सुप्रीम कोर्ट एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ गूगल की याचिका पर सुनवाई को तैयार


NCLAT ने 4 जनवरी को, प्रतिस्पर्धा नियामक के Google पर 1,337 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था और उसे 10% राशि जमा करने के लिए कहा था। फ़ाइल | फोटो साभार: रॉयटर्स

सर्वोच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के उस आदेश के खिलाफ अमेरिकी तकनीकी दिग्गज गूगल की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की, जिसमें प्रतिस्पर्धा नियामक पर ₹1,337 करोड़ का जुर्माना लगाने पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अमेरिकी फर्म की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा कि वह सोमवार को सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करेगी।

CCI ने Google पर अनेक दंड क्यों लगाए हैं?

वरिष्ठ वकील ने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा असाधारण निर्देश पारित किए गए हैं और आदेश का पालन 19 जनवरी तक किया जाना है।

उन्होंने कहा, “प्रभुत्व के दुरुपयोग का कोई पता नहीं चला है।”

NCLAT ने 4 जनवरी को, प्रतिस्पर्धा नियामक के Google पर 1,337 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था और उसे 10% राशि जमा करने के लिए कहा था।

NCLAT ने देश में अपने Android स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम की प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए CCI द्वारा ₹1,337.76 करोड़ का जुर्माना लगाने की सर्च दिग्गज की चुनौती को स्वीकार किया।

सीसीआई ने पिछले साल अक्टूबर में गूगल से कहा था कि वह एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर स्मार्टफोन यूजर्स को ऐप्स अनइंस्टॉल करने की अनुमति दे और उन्हें अपनी पसंद का सर्च इंजन चुनने दें।

यह आदेश 19 जनवरी से प्रभावी होना था।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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