कहानी प्राचीन काल के खुशहाल प्रदेश की
नोट :- इस कहानी का उत्तरप्रदेश में हुए कल रात की वारदात या फिर किसी भी घंटना से कोई सम्बन्ध नही अगर ऐसा हो रहा है तो मात्र यह एक सयोग है
शुभेंदु के कमैंट्स : एक समय की बात है एक राज्य था जिनका नाम था खुशहाल प्रदेश वहां पर एक हाँथ में माला और एक हाँथ में भाला लिए एक तपस्वी राज्य का संचालन करता था , मतलब वहां का राजा था , सब कुछ ठीक चल रहा था चोर उचक्के उसके भाले के डर से या तो भाग खड़े हुए थे या फिर मौन हो गये थे उसके सहयोगी में भी कई लोग थे जो इस तरह की घटना में संलिप्त थे मगर उसके गद्दी पर बैठते ही राज्य के सभी चोर उचक्के चाहे वो किसी भी तरफ के हो वो सब संठ हो चुके थे क्योंकि जैसे ही उस तपस्वी ने राजगद्दी संभाली उसने यह एलान कर दिया था की चोर सावधान हो जाएँ या तो वो प्रदेश को छोड़ दे या फिर जुर्म का रास्ता छोड़ दे नही तो इस भाले से सबकी खबर ली जायेगी मेरे तपस्वी होने से आपलोग मुझे कमजोड मत समझना क्योंकि मेरे एक हाँथ में भाला है एक हाँथ में माला , इस एलान के बाद सभी अपराधियों ने उसके डर से सच में या तो अपना मार्ग बदल लिया और जिन्होंने अपना मार्ग नही बदला वो काल कोठडी में बंद कर दिए गये । समय का पहिया घुमा और खुशहाल प्रदेश में असान्ति का वातावरण राज्य मार्गो पर दिखने लगा ।
समस्या यह थी की कुछ आदमखोर शेर प्रदेश में बहुत उत्पात मचाया करते थे, राजा के लिए वो गले की हड्डी बन चुके थे आये दिन वो किसी न किसी व्यक्ति को अपना सिकार बना ही लेते थे, पूर्व में जो राजा थे वो पसु प्रेमी थे उसने नियम बना रक्खा था की कोई भी जानवर अगर अत्यधिक उत्पात मचाये तो उसे पिंजरे में बंद करो और उसकी सुरक्षा और देखभाल करो ,
राजा तो नही रहे मगर उनके नियम रह गये , अब मौजूदा परस्थिति के राजा को भी उन्ही नियमो का पालन करना था मगर इस नए वाले राजा को अपने राज्य की प्रजा से अधिक किसी भी न तो पशु या फिर कोई भी उसे पसंद नही था , परोसी राज्य का राजा उसका बड़ा मजाक उड़ाया करते थे की देखो उसके राज्य में लोग मारे जा रहें हैं आदमखोर शेर शेरनी तथा उनके सभी सुपुत्र आये दिन किसी न किसी जनता को मार देते है , राजा इन सब बातों को इग्नोर करके विकाश कार्यो पर ध्यान दे रहा था जंगल से शेर कैसे बाहर न आये इसके लिए वो कटीली तार और अन्य प्रबंध करता रहता था ,
एक दिन की बात है राजा के सिपाहियों की सुरक्षा में उस शेर के छोटे बेटे ने जिसके दांत भी अभी उतने बड़े नही हुए थे वो किसी तरह से जंगल से बाहर छुट गया था, मतलब की कटीली तारो के इस पार मतलब जनता के बिच था उसने सिपाहियों की मौजूदगी में उक्त व्यक्ति और सिपाहियों की हत्या कर दी उस समय परत्यक्ष दर्शियो ने बताया की आदमखोर बाप का अक्स उसके बेटे में आज दिखाई पड़ी , राजा को जब इसकी सुचना मिली तो उसने सबसे पहले जंगल में रह रहे उसके बूढ़े बाप को अपने राज्य के चिड़िया घर में बंद किया क्योंकि उसे लगा की राज्य के अंदर जब उसका बाप आएगा तब उससे मिलने उसका बेटा जरुर आएगा हो सकता है किसी माध्यम से शेरनी से भी सम्पर्क करे सिपाहियों को उसपर नजर बनाये रखने को कहा गया खुद सेनापति की देख रेख में यह सब हो रहा था
अचानक राज्य के सेनापति को सुचना मिली की आदमखोर शेर का बेटा किसी गाव से निकलता देखा गया है सेनापति के आदेश पर विशेष सिपाहियों को दिव्य अस्त्र और अन्य असत्र सस्त्र से लैश किया गया जैसे ही सिपाही आदमखोर शेर के बेटे को पकड़ने के लिए जाल फेका वो जाल को भी फाड़ कर भागने लगा चुकी वो आदमखोर था इसलिए बलसाली तो होगा लेकिन राजा के सिपाही भी आज सस्त्र और दिव्यास्त्र से लैश थे वो ये मौक़ा गवाना नहीं चाहते थे उन्होंने उसे पकड़ने के लिए तबाड़तोड़ हमले की मगर अफ़सोस वो घायल हुआ और पशु अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया ।
इस बात का पता जब उसके आदमखोर बाप को लगी तो उसने राज्य के चिड़िया घर में खाना पीना छोड़ दिया जिस वजह से उसे जांच के लिए बार बार होस्पिटल ले जाना पड़ता था इस बात का पता राज्य के कुछ और लोगो को लगा उन्होंने पहले रेकी की कब कब वो जांच के लिए पशु चिकित्सालय जाता है और एक दिन की योजना बनाकर राज्य के सिपाहियों के सामने ही उसे सेनापति के यहाँ से चोरी किये गए अस्त्रों से मार गिराया ,
ये भी पढ़े :- बिहार के मिथिला और मगध में क्या अंतर है ?
अब इस सबमे राजा पर प्रश्नचिंह फिर से लगने लगा की यह राजा तो बड़ा ही निर्दय है जरुर इसी ने जानबूझकर उन शेरो के हत्या करवाई होगी , क्योंकि राजा ने एक बार भड़े सभा में सभी के सामने गुस्से से तमतमाते हुए कहा जो आदमखोर शेर आज उत्पात मचा रहें है एक दिन सबको को निपटा दूंगा मौजूदा स्थिति में हुआ भी कुछ वैसा ही अब राजा के ऊपर फिर से सवाल उठने लगे की राजा बहुत निर्दय है फिर नियम कानून बनाने का ढोंग करता क्यों है आदि मगर इस बार राजा के चेहरे पर एक शांत भाव थे क्योंकि उसे अब यह बात समझ में आ गई थी की कुछ नही करोगे फिर भी लोग मजाक उड़ायेंगे कहेंगे देखो फलाने राज्य में दिन दहारे लोगो को शेर खा जाता है और जब अब शेर को ढेर कर दिया फिर भी सवाल उठ रहें , राजा समझ चूका था की लोग और अरोसी परोसी मेरे हर काम की आलोचना करेंगे मगर मै और मेरी जनता मेरा सत्य जानती है .
यह भी पढ़े :- अशरफ और अतीक का अंत हॉस्पिटल ले जाने के दौरान मीडिया से बात करते करते मारे गये अतीक और असरफ