सास पुतोह का झगडा और बिच में फंसा युवक :- शुरुआत करते हैं मित्रो नमस्कार , नाम और परिचय के बिना, बिना किसी औपचारिकता के सीधा मुद्दे पर आते हैं। मान लिया जाए आपके पास 10000 रुपए कहीं से आए और आपने 5000 पत्नी को दिया और 5000 मां को और दोनो को एक साथ दे दिया आपने उस वक्त ऐसा कुछ सोच कर नही किया था बस दे दिया था।
इसपर पत्नी तो कुछ नहीं बोलेगी आपकी लेकिन मां के मन में आएगा कल की आई छोकड़ी मेरी बराबरी करेगी
! आपको तो कुछ नही बोला जाएगा मगर घर में कलह शुरू
आपको अंत में जब एहसास होगा की बेकार किसी को पैसा दिए सब जाकर ठेके पर क्यों नही उड़ा दिए ?
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अब मां तो खुस है मगर आपकी बीबी आपसे ठीक से बात नही करेगी, हर बार आपको उसके झुंझलाहट का सामना करना पड़ेगा
फिर आप अगली बार क्या करेंगे ? पैसा देंगे या नहीं
!
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कम ज्यादा बराबर सब विकल्प धड़े के धड़े रह गए।
तो यहां पर आपको थोड़ा छल से काम लेना है अगली बार मां को भी 5000 दीजिए और बीबी को भी मगर मां को कहिए इस बार मुझे 8000 रुपए ही मिले , तुमको अधिक दे रहा हु और चुप रहना क्योंकि उसको पता चलेगा तो मेरा जीना हराम कर देगी।
फिर बीबी के पास जाइए और उसको 5000 देकर ठीक वही बात दोहरा दीजिए जो मां से कहा था। अब घर का माहौल कैसा है सब एक दूसरे के मुंह को देखकर मुस्कुरा रहे हैं
, समय बीतेगा और जब 10 से 15 साल बाद इसी बात पर सास पुतोह हस्ते हुए नजर आएगा और आपको तेज कहकर भी मुस्कुरा देंगे, अब इस झूठ से नुकसान हुआ था या फायदा
सोचिए ।
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इसी सिद्धांत को अब समाज , राजनीति ,सासन और सत्ता से जोड़ कर देखिए , मोदी जी या नीतीश जी या फिर दिल्ली का केजरीवाल जो भी नेता आपके हिसाब से फिट बैठे
वो करता क्या है हमने एक जाति को घर दिया अमुक व्यक्ति को सोचालय दिया और फलाने को राशन और 100 यूनिट से कम वाले को मुफ्त की बिजली ।
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अब इसका समाज पर प्रभाव देखिए
कैसे मुफ्त की रेवड़ी बन रही है जी का जंजाल :- टैक्स पेयर जो डायरेक्ट टैक्स भरता है वो सबसे पहले कहेगा मेरा पैसा फूक दिया केजरीवाल, मोदिया सबके घर बनवा ही दिया है खाने के लिए मुफ्त का राशन दे ही दिया फिर भूतनी के काम कोई काहे करेगा ? चलिए थोड़ा बिहार की तरफ आते हैं इफ्तियारी पार्टी याद है आपको !
अब जिनका घर दूर है उनको टिकट के पैसे या बस का किराया देकर सम्मिलित होने के लिए पटना बुलाया गया था क्या ? नहीं फिर वो क्या बोलेगा ?
की सिर्फ नजदीक वालों को देते हैं इफ्तियारी हमको नही बुलाते भले ही मनसा Tejashwi Yadav की जो भी मनसा हो मगर प्रभाव क्या पड़ा ?
या फिर दिल्ली के Arvind Kejriwal या फिर Narendra Modi ही क्यों न हो इनकी मनसा क्या थी ? समाज सुधारक की, और फल क्या आने लगा partiality की, अब सबको देना संभव भी नही क्योंकि उतना पैसा आएगा कहां से ? तो partiality से समाज को कैसे बचाया जाए ?
तो इन नेताओ को कम से कम जो भी मुफ्त की रेवड़ी कम लोगो मे बांटते हैं, उसका ढिंढोरा नही पिटना चाहिए इफ्तियारी भी देना चाहीए और मुफ्त में जो भी आप दे सकते हैं दीजिए, मगर ढोल थोड़ा कम पीटीए, जिससे की समाज में आपसी सद्भाव बना रहे।
छोड़िए इनको कम से कम आप इस बात को जीवन में आज से ही लागू कर लीजिए की किसी की बेटी की शादी में अगर आप मदद करते हैं या फिर किसी भी तरह का मदद जिससे कम लोगो या फिर सिर्फ एक व्यक्ति की मदद हुई हो। उसका प्रचार जैसे ही आप करेंगे और किसी कारणवस अगली बार आप दूसरे व्यक्ति की मदद नही कर पाते हैं परिणाम क्या आएगा ?
आपके प्रति बहुत सारे लोगों के मन में गुस्सा आएगा और धीरे धीरे वो ठीक सास पुतोह के झगडे वाली सकल अख्तियार करेगा, लोग आपको कुछ नही कहेंगे मगर जिसको आपने पहले लाभ पहुंचाया था, उसको लोग टारगेट करेंगे फिर क्या होगा ? कभी न खत्म होने वाली कलह की शुरुआत इसीलिए बड़े बुजुर्ग कह कर गए नेकी कर और दरिया में डाल इसका रहस्य ये हैं। न की आप जो सोचते हैं, इसका क्लासिक उदाहरण देखना है तो Rajesh Ranjan उर्फ पप्पू यादव को देखिए खूब मदद की गरीबों की मगर सबकी क्या कर पाए क्या प्रत्येक घर में पहुंच पाए ?
सांसद रहते हुए उन्होंने कौन से विकास का कार्य किया उसको वो कम गिनवाते है और सोनू को मदद हो या फिर किसी की शादी हो पप्पू यादव मदद करने कूद कर पहुंच जाते हैं 
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मगर इतना मेहनत के बाद भी जाप अभी तक सफल क्यों नही हुए ? आज पप्पू यादव को आनंद मोहन के गले लगना परा ? या फिर कल तक जिस Nitish Kumar की राजनीति को ध्तता बताते थे, आज उसी कुमार के साथ मंच पर बैठे नजर आते हैं।
इन सबके पीछे का कारण वही है एक को देना और एक को न मिलना या किसी वजह से छूट जाना भी समाज में को दो धरा में बांट देता है एक समर्थन का और जिसको नही मिला, या फिर कम और ज्यादा के ऊपर एक तरह का बंटवारा, इन मामलों में आप Ram Kripal Yadav से सीखिए चोरी चोरी चुपके चुपके मदद भी की इफ्तियार पार्टी में भी सामिल होते हैं।
मगर नेकी का काम एकदम सालिनता से, पार्टी बर्थ डे और अन्य मौकों पर इनको देखा भी जा सकता है। अब इतना जब समाज में उठना बैठना होगा तो व्यक्तिगत मदद भी देते होंगे ! मगर एक हांथ से काम करे दूसरे को पता भी न चले वही रामकृपाल यादव है ।
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तो वो हैं आप सबके चहेते मनीष, मनीष भी कुछ कुछ ऐसे ही है। उन्होंने मोबाइल दिया किसी को, किसी को थोड़े पैसे दिए, इसका खूब ढोल पीटा लेकिन जरूरत तो और लोगो की भी थी ! क्या इतनी बड़ी है तुम्हारी झोली जो सबको दे पाओगे नही भाई साहेब किसी की भी नही हो सकती है।
फिर चौड़ी छुपे दीजिए जिससे की जिसको नही मिल पाया है वो कम से कम यह सब देखकर कुंठित न हो। बहरहाल आज घर से शुरुआत की और पूरे राजनीति को लपेट दिए उम्मीद है आप इससे कुछ सीख पाएंगे और किसी व्यक्ति को कुछ देते वक्त मीडिया या कैमरे के प्रयोग से बचेंगे उम्मीद ही कर सकता हु उम्मीद पर दुनिया कायम है
. ससुरा कंप्यूटर ही ऑन नही हो रहा है ।
अब जब होगा तो देखा जाएगा वैसे आज लिखते लिखते मेरा सप्त पत्र चटनी बन चुका है, और कुछ लोग उसपर भी ट्रोल करेंगे तो उन ट्रोलरस को बता दू की कंप्यूटर का ऑफ होना या बिजली का गुल होना भी मेरे लिए छुट्टी है बहरहाल चलता हु बहुत काम बाकी है।
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धन्यवाद