Hum Badey Kya Ho Gaye | Poetry by Ankit Paurush

During childhood times we used to gel up with love, faith, devotion towards each other independent to region, religion, caste, & race etc. Just think about the sacrifice of national reached of India Shri Vinoba Bhave and think.

हम बड़े क्या हो गए,
भेद भाव मैं खो गए,
जब बचपन में रहा करते थे,
कभी ऐसा न किया करते थे।

हम बड़े क्या हो गए

सरदारजी ने एक कराया,
हम अलग को हो गए,
हम बड़े क्या हो गए,
भेद भाव मैं खो गए।

विनोबा भावे जैसे महान,
चालू कराया भू दान ,
तेलंगाना से पद यात्रा निकाली,
हम सबको दिलाया सम्मान,
हम बड़े क्या हो गए,
भेद भाव मैं खो गए।

मुरा मुल्क अपना घर था,
हम आँगन मैं खेला करते थे,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
कभी ऐसा न किया करते थे,
हम बड़े क्या हो गए,
भेद भाव मैं खो गए।

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By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

6 thoughts on “Hum Badey Kya Ho Gaye |Poetry by Ankit Paurush”
  1. Radhe kirshana sir 💐🙏🏻
    Hum bade kya ho gaye
    Bahut aacha example diya h
    Hum bade kya ho gaye
    Bhed bhav me kho gaye
    Jab bachpan me raha karte the
    Asa na kiya karte the
    Sardar g ne ek karaya
    Hum ajag kyo ho gaye
    Vinoba bhave jase mahan
    Hum sabko dilaya samman
    Hindu muslum' ,,,, ,,,
    Bahut sunder kavita sir
    Big like with huge respect 💐🙏🏻

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