मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाले शहर इंदौर मे 01 दिसम्बर 2022 को जब इस बात का खुलासा हुआ कि इंदौर के शासकीय विधि महाविद्यालय मे वही के अध्यापको के द्वारा देश विरोधी तथा राष्ट्र विरोधी गतिविधियो को संचालित किया जा रहा है, तो इसे जान हर कोई हतप्रभ रह गया। प्रारम्भ मे सामान्य लोगो को इस बात पर विश्वास ही नहीं हुआ की स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय पहचान प्राप्त कर चुके शहर मे राष्ट्र विरोध की गंध फैली हुयी, जो पड़े-पड़े बदबू मार रही है। शासकीय विधि महाविद्यालय मे छात्र संगठन abvpएबीवीपी के द्वारा शासकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य को एक ज्ञापन सौंपा गया।
जिसमे अध्यापको के द्वारा किए जा रहे राष्ट्र विरोधी षड्यंत्र को बताया गया। लगभग 30 से 35 वर्ष की आयु के शासकीय विधि महाविद्यालय के अध्यापको के द्वारा ही भारत की संसद के द्वारा संवैधानिक रूप से समाप्त की गयी धारा 370 और 35ए तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तथ्यो के आधार पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्णय के विरुद्ध नवीन छात्रो को भ्रमित करने का काम किया जा रहा था। जब शासकीय विधि महाविद्यालय के अध्यापक ही कानून विरोधी और संविधान विरोधी बातों के द्वारा युवा पीढ़ी को भ्रमित करने का दुस्साहस करेगे तब एसी स्थिति मे सामान्य नागरिक कैसे शासकीय संस्थानो पर विश्वास कर सकेंगे। समाज मे स्थित बुद्धिजीवी वर्ग की भी यह ज़िम्मेदारी है कि उनके आस-पास हो रही एसी सभी गतिविधियो के विरुद्ध आवाज उठाई जाये।
राज्य सरकार के द्वारा शासकीय विधि महाविद्यालय, इंदौर मे चल रही राष्ट्र विरोधी गतिविधियो के विषय मे जांच के आदेश दे दिये गए है। जांच के समय यह बात भी सामने आयी कि शासकीय विधि महाविद्यालय के अध्यापको द्वारा छात्र-छात्राओ को केवल भ्रमित ही नहीं किया जा रहा था, बल्कि उनको भारतीय संविधान एवं प्रक्रिया के विरुद्ध भी भ्रामक जानकरी प्रदान की जा रही थी। शासकीय विधि महाविद्यालय के पुस्तकालय मे कुछ एसी किताबे मिली है। जिसके द्वारा समाज के भीतर वैमनस्य को बढ़ाने का काम किया जा रहा था। पुस्तकालय मे मिली किताबों के रूप मे हिन्दू धर्म के विषय मे भी भ्रामक तथा आपत्ति जनक साहित्य मिला है। जिसमे जाति आधारित विभेद उत्पन्न करने और समाज के भीतर असमानता बढ़ाने की बातों को षड्यंत्र पूर्वक बताया गया है। अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रो को एसी सभी अवेध और भ्रामक किताबे वितरित की गयी, जिससे कि समाज के भीतर विभेद उत्पन्न किया जा सके।
शासकीय विधि महाविद्यालय के अध्यापक होने के बाद भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का विरोध और आलोचना के साथ उसके विरुद्ध छात्रो को भ्रमित करने का काम भी किया जा रहा था। इस पूरे मामले मे एक विशेष तथ्य यह भी है कि शासकीय विधि महाविद्यालय, इंदौर के अध्यापको से लेकर किताब लिखने वाली लेखिका तक जितने भी आरोपी है, सभी आरोपी विशेष समुदाय से आते है। शासकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य से लेकर आरोपी अध्यापक तक सभी विशेष मजहब से ताल्लुक रखने वाले है। अभी तक तक दिल्ली के जेएनयू विश्वविद्यालय से एसी खबरे आती थी। किन्तु इंदौर जैसे शहर मे प्रतिष्ठित शासकीय विधि महाविद्यालय जैसे संस्थान मे राष्ट्र विरोधी गतिविधियो का संचालन हो रहा है, तब एसी स्थिति मे मध्य प्रदेश राज्य के अन्य सभी शासकीय एवं निजी संस्थानो मे भी जांच होना आवश्यक है। शासकीय विधि महाविद्यालय मे और भी अन्य अध्यापक एवं व्याख्याता कार्यरत है, जिन्हे इसके बारे मे सम्पूर्ण जानकारी थी किन्तु उनके द्वारा भी कभी इसका विरोध नहीं किया गया था। एसी स्थिति मे उनकी भी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
लेखक :- सनी राजपूत, एडवोकेट & कर सलाहकार, उज्जैन
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