Special thanks to @poetsofbangaloremumbainoid3379 for providing such a beautiful platform.
पैदा हुआ था इंसान, मोहब्बत लेकर,
उम्र बड़ी तो, मजहबी हो गया,
मजहबी होना, कोई गुनाह नहीं,
अपने मजहब को, दिखाने के खातिर,
दूसरों को गिराना,
ये कहां की अदा है।
मजहबी होने से पहले, अगर हम सब इंसान बन जाए,
तो हर मजहब कितना खूबसूरत हो जाए,
एक मजहब दूसरे मजहब से गले लग जाए,
घुल जाए, मिल जाए,
एक हो जाए।
नफरत के बाजार में,
प्यार लेकर चला हूं मैं,
इंसान हूं,
इंसान बनने चला हूं मैं।
क्या फरक पड़ता है,
तू हिंदू है, मैं मुसलमान हूं,
तू भी इंसान है,
मैं भी इंसान हूं।
हर मजहब का सार,
परवरदिगार ने एक ही बनाया,
जिसको कहते हैं मोहब्बत,
क्या तू उसको समाज पाया?
कोई करता प्राथना,
कोई करता इबादत,
कोई करता प्रेयर,
सबका मालिक एक ही है,
ये बात जानते हैं हम,
पर नहीं मानते हैं हम,
जिसकी इबादत करते हम,
अगर उसके बताए हुए,
रास्ते को समझ जाए हम,
फिर उस रास्ते पर चलते जाए हम,
इंसान पैदा होकर आए थे,
वापस इंसान बन जाए हम।
पैदा हुआ था इंसान, मोहब्बत लेकर,
उम्र बड़ी तो मजहबी हो गया,
मजहबी होना कोई गुनाह नहीं,
अपने मजहब को दिखाने के खातिर,
दूसरों को गिराना,
ये कहां की अदा है।
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Wow superb performance



Amazing show
Ankit ji jyadataar log to ajjkal isi duvidha mai phase huai hai….
Very nice to see u on the platform. Keep it up..
आज इंसान की फितरत कुछ ऐसी हो गई है

अपनों के साथ धोखा गैरों के साथ दिल लगाकर रोता
और जब बात साथ निभाने की आए ,
तो कुछ कमियां निकालकर अपनों से पराया हो जाता ।
आज सब बोलते है ये मेरा वो मेरा ,
पर हकीकत में आज इंसान का सब कुछ खो गया
पैदा हुआ था इंसान मोहब्बत लेकर ,
और उमर बड़ी तो मजहबी हो गया
~~ Shivu kohli
Great video
Bhai bohut gehrai se explain kiya hai. Mai to maano bhavnao mai beh gaya. Kya baar hai. Maza aagaya



Very touching poetry





Very nice