बिहार में बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय बेहद ज़रूरी: उप प्रतिनिधि (ऑपरेशन्स), यूनिसेफ इंडिया
पटना, 23 जून: बिहार के अपने पहले दौरे पर आईं यूनिसेफ इंडिया की उप प्रतिनिधि (ऑपरेशन्स), लाना काटाव ने आज बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के साथ बैठक की। उन्होंने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बाल अधिकारों को संरक्षित व सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की सराहना की। उन्होंने बच्चों एवं किशोर-किशोरियों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के अपेक्षित परिणामों में तेजी लाने के लिए प्रधान सचिव के नेतृत्व में प्रमुख विभागों के बीच समन्वय के महत्व पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने कहा कि यूनिसेफ द्वारा पूरे देश के लिए बनने वाला अगला कंट्री प्रोग्राम लैंगिक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण, इक्विटी और आपदा प्रबंधन को केंद्र में रखकर बच्चों और किशोर-किशोरियों के समग्र विकास व सशक्तिकरण के लिए समर्पित है।
मुख्य सचिव ने राज्य सरकार द्वारा बच्चों की बेहतरी के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों में यूनिसेफ के निरंतर सहयोग की सराहना की। उन्होंने 18 साल से कम उम्र की बिहार की 46 फीसदी आबादी के अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि राज्य और देश का बेहतर भविष्य हमारे बच्चों और किशोर-किशोरियों के सशक्तिकरण में निहित है।
लाना काटाव ने राज्य के पुलिस महानिदेशक, एस के सिंघल से भी मुलाकात की और चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस के महत्व पर प्रकाश डाला। इन दोनों बैठकों के दौरान उनके साथ यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफीसा बिंते शफीक मौजूद रहीं।
लाना काटाव, यूनिसेफ इंडिया की मानव संसाधन प्रमुख, बेवर्ली मिशेल एवं सप्लाई एंड प्रोक्योरमेंट हेड, सफिया रॉबिन्सन के साथ 20 से 23 जून तक राज्य के चार दिवसीय दौरे पर थीं।
यूनिसेफ बिहार प्रमुख और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में लाना काटाव ने बुधवार को पटना स्थित सरकारी हॉस्पिटल, राजेंद्र नगर नेत्र अस्पताल के निदेशक हरिश्चंद्र ओझा को एक ऑक्सीजन संयंत्र सौंपा जिससे 105 मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि कोविड महामारी के दौरान यूनिसेफ द्वारा राज्य सरकार को उपलब्ध कराए गए ऑक्सीजन प्लांट, कॉन्सेंट्रेटर, कोल्ड चेन उपकरण आदि ने बिहार में बच्चों और वयस्कों के कीमती जीवन को बचाने में योगदान दिया है। उन्होंने आशा जतायी कि हाल ही में यूनिसेफ द्वारा आपूर्ति किए गए फ्लड रिस्पांस सपोर्ट किट्स बाढ़ के दौरान लोगों को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने में कारगर सिद्ध होंगे।
अपनी यात्रा के पहले चरण में यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि मंडल ने मुजफ्फरपुर जिले के आंगनवाड़ी केंद्रों, स्कूलों, बाल गृह और पंचायतों का दौरा किया और जानने का प्रयास किया कि मानव संसाधन, ऑपरेशन्स और आपूर्ति सहित यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग का बिहार में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, सुरक्षा और बच्चों व महिलाओं की भागीदारी में कैसे योगदान दिया जा रहा है। बच्चों, किशोर-किशोरियों और समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत करने के अलावा उन्होंने जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, फ्रंट लाइन वर्कर्स, सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधियों आदि के साथबच्चों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बनाई गई विभिन्न पहलों/कार्यक्रमों से संबंधित उनके अनुभवों, चुनौतियों और सुझावों को जानने-समझने के लिए बैठकें की।
यूनिसेफ टीम ने सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं, एएनएम, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कोविड महामारी की रोकथाम को लेकर जागरूकता व कोविड टीकाकरण में उनके महत्वपूर्ण प्रयासों के लिए बधाई दी।
महामारी के दौरान टेक-होम राशन और ईसीसीई (प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा) जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं देने के प्रयासों के लिए मुरौल ब्लॉक के महमदपुर पंचायत के दरधा गांव के आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए यूनिसेफ इंडिया की मानव संसाधन प्रमुख, बेवर्ली मिशेल ने माताओं और देखभाल करने वालों के बीच पारस्परिक परामर्श के महत्व पर जोर दिया ताकि उन्हें ईसीडी (प्रारंभिक बचपन विकास) संबंधी प्रथाओं के बारे में जागरूक किया जा सके।
उन्होंने कोविड-19, कोविड टीकाकरण, बाढ़ की तैयारी, वॉश से संबंधित गतिविधियों के बारे में जागरूकता और लाभार्थियों को आवश्यक पोषण सुविधाओं से जोड़ने के लिए “मिशन सुरक्षाग्रह: कोविड पर हल्ला बोल” की नेक पहल के तहत सुरक्षा प्रहरी और पोषण प्रहरी जैसे कम्युनिटी मोबिलाइज़र्स के कार्यों की भी प्रशंसा की। पिछले साल राज्य के 6 जिलों में इन गतिविधियों को बड़े पैमाने पर अंजाम दिया गया जिससे लगभग 36 लाख आबादी को लाभ पहुंचा।
दरधा गाँव के ही महादलित बस्ती में प्रतिनिधिमंडल ने किशोर-किशोरियों, समुदाय के लोगों और फ्रंट-लाइन कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर विभिन्न गतिविधियों की जानकारी ली और उ के अनुभव जाने।
यूनिसेफ इंडिया के सप्लाई एंड प्रोक्योरमेंट प्रमुख, सफिया रॉबिन्सन ने कहा कि दिव्यंगों व अति कुपोषित बच्चों को देखकर मुझे बहुत निराशा हुई। उन्होंने आगे कहा कि भले ही हम प्रक्रियाओं का अनुपालन सुनिश्चित कर रहे हैं, लेकिन हमें यह याद रखने की जरूरत है कि हम ऐसा क्यों कर रहे हैं और हमें कार्यक्रमों के ज़रिए ज़रुरतमंदों तक जल्द से जल्द सहायता पहुँचाने के नए तरीके खोजने की जरूरत है।
दरधा मध्य विद्यालय के बच्चों द्वारा मॉक-ड्रिल के ज़रिए सुरक्षित शनिवार से जुड़े विषयों जैसे बाढ़, आपदाएं, सड़क सुरक्षा, बाल संरक्षण, बच्चों को खुद को, अपने स्कूल, परिवार और समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए तैयार करना आदि को बखूबी दर्शाया गया। बच्चों द्वारा संचालित सोप बैंक, पैड बैंक, मास्क बैंक ने भी यूनिसेफ प्रतिनिधि मंडल को काफ़ी प्रभावित किया।
व्यापक बातचीत और इस दौरान मिले बहुमूल्य सुझावों से बिहार में यूनिसेफ के सहयोग से चलाए जा रहे कार्यों की प्राथमिकता के आधार पर प्रभावी योजना बनाने में मदद मिलेगी।
लाना काटाव ने कहा कि मैं बिहार का दौरा करके बहुत खुश हूं। सबसे वंचित समुदायों से आने वाले किशोर लड़कियों और लड़कों के साथ बातचीत करने से मुझे ताकत मिली है। साथ ही, तमाम जोखिम के बावजूद आपदा के दौरान फील्ड में कड़ी मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं के प्रति मैं बेहद कृतज्ञ हूँ। मैं अपने उत्साही स्टाफ सदस्यों, सलाहकारों और भागीदारों के सहयोग और समर्पण के लिए उनकी शुक्रगुजार हूँ जो बच्चों और किशोर-किशोरियों के बुनियादी अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए लगातार कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं।
यूनिसेफ के राष्ट्रीय अधिकारियों के फील्ड भ्रमण के दौरान उनके साथ यूनिसेफ बिहार के अधिकारीगण भी मौजूद रहे जिनमें राज्य प्रमुख, नफीसा बिंते शफीक, ऑपरेशन मैनेजर, यूनिस मदान्ही, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ सिद्धार्थ रेड्डी, डीआरआर (आपदा जोखिम न्यूनीकरण) अधिकारी, बंकु बिहारी सरकार, बाल संरक्षण अधिकारी, गार्गी साहा और वरिष्ठ ऑपरेशन्स सहयोगी, स्टेनली चेरियन शामिल थे।