फंडिंग करने में भी किसी प्रकार की समस्या आड़े नहीं आ रही है।

भारत में डिजिटल क्रांति से केवल केंद्र एवं राज्य सरकारों को ही लाभ हुआ है, ऐसा नहीं है। बल्कि, सामान्य नागरिकों, दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में निवास कर रहे नागरिकों सहित, को भी विभिन्न सरकारी कार्य सम्पन्न करने में बहुत आसानी हुई है। आज भारत में इंटरनेट की सुविधा का उपयोग करने वाले नागरिकों की संख्या शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में अधिक हो गई है। भारत का टेलीकाम और डिजिटल मॉडल बहुत सरल, सहज, सुरक्षित एवं पारदर्शी है। जिसके कारण आज भारत डिजिटल क्रांति में पूरी दुनिया में एक अग्रणी देश बन गया है एवं दुनिया की अगुवाई कर रहा है।

भारत में डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में नित नए नवाचार भी किए जा रहे हैं। जैसे अभी हाल ही में भारत में ई-रूपी को डिजिटल मुद्रा के रूप में प्रारम्भ किया गया है। इस डिजिटल मुद्रा को वालेट अथवा मोबाइल में रखा जा सकता है। डिजिटल मुद्रा के चलन में वृद्धि होते जाने से जेब में रुपए के रूप में मुद्रा रखने की आवश्यकता ही समाप्त हो जाएगी। यह भारत को ‘डिजिटल इंडिया’ बनाने में एक अहम एवं साकार कदम माना जा रहा है। वर्ष 2022 के केंद्र सरकार के बजट में डिजिटल मुद्रा को भारत में चालू करने के सम्बंध में घोषणा की गई थी। इससे भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूती प्राप्त होगी। ई-रूपी, डिजिटल मुद्रा के रूप में बिटकोईन जैसी वर्चुअल करेंसी को समाप्त करने में सहायक होगा एवं इससे गैर कानूनी रूप से भारत में लाई जाने वाली विदेशी मुद्रा (मनी लांडरिंग) पर भी अंकुश लगाने में आसानी होगी। डिजिटल मुद्रा के माध्यम से अन्य देशों में निवास कर रहे लोगों को मुद्रा भेजने में आसानी होती है एवं दूसरे देशों को राशि भेजने पर लगने वाले खर्च में भी लगभग 2 प्रतिशत तक की कमी आने की सम्भावना है। लाभार्थियों के खाते में सीधे ही राशि हस्तांतरित की जा सकती है, इससे भारतीय नागरिकों को मुद्रा को एक देश से दूसरे देश में हस्तांतरित करने में सहूलियत होने लगेगी। कुल मिलाकर ई-मुद्रा से बैकिंग, मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा रही है। ई-रूपी को भविष्य की मुख्य मुद्रा भी कहा जा रहा है।

यह भी भारत में डिजिटल क्रांति का ही परिणाम है कि प्रधानमंत्री किसान योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक किसानों के बचत खातों में 6,000 रुपए प्रतिवर्ष, 2,000 रुपए की तीन समान किश्तों में, आसानी से केंद्र सरकार द्वारा हस्तांतरित किए जा रहे है। डिजिटल प्लेटफोर्म पर ही भारत में राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) की स्थापना की जा सकी है जिसके कारण किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए देश में एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बेहतर बाजार मिला है। इससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है एवं उनके उत्पादों के मूल्य की सही खोज भी सम्भव हो पा रही है। आज ई-नाम मंडियों के माध्यम से भारत का किसान अपनी उपज को देश की किसी भी मंडी में आसानी से बेच सकता है। 22 राज्यों और 3 संघशासित क्षेत्रों की 1,260 मंडियों को ई-नाम प्लेटफोर्म से जोड़ा जा चुका है।

मजबूत बैंकिग व्यवस्था किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार रहती है। भारत की बैंकिंग व्यवस्था को भी डिजिटल प्लेटफोर्म से सफलता पूर्वक जोड़ दिया गया है। डिजिटल इंडिया अभियान के जरिए यूपीआई, डीबीटी, ई-रुपी एवं मोबाइल बैकिंग जैसी सुविधाओं के माध्यम से देश के नागरिकों को बैकिंग सेवाएं सुलभ रूप से प्रदान की जा रही है। भारत के नागरिकों के बीच डिजिटल लेन देन करने के लिए देश में यूपीआई सबसे लोकप्रिय माध्यम बन गया है। आज भारत डिजिटल भुगतान और डिजिटल करेंसी की मामले में कई विकसित देशों से आगे निकल आया है। कुल मिलाकर भारत में डिजिटल क्रांति के चलते विभिन्न बैंकिंग सुविधाएं बहुत आसानी से देश के नागरिकों को उपलब्ध होने लगी हैं एवं पेन कार्ड जैसी पूर्व की जटिल वित्तीय प्रक्रियाओं को सरल बनाने में बहुत आसानी हुई है।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सरकारी सेवाओं का लाभ सामान्य नागरिकों तक सहज एवं सरल तरीके से पहुंचाने के मुख्य उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। डिजिटल क्रांति से उक्त मुख्य उद्देश्य की निश्चित ही पूर्ति हुई है। इस प्रकार, डिजिटल इंडिया एक खास तरह का ‘अंबरेला कार्यक्रम’ बन पड़ा है, जिसके अंतर्गत बैंकिंग, बीमा, केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों द्वारा नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सभी सुविधाओं को डिजिटल प्लेटफोर्म पर ले आया गया है।

भारत में डिजिटल क्रांति को देखते हुए न केवल विकासशील देश बल्कि कई क्षेत्रों में विकसित देश भी भारतीय तकनीकी की मांग करने लगे है ताकि उन देशों में भी डिजिटल क्रांति की शुरुआत की जा सके। इसी कारण से अब यह उम्मीद की जा रही है कि भारत शीघ्र ही पूरी दुनिया में दूरसंचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ा निर्यातक देश बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है

By Prahlad Sabnani

लेखक परिचय :- श्री प्रह्लाद सबनानी, उप-महाप्रबंधक के पद पर रहते हुए भारतीय स्टेट बैंक, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई से सेवा निवृत हुए है। आपने बैंक में उप-महाप्रबंधक (आस्ति देयता प्रबंधन), क्षेत्रीय प्रबंधक (दो विभिन्न स्थानों पर) पदों पर रहते हुए ग्रामीण, अर्ध-शहरी एवं शहरी शाखाओं का नियंत्रण किया। आपने शाखा प्रबंधक (सहायक महाप्रबंधक) के पद पर रहते हुए, नई दिल्ली स्थिति महानगरीय शाखा का सफलता पूर्वक संचालन किया। आप बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे। आपने बैंक में विभिन पदों पर रहते हुए 40 वर्षों का बैंकिंग अनुभव प्राप्त किया। आपने बैंकिंग एवं वित्तीय पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं एवं विभिन्न बैंकिंग सम्मेलनों (BANCON) में शोधपत्र भी प्रस्तुत किए हैं। श्री सबनानी ने व्यवसाय प्रशासन में स्नात्तकोतर (MBA) की डिग्री, बैंकिंग एवं वित्त में विशेषज्ञता के साथ, IGNOU, नई दिल्ली से एवं MA (अर्थशास्त्र) की डिग्री, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से प्राप्त की। आपने CAIIB, बैंक प्रबंधन में डिप्लोमा (DBM), मानव संसाधन प्रबंधन में डिप्लोमा (DHRM) एवं वित्तीय सेवाओं में डिप्लोमा (DFS) भारतीय बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान (IIBF), मुंबई से प्राप्त किया। आपको भारतीय बैंक संघ (IBA), मुंबई द्वारा प्रतिष्ठित “C.H.Bhabha Banking Research Scholarship” प्रदान की गई थी, जिसके अंतर्गत आपने “शाखा लाभप्रदता - इसके सही आँकलन की पद्धति” विषय पर शोध कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया। आप तीन पुस्तकों के लेखक भी रहे हैं - (i) विश्व व्यापार संगठन: भारतीय बैंकिंग एवं उद्योग पर प्रभाव (ii) बैंकिंग टुडे एवं (iii) बैंकिंग अप्डेट (iv) भारतीय आर्थिक दर्शन एवं पश्चिमी आर्थिक दर्शन में भिन्नता: वर्तमान परिपेक्ष्य में भारतीय आर्थिक दर्शन की बढ़ती महत्ता latest Book Link :- https://amzn.to/3O01JDn

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