लेखक – अवधेश प्रताप सिंह, कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जब प्रत्याशी भी सोनिया से पूछकर बनना है , जब पीएम पद के प्रत्याशी पहले से राहुल तय हैं , जब प्रियंका को टॉप 3 का दर्जा हासिल है तब नया अध्यक्ष क्या कर लेगा ?
आज अध्यक्ष का पर्चा दाखिल करने का आखिरी दिन है , अब तक कोई नामांकन नहीं हुआ , आज तय होगा कि कौन लडे , तब कोई भी लड़ जाए , क्या फर्क पड़ता है ?
कोरा नाटक ही तो है ?

यूपीए की अध्यक्ष भी सोनिया रहेंगी , हर फैसला अध्यक्ष को उनसे पूछकर करना पड़ेगा तब कोई सी भी कठपुतली नाचे , बात तो नाचने की है !
गांधी परिवार के साए से कांग्रेस निकल जाए , यह हिम्मत कांग्रेसियों में बची नहीं है !
होती तो न अशोक गहलौत यूं गिड़गिड़ाते और न सचिन पायलट खाली हाथ दर दर मारे फिरते !

खैर सोनिया गांधी ने एक बार फिर से खुद को पार्टी की सबसे बड़ी जरूरत साबित कर दिया है । यह बात सारे कांग्रेसी समझ गए हैं कि बेशक बाहरी लाने का ड्रामा चल रहा हो , फर्क क्या पड़ेगा ? दिग्विजय अध्यक्ष बनेंगे जो पहले ही पक्के दरबारियों में शामिल हैं । फर्क तो तब पड़ता जब गुलामनबी , आनंद शर्मा , मनीष तिवारी आदि जैसे बोल सकने वाले नेताओं को अध्यक्ष बनाया गया होता ? एक बात और साफ हो गई । कांग्रेसियों के लिए 10 जनपथ शक्ति का केंद्र बना रहेगा । सोनिया को राजमाता का दर्जा पहले से मिला हुआ है , आगे भी मिला रहेगा । कांग्रेस की सत्ता का केंद्र राहुल भी रहेंगे और प्रियंका भी । मतलब नया अध्यक्ष रबर स्टैंप होगा । इससे क्या हासिल ? फिर तो सोनिया ही अध्यक्ष रहतीं या फिर राहुल मान जाते ।

सोनिया गांधी से मिलने के बाद अशोक गहलौत ने जिस बेबाकी से मीडिया को अपनी माफी की जानकारी दी , उसने उनका कद बढ़ाया । जाहिर है गहलौत चुपचाप निकल जाते तो सोनिया तो मीडिया को बताने से रही थीं कि वे माफी मांग गए हैं । गहलौत ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पद का फैसला भी अब आलाकमान करेगी । गहलौत काफी निराश हैं और सरेंडर कर आए हैं । जयपुर में जो हुआ , उसका उन्हें सचमुच दुःख भी है । कल शाम वेणुगोपाल ने कहा कि 48 घंटे में राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का फैसला हो जाएगा । यहां यह बात साफ है कि अशोक गहलौत को सीएम पद से हटाया गया तो कांग्रेस को बहुत भारी पड़ेगा । मौजूदा हालात में पायलट के लिए राजस्थान चलाना नामुमकिन है । पायलट के लिए अब प्रदेश अध्यक्ष बनना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा ।

आज की राजनीति अनिश्चितताओं का खेल बन गई है । देखिए तीन दिन पहले तक गहलौत राजस्थान के बेताज बादशाह थे , आज बुझे हुए खिलाड़ी हैं । लेकिन साफ बात है कि आलाकमान को कोई फैसला लेते हुए आग से खेलना होगा । गहलौत को नकारकर फैसला करना आसान नहीं होगा । बेशक आज दिखाई न दे लेकिन कल कांग्रेस राजस्थान खो सकती है । वैसे ही देश में कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों से प्रतिष्ठा के सबसे निचले पायदान पर है । राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी अंतर्कलह का धुंवा उड़ता दिखाई दे रहा है ।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed