पटना, सादा जीवन उच्च विचार के प्रतिमूर्ति श्री आनंद गुरु जी आयुर्वेदचार्य होने के साथ-साथ तंत्र विद्या के ज्ञाता और मंत्र के सिद्धहस्त हैं।
श्री आनंद गुरू जी का परिवार भारत के गिने चुने आदर्श संयुक्त परिवारों में से एक है। उन्हें उनके दादा वाल्मीकि सिंह से परोपकार का गुण मिला, वहीं पिता महेश प्रसाद सिंह अनुशासित जीवन का। इनके जन्म लेते ही घर परिवार में उत्साह, आनंद और प्रसन्नता का माहौल बना, इसलिए इनका नाम “आनंद” पड़ा। भक्तजन इन्हें “श्री आनंद गुरु जी” के नाम से जानते हैं।
बचपन से ही गुरु जी कुछ अलग और अलहदा प्रवृत्ति के थे। सामान्य बच्चों की तरह बचपन के खेल में कभी उनकी रुचि नहीं थी।
बिहार के नवादा स्थित बुधौली स्टेट के वंशज होने के बावजूद समस्त राजसी सुख सुविधाओं को त्याग ज्ञान की खोज में समाज और राष्ट्र की उन्नति हेतु निकल पड़े। हरिद्वार, नेपाल, कामरू कामख्या आदि ऐसी जगहों पे इन्होंने तंत्र मंत्र का ज्ञान हासिल किया। और अब अपनी उपासना के फल को जन कल्याण के लिए समर्पित कर चुके हैं।
तरुणावस्था में इन्हें बुधौली स्टेट के महाराज रामधन पुरी का सानिध्य मिला। जिनकी विद्वता, परोपकारिता, शिक्षा प्रसार के गुण, धार्मिकता और जन कल्याण के गुण की अमिट छाप इनपे भी पड़ी।
इसलिए अनुवांशिक रूप से भी श्री आनंद गुरू जी सौम्य, शीतल, परोपकार, अहंकारहीन और कुशल नेतृत्वकर्ता हैं।
संतों के विशेष लिबास या दिखावे में गुरु जी विश्वास नही करते हैं। वे साधारण वेश भूषा को अहमियत देते हैं। तंत्र उपासक के रूप में वे सभी तरह के दुखों और कष्टों का निवारण करते हैं। और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए इन्होंने “आनंदम आयुर्वेदयम” की स्थापना की है। जहां कई तरह की विलक्षण औषधियों का निर्माण हो रहा है। जिससे की काफी शारीरिक लाभ मिलता है।
इसके अलावे गुरु जी कई ऐसी संगठनों की नीव रखी है, जो गांव-गांव में गुरुकुल स्थापना, कंप्यूटर शिक्षा, नैतिक शिक्षा, आधुनिक तकनीकों की शिक्षा को बढ़ावा देगी।
श्री आनंद गुरू जी फिलहाल झारखंड के रांची स्थित धुर्वा के आश्रम से जन कल्याण का कार्य कर रहे हैं।

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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