लेखिका – डॉ सीमा सिंह
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, केरल बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के छात्रों की संख्या, जो गत वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों में दूसरी सबसे अधिक थी, कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) की शुरुआत के बाद इस प्रवेश सत्र में सातवें स्थान पर खिसक गई है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से देश भर में कई स्कूल संबद्ध हैं और इस कारण विभिन्न राज्यों के आवेदकों की संख्या इस वर्ष भी सबसे अधिक है जिसके बाद काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन का स्थान है। सीट आवंटन के दूसरे राउंड के बाद उपलब्ध प्रवेश संबंधी आंकड़ों के अनुसार, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के राज्य शिक्षा बोर्डों के विद्यार्थियों की संख्या केरल बोर्ड के विद्यार्थियों से अधिक है।
इस साल, डीयू ने एक नई प्रवेश नीति आरंभ की है जिसके अंतर्गत स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों का प्रवेश सीयूईटी स्कोर के आधार पर किया जाता है। अब बोर्ड परीक्षा का स्कोर अर्हक अंक ही माना जाएगा और यह सुनिश्चित किया गया है कि “अंकों को बढ़ाने” के कारण अक्सर किसी विशेष बोर्ड के छात्रों द्वारा अधिकतर सीटें भरने संबंधी विसंगति उत्पन्न नहीं हुई है।
डीयू में सीयूईटी का सफल क्रियान्वयन
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने शुक्रवार को कहा, “सीयूईटी ने सभी को एक साझा मंच और समान अवसर प्रदान किया है, क्योंकि अलग-अलग बोर्डों के अपने नियम, विनियम और मूल्यांकन के तरीके हैं। हम इस असमानता को कम करना चाहते थे और सीयूईटी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह एक समान मंच प्रदान करता है।”
गत वर्ष, पहली दो कट-ऑफ लिस्ट के बाद हिंदू कॉलेज में बीए (विशेष) राजनीति विज्ञान में दाखिला लेने वाले 146 छात्रों में से 120 छात्र केरल बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन से थे। पहली लिस्ट में पाठ्यक्रम हेतु कट-ऑफ 100% थी। वर्ष 2016 में, तमिलनाडु राज्य बोर्ड के छात्रों ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में अधिकांश सीटों पर प्रवेश मिला था, जहाँ निर्धारित कट-ऑफ 98% थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि, यह इस बात का कोई संकेत नहीं है कि किसी विशेष क्षेत्र के छात्रों को डीयू में प्रवेश नहीं मिल रहा है क्योंकि सीबीएसई के देश भर में संबद्ध स्कूल हैं।
प्रवेश सत्र 2021-22 के अंत में, तत्कालीन कुलपति योगेश त्यागी ने यह अध्ययन करने के लिए नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया था कि केरल बोर्ड के छात्रों को इतनी अधिक संख्या में प्रवेश किस कारण मिला। डीन ऑफ एडमिशन डीएस रावत की रिपोर्ट में यह पाया गया कि भारत में राज्य बोर्डों में मार्किंग स्कीम में अत्यधिक भिन्नता थी।
इतने कम समय में सीयूईटी के माध्यम से इतने विद्यार्थियों की चयन प्रक्रियाँ करा कर डीयू ने इतिहास रच दिया।
ईसी मेम्बर प्रो. वी एस नेगी ने इसके इसकी सफलता के लिए डीयू वीसी योगेश सिंह को बधाई देते हुए विद्यार्थियों का स्वागत किया। प्रोफेसर नेगी ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने इतने कम समय में देश भर के लाखों छात्रों का एक समान मापदंड पर लाकर मूल्यांकन के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारंभिक सत्र में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करना अपने आप में एक अप्रत्याशित सफलता है।
कई वर्षों से प्रशासन और विद्यार्थी इस चयन प्रक्रिया का इंतज़ार कर रहे थे साथ ही यह डर भी था की इसका सफल प्रयोग हो पाए।