बेगुसराय गोली काण्ड में अपराधियों ने जिस पहले व्यक्ति को गोली मारी, उसका नाम नीतीश कुमार था। फिर एक एक करके गौतम कुमार, विशाल सोलंकी, दीपक कुमार, रोहित कुमार, चन्दन कुमार, जीतो पासवान, और अभिषेक कुमार को गोलियां लगी। अंत में भरत यादव, प्रशांत कुमार रजक, और रंजीत यादव को गोली मारकर जख्मी किया। इनमें जिनके नाम में केवल कुमार दिख रहा है वो या उनमें से कुछ तो संभवतः ब्राह्मण होंगे। पासवान बिहार में एससी में आते हैं, सोलंकी राजपूत भी हो सकते हैं या ओबीसी, यादव तो ओबीसी में ही आयेंगे, रजक का मतलब जाति के हिसाब से धोबी होता है। इसमें शू-शासन (Shoe Shasan) को जातीय एंगल नजर आता है तो विचित्र ही है, क्योंकि अपराधियों ने किसी को नहीं छोड़ा है।

 

पूरे तीस-चालीस किलोमीटर की सड़क पर एनएच पार करते हुए ये अपराधी गोलियां चलाते रहे और शू-शासन की पुलिस को भनक तक नहीं पड़ी? अगर लोगों ने 100 डायल करके पुलिस को सूचना नहीं दी तो फिर तो शू-शासन की पुलिस को भी सोचना चाहिए कि बिहार की जनता को पुलिस की क्षमता पर कितना भरोसा है। कितना भरोसा होना चाहिए, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दोनों अपराधी इतने लोगों को गोलियां मारने के बाद आराम से निकल गए और एक दिन बाद भी हवा में तीर चला रही पुलिस “संदिग्धों” की पकड़-धकड़ कर रही है। शू-शासन से प्रेरणा लेते हुए अब अगर जनता भी बेगुसराय एसपी-डीएम-डीआईजी के नाम में जात ढूँढने लगे, तो शू-शासन को आश्चर्य तो नहीं करना चाहिए?

 

शू-शासन के आठवें शपथ ग्रहण के अगले ही सप्ताह बिहार में एक घटना हुई थी जिसका वीडियो वायरल भी हुआ था। इसे एकतरफा प्रेम-प्रसंग बताकर टाल दिया गया था और कहा गया था कि कोई जंगलराज नहीं आया। उसमें एक सब्जी बेचने वाले किसी साधारण से व्यक्ति की पुत्री ट्यूशन-क्लास से लौट रही थी जब एक लड़का उसे गोली मारकर भाग जाता है। गोली मारने वाले ने नकाब-टोपी इत्यादि लगा रखी थी लेकिन दावे से कहा जा सकता है कि वो 18 या उससे अधिक आयु का नहीं होगा। अदालत में कभी मामला गया भी तो वो जुविनाइल होने की वजह से मुश्किल से दो-तीन वर्ष सुधार-गृह में रहकर बाहर आ जायेगा। शू-शासन ने पता नहीं क्यों उस मामले में जात ढूँढने की कोशिश नहीं की।

 

बिहार में पुलिस का इक़बाल कितना बुलंद है, इसका अंदाजा तो इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ दिनों में पटना के पीरबहोर और सब्जीबाग़ इलाकों में पुलिस के साथ मारपीट हुई थी। इस मामले में जब पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया तो राजद के भूतपूर्व विधायक अनवर अहमद का पुत्र थाने पर पहुंचा। कथित तौर पर उसने डीएसपी अशोक सिंह का ही कालर पकड़ा, यूनिफार्म फाड़ दी और मार पीट, गाली गलौच की। अख़बारों को दिए बयान में तो इस घटना की पुष्टि होती है, लेकिन अहमद पर कोई एफआईआर या गिरफ़्तारी वगैरह नहीं हुई थी। ये जबकि बात है, उससे तुरंत पहले शू-शासन ने बयान दिया था कि बिहार में जंगलराज नहीं जनता का राज है!

 

बिहार के अगले विधानसभा चुनावों में अभी तीन वर्षों की देर है। तबतक में बिहार शू-शासन के अपराधमुक्त बिहार के दावों की हवा निकलते तो निश्चित रूप से देख चुका होगा। जैसा चल रहा है, उससे तो यही लगता है कि शू-शासन अपनी कब्र खुद ही खोदने में जुटा है, बाकी चुनावों में भी देखा ही जाएगा।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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