04 जनवरी :: बिहार सरकार द्वारा सरकारी नौकरी में एससी, एसटी, ईबीसी एवम अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिये जाने के विरुद्ध नेता सह वरिष्ठ पत्रकार मोहन कुमार ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दिया था। उक्त याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए इस याचिका को इसी मुद्दे से संबंधित गौरव कुमार के याचिका के साथ अब 12 जनवरी,2024 को सुनवाई करेगी। उक्त जानकारी मोहन कुमार ने दी।
उन्होंने बताया कि याचिका में राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर,2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई है, जिसमें एससी, एसटी, ईबीसी एवम अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है,जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही रखी गई है, जो गलत है।
मोहन कुमार ने बताया कि अधिवक्ता दीनू कुमार ने याचिका में बताया है कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का यह निर्णय लिया गया है या सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाहने मामलें में आरक्षण की सीमा पर 50 प्रतिशत का प्रतिबंध लगाया था। जातिगत सर्वेक्षण का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के फिलहाल लंबित है।
उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा दायर याचिका को चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष रखा गया। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई 12 जनवरी, 2024 को इसी मुद्दे पर गौरव कुमार की याचिका के साथ सुनवाई करेगी। ध्यातव्य है कि गौरव कुमार की याचिका पर न्यायालय ने राज्य सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार करते हुए राज्य सरकार को 12 जनवरी, 2024 तक जवाब देने का निर्देश दिया है।
न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मोहन कुमार की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवम वरदान मंगलम और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही उपस्थित थे।
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