बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा तत्काल कदम उठाने के लिए अनुरोध किया है पवनसुत सर्वांगीण विकास केंद्र।
उक्त जानकारी संस्था के सचिव डॉ राकेश दत्त मिश्र ने दी।

उन्होंने बताया कि भारत के राष्ट्रपति को पत्र में लिखा है कि बांग्लादेश में पिछले कुछ दिनों से आरक्षण के विरोध में चल रहे आंदोलन ने अत्यधिक हिंसक रूप ले लिया है, जिसके बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देकर देश से पलायन कर लिया है। बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ हिंसा अब चरम पर पहुँच चुका है। यह हिंसा अब अराजकता में बदल गई है। सरकार विरोधी आंदोलन अब हिंदुओं के खिलाफ शुरू हो गया है। बांग्लादेश में 27 जगहों पर हिंदुओं को निशाना बनाया गया है। जानबूझकर हिंदुओं को निशाना बनाकर उनकी हत्या करना, हिंदुओं के घरों पर हमला करना, हिंदुओं की दुकानों को लूटना, हिंदू मंदिरों को तोड़ना और आग लगाना, हिंदू महिलाओं पर बलात्कार करना, हिंदुओं को विस्थापित करना आदि अत्याचार किए जा रहे हैं। एक हिंदू नगरसेवक की हत्या हो गई है। एक हिंदू पत्रकार की भी हत्या कर दी गई है। इन घटनाओं से वहाँ के अल्पसंख्यक हिंदुओं में अत्यधिक भय का माहौल है। इस संदर्भ में भले ही बांग्लादेशी सेना ने हिंदुओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया है, लेकिन भारत सरकार को इस पर निर्भर न रहते हुए हिंदू समाज और मंदिरों की सुरक्षा के लिए तात्कालिक कदम उठाना चाहिए।

डॉ राकेश दत्त मिश्र ने बताया कि बांग्लादेश में ‘वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट’ (शत्रु संपत्ति कानून) के तहत 1975 से 2016 के बीच हिंदुओं की लगभग 26 लाख एकड़ भूमि कब्जे में ली गई। इससे 12 लाख हिंदू परिवार प्रभावित हुए। वर्ष 1980 से 1990 के बीच हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी आंदोलन बड़े पैमाने पर बढ़े। वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचे के गिराए जाने के बाद चिटगांव और ढाका में कई हिंदू मंदिरों को आग लगा दी गई। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान हिंदुओं को निशाना बनाया गया; क्योंकि कई पाकिस्तानी उन्हें अलगाववादी मानते थे। 1951 की आधिकारिक जनगणना के अनुसार, बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान) की कुल जनसंख्या में 22 प्रतिशत हिंदू थे। 1991 तक यह संख्या 15 प्रतिशत पर आ गई। 2011 की जनगणना में यह संख्या केवल 8.5 प्रतिशत रह गई। 2022 में यह 8 प्रतिशत से भी कम हो गई। वहीं, मुसलमानों की जनसंख्या 1951 में 76 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 91 प्रतिशत से अधिक हो गई। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, 1964 से 2013 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कारण 1 करोड़ 10 लाख से अधिक हिंदुओं ने बांग्लादेश से पलायन किया। 2011 की जनगणना में 2000 से 2010 के बीच देश की जनसंख्या से 10 लाख हिंदू गायब हो गए। बांग्लादेश में जनवरी से जून 2016 के बीच हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए हिंसाचार में 66 घर जला दिए गए, 24 लोग घायल हुए और कम से कम 49 मंदिर नष्ट कर दिए गए।

उन्होंने बताया कि इस अराजक स्थिति से हिंदुओं को सुरक्षा मिल सके, इसलिए हम निम्नलिखित मांगें किया हैं:-
(1) सबसे पहले बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले, घरों की लूट, मंदिरों पर हमले, मूर्तियों की तोड़फोड़, महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए वहाँ की सेना को कड़े निर्देश दिए जाएं। (2) बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों को देखते हुए वहाँ के हिंदुओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए और उन्हें तुरंत सुरक्षा प्रदान की जाए। (3) अब तक वहाँ के हिंदुओं के जीवन या संपत्ति को जो भी हानि हुई हो, उसकी तुरंत भरपाई की जाए। (4) भारत सरकार को इस मुद्दे को तुरंत ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ में उठाकर बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा की मांग करनी चाहिए। (5) बांग्लादेश में हिंसा के कारण जो हिंदू विस्थापित होकर भारत में शरण मांग रहे हैं, उन्हें ‘नागरिकता संशोधन कानून’ (सीएए) के तहत भारत सरकार द्वारा शरण दी जाए। (6) इसके अलावा, पहले से ही लगभग ५ करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिये भारत में घुस चुके हैं, इस घटना के बाद फिर से इस घुसपैठ के बढ़ने की संभावना को देखते हुए भारतीय सीमा पर कड़ा बंदोबस्त किया जाए।

डॉ राकेश दत्त मिश्र ने बताया कि’सोशल मीडिया’ के माध्यम से बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार के जो भयानक वीडियो सामने आ रहे हैं, उनसे स्पष्ट है कि अगर भारत सरकार ने समय पर ध्यान नहीं दिया, तो बांग्लादेश दूसरा पाकिस्तान बनने की संभावना है। यहाँ बड़े पैमाने पर हिंदुओं का नरसंहार हो सकता है। इस घटना के बाद कट्टरपंथी जिहादी आतंकवादियों का मनोबल बढ़ सकता है और वे भारत में भी अपने छिपे समर्थकों की मदद से हिंसा फैला सकते हैं। इसलिए भारतीय पुलिस व्यवस्था और प्रशासन को सतर्क रहना चाहिए और बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार को तात्कालिक कदम उठाने चाहिए।
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