Haan Hakikat Hai Yeh | Poetry By Ankit Paurush.

This poem says you are alone though surrounded by people. The reason of aloneness is only you.

हाँ हक़ीक़त है ये , मज़ाक जैसी लगती है,
भीड़ में भी , तन्हाईयों की महफिल सजती है,
कैसी है ये भीड़, अकेला है हर कोई,
क्या ये भीड , भीड जैसी लगती है.

भीड़ बनाई , पर अपने न बनाए,
सपने बनाये, पर अपने न बनाए,
छुपाया अपनों से , सपने बनाने के लिए,
न सपने बनाये, न ही अपने बनाए.

हाँ हक़ीक़त है ये…

खो गए भीड़ में, अकेले रह गए,
अगर अपने होते तो सफर पार हो जाता,
न तू अकेला हो पाता, न में अकेला हो पाता.
अगर हार भी जाता, तो अपनों को बताता,
कोई अपना आता और हिम्मत जगाता,
न तू अकेला हो पाता, न मैं अकेला हो पाता,
तू भी जीत जाता, मैं भी जीत जाता,
लम्बा सफर ,यूहीं पार हो जाता.

हाँ हक़ीक़त है येः

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By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

6 thoughts on “Haan Hakikat Hai Yeh | Poetry By Ankit Paurush”
  1. Radhe kirshana sir🙏🏻🙏🏻
    Ha haqiqat h ye
    Majak jasi lagti h
    Bheed me bhi tanhaiyo ki mahfil sajti h
    Bilkul theek kaha aapne
    Ek ek sabdh bilkul sach
    Bheed banai ,sapne banaye par apne na banaye,,bahut bahut khub sir
    Kho gaye bheed me akele rah gaye,,
    Safar paar ho jata, ,,,,,,,
    Na tu akela hota na me akela hota
    Bzhut Bahut khub
    Sir please aap meri aaj ki video dekhe or apne vichar jahir kare🙏🏻🌹sayad aapko aachi lage

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