जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 06 जुलाई, 2024 ::
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। सर्वविदित है कि वर्ष में 4 नवरात्रि मनाया जाता हैं जिसमें दो प्रत्यक्ष रूप से और दो अप्रत्यक्ष रूप से। प्रत्यक्ष रूप से चैत्र और आश्विन महीने में और अप्रत्यक्ष रूप से आषाढ़ और माघ महीने में मनाई जाती हैं। अप्रत्यक्ष नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। अप्रत्यक्ष नवरात्रि में गुप्त रूप से शिव और शक्ति की उपासना किया जाता है जबकि प्रत्यक्ष नवरात्रि में सार्वजिनक रूप से माता की भक्ति किया जाता है । आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार उपासना की जाती है और माघ मास की गुप्त नवरात्रि में ग्रंथों के अनुसार उपासना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में साधक अपनी साधना के लिए गुप्त स्थान यानि शमशान आदि जैसे स्थान पर जाते हैं। जबकि प्रत्यक्ष नवरात्रि में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के नियम के साथ उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। लेकिन सभी नवरात्रि में माता के सभी 51पीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं।
गुप्त नवरात्र की साधना सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसमें दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
‘शिवसंहिता’ के अनुसार ये नवरात्र भगवान शंकर और आदिशक्ति मां पार्वती की उपासना के लिए भी श्रेष्ठ हैं। गुप्त नवरात्रों के साधनाकाल में मां शक्ति का जप, तप, ध्यान करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट होने लगती हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्रि में दशमहाविद्याओं की साधना किया जाता है। ऋषि विश्वामित्र ने दश महाविद्या की साधना कर अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन गए थे और एक नई सृष्टि की रचना कर डाली थी। लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने गुप्त नवरात्रि में अपनी कुलदेवी निकुम्वाला की साधना कर अतुलनीय शक्तियां प्राप्त किया था। एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक समय ऋषि श्रृंगी भक्त जनों को दर्शन दे रहे थे अचानक भीड़ से एक स्त्री निकल कर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं। जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है । लेकिन मैं मां दुर्गा कि सेवा करना चाहती हूं। उनकी भक्ति साधना से जीवन को पति सहित सफल बनाना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है । इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरुप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है । यदि इन गुप्त नवरात्रों में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा साधना करता है तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं। इतना ही नहीं लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती है। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्र की पूजा की मां प्रसन्न हुई और उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा, घर में सुख शांति आ गई । पति सही मार्ग पर आ गया।
गुप्त नवरात्रि मां वैष्णो देवी, पराम्बा देवी और कामाख्या देवी का पर्व माना जाता है। हिंगलाज देवी की सिद्धि के लिए भी इस समय को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
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